पूर्ण संत सतगुरु का सत्संग ही काल माया से बचा सकता है : कंवर साहेब महाराज जी

चरखी दादरी/फतेहाबाद जयवीर फोगाट

20 फरवरी,बाजी खेलो तो परमात्मा के साथ खेलो जिसमें आप जीतो चाहे हारो दोनो परिस्थितियों में जीत आपकी ही होगी लेकिन परमात्मा से बाजी आप तभी खेल पाओगे जब आप अपना मन अपने इष्ट में इस प्रकार लगा लोगे जिस प्रकार एक पनिहारी का मन अपनी मटकी में रहता है। सच्चे गुरुमुख हो, तो ही ये बाजी खेली जा सकती है। परमात्मा को रटन की आवश्यकता नहीं है उसे तो आपकी सच्चाई की आवश्यकता है। गुरु महाराज जी वार्षिक सत्संग और भंडारे में सत्संग वचन फरमा रहे थे।

हुजूर कंवर साहेब जी ने फरमाया कि हमारी हालत उस अंधे इंसान की भांति है जो एक ऐसे बंद कमरे में बंद हो जिसका केवल एक ही दरवाजा हो। सोचो वो बाहर निकलने के लिए कितने हांथ पैर मारेगा और इससे भी बड़ी दुखदाई बात ये है कि जब वह दरवाजे के पास आता है तो उसे पीठ में खुजली हो जाती है तो वह अपने हाथ दरवाजे को ढूंढने की बजाए पीठ पर ले जाता है और इतने में वह दरवाजे से आगे निकल जाता है और फिर उसी भटकन में फिरता है। गुरु जी ने कहा कि हम भी यही कर रहे हैं। ये दुनिया बंद कमरा है और माया ने हमें अंधा कर रखा है। भक्ति एक मात्र दरवाजा है लेकिन जब हम उस दरवाजे पर पहुंचते हैं विषयविकारो की खुजली चलती है और हम उसे खुजाने लगते हैं।

 महाराज जी ने कहा कि केवल संतो का सत्संग ही हमें काल माया से बचा सकता है। संतो का एक वचन ही हमारा जीवन बदल देता है। उन्होंने एक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि एक ठगो की नगरी थी। उसमें जब एक बूढ़े ठग का अंत समय आया तो उसने अपने पूरे कुनबे को एकत्र किया और कहने लगा कि ठगना हमारा पेशा है इसलिए मैं तुम्हारे भले की कहता हूं कि किसी संत के सत्संग में ना जाना और जाओ तो उनकी बात ना मानना। ये कह कर वो मर गया। कुछ दिन के बाद वे ठग रात को अपना काम करने निकले तो रास्ते में एक संत का सत्संग हो रहा था। ठग ने अपने बाप की बात मानी और अपने कानो में उंगली डाल ली लेकिन उसके कानो में एक वचन पड़ ही गया कि देवताओं की छाया नहीं होती। कुछ समय के पश्चात एक बड़ी चोरी हो गई और उस ठग को उठा लिया लेकिन उसने कुछ नहीं कबूला। पुलिस ने एक तरीका अपनाया और एक महिला को काली माता का रूप देकर ले आई। वो औरत को माता बनी हुई थी वो उस ठग के पास आकर बोली कि तुम चाहे बताओ या ना बताओ लेकिन मैं जानती हूं तुमने चोरी की है। पहले तो वो ठग डरा लेकिन उसने तुरंत देखा कि इसकी तो छाया है। उसे महात्मा की बात याद आई और उसने कहा कि अगर तू असली माता है तो तू जानती ही है कि मैंने चोरी नहीं की। वो बच गया लेकिन उसे ज्ञान हो गया कि यदि संत का एक वचन उसे मुसीबत से बचा सकता है तो उनकी पूर्ण शरण तो उस पर काल का साया भी नहीं आने देगी। उसने उसी दिन बुरा काम त्याग कर संतो की शरण ले ली।

गुरु जी ने फरमाया कि अनुमान नहीं अनुभव करो क्योंकि अनुमान तो फेल हो सकता है लेकिन अनुभव सदा पास होता है। यदि किसी से कपट करते हो तो नुकसान दूसरे का नहीं खुद का ही करते हो क्योंकि कर्मो की बाजी कभी खत्म नहीं होती। एक ना एक दिन वो कर्जा आपको चुकाना ही पड़ेगा। किस के लिए धोखा करते हो, क्या है जो तुम्हारे साथ जाएगा। जब उस घर में जाओगे तो कोई चतुराई या चालाकी काम नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि इस दुनिया का दस्तूर है कि इंसान अपने लिए नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए जीता है। इसी उधेड़बुन में उसका पूरा जीवन निकल जाता है। ये माया का खेल है वह घेरती है जीव को लेकिन जीव संतो की शरण में चला जाता है वह इस घेरे में नहीं आता। घर गृहस्थी की जरूरत और चिंता इतनी हैं कि हम भक्ति में इतना समय नहीं लगा पाते ऐसे में सत्संग काम आता है।

गुरु महाराज जी ने कहा कि जितना समय हम दूसरो की बुराइयां देखने में लगाते हैं अगर उसका एक अंश भी दूसरो की अच्छाई देखने में लगा दोगे तो आपका वर्तमान भी बन जाएगा और भविष्य भी। गुरु महाराज जी ने कहा कि सभी पदार्थ इसी दुनिया में है लेकिन कर्महीन हैं उनको नहीं मिलते। गुरु महाराज जी ने कहा कि जो इंसान गलती करके स्वीकार कर लेता है उसे दोष नहीं लगता। गुरु महाराज जी ने कहा कि सतगुरु से जो मांगने की चीज है वो तो मांगते नहीं लेकिन वो मांगते हैं जो लगती तो सुखकारी है परंतु है वो वास्तव में दुखो का भंडार। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने आपकी हर जरूरत को पूरा करने का इंतजाम किया है फिर किस के लिए संचय करते हो। उन्होंने कहा कि आपके विचारो में बड़ी ताकत है इसीलिए अपने विचारो को हमेशा शुद्ध रखो ताकि आपके विचारों की रेडिएशन पूरे वातावरण को शुद्ध रखे। उन्होंने कहा कि ये शरीर बिराना औजार है इसलिए इसे पहले कि इस औजार का असल मालिक इसे वापिस मांग ले इससे अपने सारे कारज संवार लो। सतगुरु ज्ञान है, समझ है, विवेक है। गुरु आपका जीवनदाता है फिर हम क्यों गुरु को भूल जाते हैं। उन्होंने कहा कि ड्रामा लंबा नहीं चलेगा। ये नहीं चलेगा कि बाना तो हंस का पहन लो और वृति काग की रखो। उन्होंने कहा कि अपना आचरण सुधारो। घरों में प्यार प्रेम शांति रखो। बच्चो को अच्छे संस्कार दो। हर रोज परमात्मा की भक्ति के लिए समय निकालो।

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