दहन के दौरान भूलकर न करें ये गलतियां अशोक कुमार कौशिक आज होलिका दहन का दिन है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन रंग वाली होली खेली जाती है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद को हिरण्यकश्यप ने होलिका की गोद में बैठाकर जिंदा जलाने की कोशिश की थी और इस दौरान होलिका खुद ही जल कर खत्म हो गई थी। उस दिन फाल्गुन मास की पूर्णिमा थी। तभी से होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में किया जाता है। होलिका दहन की पूजा शुभ मुहूर्त में करना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि शुभ मुहूर्त में किया गया काम शुभ फल देता है। होलिका दहन 2022 शुभ मुहूर्त-होलिका दहन का मुहूर्त इस बार रात 9 बजकर 03 मिनट से रात 10 बजे 13 मिनट तक रहेगा। इस साल पूर्णिमा तिथि 17 मार्च को दिन में 1 बजकर 29 बजे शुरू होगी और पूर्णिमा तिथि का समापन 18 मार्च दिन में 12 बजकर 46 मिनट पर होगा। होलिका दहन के दौरान न करें ये गलतियांमान्यता है कि होलिका दहन की अग्नि को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना जाता है। इसलिए किसी भी नवविवाहिता को ये अग्नि नहीं देखनी चाहिए। इसे अशुभ माना गया है। इससे उनके वौवाहिक जीवन में दिक्कतें शुरू हो सकती हैं। होलिका दहन वाले दिन किसी भी व्यक्ति को पैसा उधार देने की मनाही होती है। ऐसा करने से घर में बरकत नहीं होती। और व्यक्ति की आर्थिक समस्याएं बढ़नी शुरू हो जाती हैं। इतना ही नहीं, इस दिन उधार लेने से भी परहेज करें। मान्यता है कि माता-पिता की इकलौती संतान होने पर होलिका दहन की अग्नि को प्रज्जवलित करने से बचें। इसे शुभ नहीं माना जाता।एक भाई और एक बहन होने पर होलिका की अग्नि को प्रज्जवलित किया जा सकता है। मान्यता है कि इस दिन होलिका दहन के लिए पीपल, बरगद या आम की लकड़ियों का इस्तेमाल न करें। ये पेड़ दैवीय और पूजनीय पेड़ हैं। साथ ही इस मौसम में इन वृक्षों पर नई कोपलें आती हैं, ऐसे में इन्हें जलाने से नकारात्मकता फैलती है। होलिका दहन के लिए गूलर या अरंड के पेड़ की लकड़ी या उपलों का इस्तेमाल किया जा सकता है। कहते हैं कि इस दिन अपनी माता का आशीर्वाद जरूर लें। उन्हें कोई उपहार लाकर दें, ऐसा करने से श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा बनी रहती है। किसी भी महिला का भूलकर भी अपमान न करें। होलिका दहन की लपटें देती है संकेतउत्तर दिशा- होलिका दहन के वक्त अगर आग उत्तर दिशा की ओर होती है तो, देश और समाज में सुख-शांति बढ़ती है। इस दिशा में कुबेर के साथ दूसरे देवताओं का वास होने से आर्थिक प्रगति होती है। चिकित्सा, शिक्षा, कृषि और व्यापार में उन्नति होती है। दक्षिण दिशा- होलिका दहन की आग का दक्षिण दिशा की ओर झुकना अशुभ माना गया है। दक्षिण दिशा में होलिका की लौ होने से झगड़े और विवाद बढ़ने की आशंका बनी रहती है। युद्ध-अशांति की स्थिति भी बनती है। इस दिशा में यम का प्रभाव होने से रोग और दुर्घटना बढ़ने का अंदेशा भी रहता है। पूर्व दिशा- होलिका दहन की लौ पूर्व दिशा की ओर झुके तो, इसे बहुत शुभ माना गया है। इससे शिक्षा-अध्यात्म और धर्म को बढ़ावा मिलता है। इसके साथ ही रोजगार की संभावना बढ़ती है। लोगों की हेल्थ में भी सुधार होता है। साथ ही मान-सम्मान भी बढ़ता है। पश्चिम दिशा- होली की आग पश्चिम की ओर उठे तो पशु-धन को लाभ होता है। आर्थिक प्रगति भी धीरे-धीरे होने लगती है। इसके साथ ही थोड़ी प्राकृतिक आपदाओं की आशंका भी रहती है, लेकिन कोई बड़ी हानि नहीं होती है। इस दौरान चुनौतियां बढ़ती हैं लेकिन सफलता भी मिलती है। Post navigation पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुधीर मित्तल ने किया जिला न्यायालय का निरीक्षण ना धन में सुख है ना बल में, ना ऊंचे कुल में, ना माया में, सुख अगर है तो प्रभु भक्ति में हैं : हुजूर कँवर साहेब जी