सुषमा स्वराज राजनीतिक गतिविधियों के साथ साथ वे सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यो में भी हमेशा अग्रणी रही। राष्ट्रवादी सोच के साथ राजनीतिक क्षेत्र में आगे बढ़ती रही।

सुरेश गोयल धूप वाला

भारतीय राजनीति में सुषमा स्वराज एक ऐसी सशक्त महिला राजनीतिज्ञ रही जो ओजस्वी वक्ता के रूप में अपनी वरिष्ठ पहचान के रूप में जानी जाती है। उनकी वाणी में स्वयं सरस्वती विराजमान थी। उनकी भाषण शैली पूरी तरह तर्कपूर्ण व प्रामाणिक आंकड़ो के साथ होती थी। उन्हें हमेशा तेजतर्रार नेताओं में गिना जाता था। वे राजनीतिक गतिविधियों के साथ साथ वे सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यो में भी हमेशा अग्रणी रही। राष्ट्रवादी सोच के साथ राजनीतिक क्षेत्र में आगे बढ़ती रही। उनके मन मस्तिक में हमेशा समाज के सबसे कमजोर व्यक्ति के उत्थान का चिंतन छाया रहता था। केवल चिंतन ही नही उन्होंने उसे जीवन के अन्तिम क्षणों तक निभाया भी।

प्रारम्भिक जीवन—

उनका जन्म अम्बाला छावनी में 14 फरवरी 1952 को हुआ । उनके पिता का नाम पंडित हरदेव शर्मा तथा माता का नाम लक्षमी देवा था उनके पिता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ स्वयं सेवक रहे। यही कारण था कि राष्ट्रभक्ति व समाजसेवा के संस्कार उन्हें बचपन से ही प्राप्त होने शुरू हो गए थे। उन्होंने राजनीति शास्त्र में स्नातक की शिक्षा पूरी की। वे प्राइमरी क्लास से ही मेधावी छात्रा रही। वे अपने कॉलिज समय से ही सर्वश्रेष्ठ हिंदी की वक्ता रही।

1973 में उन्हें पंजाब विश्वविद्दालय से सर्वोच्च वक्ता का उपहार प्राप्त हुवा। 1973 में वे सर्वोच्च न्यायलय के अधिवक्ता के रूप में कार्य करने लगी। उनके सहकर्मी स्वराज कोशल से उनका विवाह हुआ।

राजनीतिक जीवन की शुरुआत—-

वे कॉलिज के जीवन से ही अखिल भारतीय विद्धार्थी परिषद से जुड़ गई थी। 1974 में वे लोकनायक जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन से जुड़ गई थी। 1975 में देश मे आपातकाल के रूप में काली घटा छा गई थी वे सक्रिय रूप से आपातकाल के विरुद्ध चले आंदोलन में अपनी सक्रिय भूमिका का निर्वहन किया।

1977 में आपातकाल की आपदा झेली सभी राष्ट्रीय पार्टियों ने मिलकर कांग्रेस के खिलाप लोकनायक जयप्रकाश के नेतृत्व में जनता पार्टी का गठन किया। 1977 में वे जनता पार्टी की टिकट से अम्बाला से विधायक निर्वाचित हुईं।

1977 से 1979 तक वे जनता पार्टी की चौधरी देवी लाल मंत्री मंडल में उन्हें केबीनेट मंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
1979 में वे जनता पार्टी की हरियाणा प्रदेश अध्यक्षा बनी।

1990 में उन्हें राज्य सभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया। उन्हें 13 दिन की वाजपेई सरकार में सूचना प्रसारण मंत्रालय का महत्वपूर्ण मंत्रालय दिया गया।

1998 में वे दिल्ली प्रदेश की पहली महिला मुख्य मंत्री बनी।

2000 में वे उत्तर प्रदेश से राज्य सभा सदस्या निर्वाचित हुईं। उन्होंने अटल सरकार में सूचना व प्रसारण मंत्रालय का केबिनेट मंत्री बनाया गया विभागीय मंत्री रहते उन्होंने एक मात्र सरकारी चैनल दूरदर्शन में बड़ा सुधार करने का कार्य किया। भारतीय फिल्म उद्द्योग को एक नई दिशा देने का उन्हें पूरा श्रेय दिया जाना चाहिए।

2003 में उन्हें स्वास्थ्य परिवार कल्याण और संसदीय मामलों का मंत्री बनाया गया।

2009 में उन्होंने विदिशा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से 4 लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की।

15वीं लोक सभा मे वे विपक्ष की नेता बनी।

2014 में मोदी मंत्री मंडल में पहली महिला विदेश मंत्री बनी। सँयुक्त राष्ट्र में उन्होंने हिंदी में भाषण देकर उन्होंने अपने हिंदी के प्रति लगाव को प्रदर्शित किया।

वे भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता रही । प्रवक्ता के रूप में उनकी बहुत सराहनीय भूमिका रही।

उन्हें भारत की संसद में सर्वश्रेष्ठ सांसद के रूप में नवाजा गया था।

2019 में भारतीय राजनीति का महान व्यक्तित्व हमसे हमेशा के लिए बिछुड गया। उनकी यादे हमेशा हमेशा बनी रहेगी।

लेखक भारतीय जनता पार्टी में पूर्व जिला महामंत्री रहे है।

error: Content is protected !!