सुरेश गोयल धूप वाला,………….मीडिया प्रभारी , निकाय मंत्री डॉ कमल गुप्ता

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल सहित अनेको नेताओं ने गांधी-नेहरू परिवार पर नेतृत्व छोड़ने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है व पांच राज्यो में कांग्रेस की करारी हार की जिम्मेवारी भी वर्तमान नेतृत्व पर थोप दी है।

उधर कांग्रेस सुप्रीमो ने पांच राज्यो में हार की जिम्मेवारी राज्यो के पांचो अध्यक्षशो पर डालते हुए उनसे इस्तीफा मांग लिया है
पहले भी कई अवसर आये जब गांधी परिवार का नेतृत्व हटाने के लिए विद्रोह के स्वर उठते रहें हैं। परंतु कांग्रेस के बहुत सारे शीर्ष नेताओ का गाँधी परिवार से गहरा लगाव जगज़ाहिर है ।

यही कारण है कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सोनिया परिवार के पक्ष में जो माहौल बनाया गया व तर्क दिया गया स्थिति में कोई बदलाब आएगा।बैठक में सोनिया गांधी ने यह कह कर की यदि कांग्रेस वर्किंग कमेटी को यह लगता है कि गांधी परिवार के नेतृत्व से हटने से यदि कांग्रेस मजबूत होती है तो वह नेतृत्व से मुक्त हो सकती है। यह चालकी भरे शब्द अपने समर्थकों को साधने व देश की जनता की सहानुभूति जुटाने के अतिरिक्त और कुछ नही। पहले भी वे ऐसे तीर कई बार चला भी चुकी है।

गांधी परिवार के चाटुकार नेताओं के कारण विद्रोह के स्वर हमेशा दबते रहे हैं । कांग्रेस की कार्यसमिति बैठक में परिवारवाद व वंशवाद की विरोधी विचारधारा के नेता भी बैठक में विराजमान थे, परंतु वे भी विरोध करने की हिम्मत नही जुटा पाए। बैठक से बहार आकर विरोध जताना उनका कमजोर मनोबल ही प्रदर्शित करता है।

कांग्रेस के वफादार नेताओं ने राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने के लिए भी जोर -शोर से आवाज उठाई है , वह इसलिए कि सोनिया गांधी अपने खराब स्वास्थ्य के कारण पुत्र को अध्यक्ष बनाएं चाहती है।

जो भी बात कांग्रेस सुप्रीमो या बेटे को अच्छी व प्रिय लगती है या उनके मनमाफिक हो उस आवाज को बुलंद करना वे नेता कभी नही भूलते ।

अब चूंकि कांग्रेस में परिवार के विरोध में स्वर बहुत बड़े पैमाने पर उभर चुके हैं यह कहना बहुत ही मुश्किल होगा कि गांधी परिवार का विकल्प क्या होगा।

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