हरियाणा की शिक्षा व्यवस्था : न तो पर्याप्त शिक्षक न ही पर्याप्त आधारभूत शिक्षा ढांचा……….विद्रोही

सवाल उठता है कि जब हरियाणा में 14491 स्कूलों के लिए 120968 स्वीकृत शिक्षकों में एक तिहाई शिक्षक पद खाली पडे हो तो सरकारी स्कूलों में कैसी शिक्षा दी जा रही होगी, यह बताना भी बेमानी है।
जब सरकारी स्कूलों, कालेजो, उच्च शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों में न तो पढाने के लिए पर्याप्त शिक्षक है, न बैठने को कमरे है और न शिक्षा का आधारभूत ढांचा है और न ही सहायक स्टाफ है तो फिर हरियाणा में कैसी शिक्षा व्यवस्था है, यह बताना भी बेमानी है।

चंडीगढ़, 6 मार्च 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा खट्टर सरकार के सात साल के राज में हरियाणा की शिक्षा व्यवस्था का ढांचा बुरी तरह से चरमरा चुका है जिसके चलते सरकारी स्कूलों में न तो पर्याप्त शिक्षक है और न ही पर्याप्त आधारभूत शिक्षा ढांचा है। विद्रोही ने कहा कि प्रदेश में चल रहे विधानसभा बजट सत्र में एक सवाल के जवाब में भाजपा खट्टर सरकार ने बताया कि हरियाणा में सभी स्तर के 14491 सरकारी स्कूल है जिनमें छात्र संख्या के अनुसार 122798 शिक्षकों की आवश्यकता है जबकि हरियाणा में सभी सरकारी स्कूलों के लिए केवल 120968 शिक्षक पद स्वीकृत है। इनमें भी 38476 शिक्षक पद अर्थात लगभग 31 प्रतिशत पद खाली है। प्रदेश में 38476 खाली शिक्षकों के पदों में पीजीटी के 15265, टीजीटी के 18236, मुख्याध्यापकों के 1046 व जेबीटी पीआरटी के 3929 पद खाली पड़े है। सवाल उठता है कि जब हरियाणा में 14491 स्कूलों के लिए 120968 स्वीकृत शिक्षकों में एक तिहाई शिक्षक पद खाली पडे हो तो सरकारी स्कूलों में कैसी शिक्षा दी जा रही होगी, यह बताना भी बेमानी है।

विद्रोही ने मुख्यमंत्री से पूछा कि जब सरकारी स्कूलों में पढाने के लिए एक तिहाई शिक्षक पद खाली पडे हो तो प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की क्या हालत है, इसका जवाब क्या उनके पास है? जब से खट्टर जी प्रदेश के मुख्यमंत्री बने है, तभी से हरियाणा में सरकारी स्कूलों में लगातार 30 से 40 प्रतिशत शिक्षक पदों को जान-बूझकर खाली रखकर सरकारी स्कूलों के शिक्षा ढांचे को कमजोर करके निजी स्कूलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। भाजपा संघी सरकार जान-बूझकर ऐसा माहौल पैदा कर रही है जिससे सरकारी स्कूलों के बच्चें निजी स्कूलों मे प्रवेश लेने को मजबूर हो। एक ओर स्कूलों में शिक्षक नही है, वहीं लिपिक, चतुर्थ श्रेणी का स्टाफ, साईंस लाईब्रेरी स्टाफ की भारी कमी है। वहीं छात्रों को बैठने के लिए सरकारी स्कूलों में न तो पर्याप्त कमरे है और न ही बैठने के लिए फर्नीचर। स्कूलों में जो कमरे है, उनमें 25 प्रतिशत से ज्यादा जर्जर हालत में है।

विद्रोही ने कहा कि यही स्थिति प्रदेश के सरकारी कालेजों, इंजीनियरिंग व तकनीकी शिक्षण संस्थानों व विश्वविद्यालयों की है जहां इनने तो इनमें पर्याप्त शिक्षक है और न ही स्पोर्टिंग स्टाफ है। सरकारी कालेजों व विश्वविद्यालयों में पर्याप्त भवन व अन्य आधारभूत ढांचा तक नही है। सरकारी कालेजों की हालत तो यह है कि प्रदेश के 60 प्रतिशत से ज्यादा कालेजों में प्रिंसीपल व 40 प्रतिशत से ज्यादा प्रोफेसर तक नही। जब सरकारी स्कूलों, कालेजो, उच्च शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों में न तो पढाने के लिए पर्याप्त शिक्षक है, न बैठने को कमरे है और न शिक्षा का आधारभूत ढांचा है और न ही सहायक स्टाफ है तो फिर हरियाणा में कैसी शिक्षा व्यवस्था है, यह बताना भी बेमानी है।

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