प्लांट लगवाकर महेंद्र को मिली गैस सिलेंडर खरीदने से मुक्ति
प्लांट से मिल रही अच्छी गुणवत्ता की देसी खाद

भारत सारथी/कौशिक

 नारनौल, 3 फरवरी। एक कहावत है “जहां चाह, वहां राह”। यह कहावत नारनौल से करीब 18 किलोमीटर दूर अटेली के किसान महेंद्र पर बखूबी चरितार्थ हो रही है। महेन्द्र ने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना से उनको न सिर्फ  गैस सिलेंडर के भारी भरकम दाम चुकाने से मुक्ति मिलेगी बल्कि इसके साथ-साथ उन्हें उम्दा खाद भी हासिल होगी। उनकी यह चाहत उस वक्त यथार्थ में बदल गई जब नारनौल स्थित कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की इंजीनियरिंग विंग के तहत स्थापित सहायक कृषि अभियन्ता के कार्यालय का भ्रमण करने पर वहां तैनात इंजीनियरों ने उनको गोबर गैस प्लांट स्थापित करने की राह दिखाई। सहायक कृषि अभियन्ता नारनौल के कार्यालय के इंजीनियरों के सहयोग से गोबर गैस प्लांट स्थापित होने पर महेंद्र अब खुश है।

सहायक कृषि अभियन्ता  इंजीनियर डीएस यादव ने बताया कि जिले में गोबर गैस प्लांट स्थापित करने के लिए गांव अटेली को विभाग द्वारा आदर्श गांव के तौर पर चयनित किया गया है। इस गांव में अभी तक 5 किसानों ने गोबर गैस प्लांट लगवा लिए हैं तथा सभी को अनुदान राशि का भुगतान भी कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि गोबर गैस प्लांट किसानों के लिए वरदान से कम नहीं है। इससे न सिर्फ कुकिंग गैस मिलती है बल्कि बढ़िया गुणवत्ता की गोबर की खाद भी मिलती है। विभाग गोबर गैस प्लांट पर किसानों को 12 हजार रुपए सब्सिडी भी प्रदान करता है। यदि किसान प्लांट को शौचालय से जुड़वा लेता है तो 1200 रुपए अतिरिक्त अनुदान मिलता है। उन्होनें किसानों से आह्वान किया है कि वे गोबर गैस प्लांट लगवाकर विभाग कि योजना का लाभ उठाएं।

महेंद्र को गोबर गैस प्लांट के संबंध में ऐसे मिली प्ररेणा
एक बार नारनौल स्थित सहायक कृषि अभियन्ता के कार्यालय के कर्मचारी उनके घर आए और गोबर गैसं प्लांट से किसान को होने वाले फायदों को विस्तार से बताकर उन्होनें यह प्लांट स्थापित करने के लिए उन्हें प्रेरित किया। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरों के सहयोग से गोबर गैस प्लांट स्थापित किया। महेंद्र ने बताया कि उनके पास 10 एकड़ जमीन है और 3 पशु रखते हैं। सहायक कृषि अभियन्ता इंजीनियर डीएस यादव ने आज कनिष्ठ अभियन्ता रामसिंह बरवाला के साथ महेंद्र द्वारा गोबर गैस प्लांट स्थापित करने के बाद उनकी लाइफ  स्टाइल में आए बदलाव का जायजा लिया।

फ्री में मिलती है कुकिंग गैस
महेन्द्र ने बताया कि उनके घर साल में 9-10 सिलेंडर की सालाना खपत थी। इससे साल का करीब दस हजार का खर्च और गैस सिलेंडर लाने का अलग झंझट रहता था। उन्होंंने बताया कि अब मेरा रसोई का सारा काम गोबर गैस प्लांट से मिलने वाली गैस से हो जाता है। खास बात यह है कि इसमें विस्फोट होने का भी कोई खतरा नहीं है। पशुओं का चाट भी गोबर से बनी गैस से पकाया जाता है। प्रतिदिन वे 20 से 30 किलो गोबर इस प्लांट में डालते हैं।

गोबर गैस प्लांट से उम्दा खाद भी मिलता है
महेन्द्र ने बताया कि पहले वे एकत्रित किया गोबर खेती की जमीन में डालते थे परन्तु उसका ज्यादा लाभ नहीं मिलता था। परन्तु गोबर गैस बनने के बाद जो गोबर बाहर निकलता है वह लाजवाब है। इसकी गुणवत्ता बेमिसाल है क्योंकि यह पूरी तरह गला होता है। सबसे खास यह है कि जहां ये खाद डालते हैं उस जमीन में खरपतवार नहीं उगते इसलिए फसल ज्यादा होती है। महेन्द्र अब इतने प्रफूल्लित हैं कि जो भी ग्रामीण उनसे मिलने आता है, वे गोबर गैस प्लांट से होने वाले फायदों का बखान करते नहीं थकते।

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