• समझौते के समय किसानों से किया वायदा तुरंत पूरा करे सरकार – दीपेन्द्र हुड्डा
• संसद सत्र में उठाएंगे किसानों के साथ हुए विश्वासघात का मुद्दा – दीपेन्द्र हुड्डा
• लखीमपुर प्रकरण में मुख्य आरोपी के पिता और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री इस्तीफ़ा दें या उन्हें बर्खास्त करे सरकार -दीपेंद्र हुड्डा
• सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने 2022 में किसानों की आमदनी दोगुनी करने के सरकारी वायदे की दिलाई याद, पूछा आमदनी दोगुनी कब होगी?

चंडीगढ़, 31 जनवरी। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने आज कहा कि जो सरकार अन्नदाता से बार बार विश्वासघात करे, वो सरकार देश के लिए घातक है। उन्होंने कहा कि जिन मांगों पर सरकार और किसान संगठनों के बीच सहमति बनी थी उनको पूरा करने में सरकार कोई रूचि नहीं दिखा रही है। सरकार के साथ 9 दिसंबर, 2021 के जिस समझौता पत्र के आधार पर किसान आन्दोलन स्थगित हुआ था, सरकार ने उनमें से कोई वादा अब तक पूरा नहीं किया है। उन्होंने कहा कि घमंड एक ऐसा दुश्मन है जो आदमी के भीतर बैठकर चोट करता है। सरकार याद रखे कि सरकार का अभिमान हारेगा और किसान का स्वाभिमान जीतेगा, क्योंकि किसान सत्य के साथ खड़ा है। दीपेन्द्र हुड्डा ने मांग करी कि सरकार अविलम्ब किसानों के साथ हुए समझौते को पूरा करे, किसानों के साथ हुई सहमति के विश्वास को न तोड़े। उन्होंने यह भी कहा कि संसद के बजट सत्र में वो किसानों के साथ हुए विश्वासघात का मुद्दा पुरजोर तरीके से उठाएंगे।

2022 में किसानों की आमदनी दोगुनी करने के सरकारी वायदे को याद दिलाते हुए सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि 2022 शुरु हुए एक महीना बीत गया है, एक महीने में सरकार की ओर से कोई बयान नहीं आया कि 2022 में किसान की आमदनी दोगुनी हो जायेगी। सरकार बताए किसान की आमदनी दोगुनी कब होगी? उन्होंने आगे कहा कि चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में धान 5000-6000 रुपया कुंतल बिका, उसका दोगुना 10000-12000 रुपया होता है; गेहूं 1600 रुपये कुंतल बिका, जिसका दोगुना 3200 रुपये कुंतल होता है; हमने जब सरकार छोड़ी तब गन्ना 311 रुपया कुंतल था, इसका दोगुना 622 रुपया कुंतल का भाव कब होगा? उन्होंने कहा कि किसान की आमदनी दोगुनी होना तो दूर की बात है, उसका कर्जा और खर्चा दोगुना हो गया है। बढ़ती महंगाई ने किसानों और आम गरीब की कमर तोड़ दी है। डीजल, खाद, बीज, कृषि उपकरण आदि महंगे होने से खेती की लागत बढ़ गयी। किसान की आमदनी बढ़ने की बजाय घट गयी है। डीजल का भाव दोगुना हो गया। खाद के कट्टे का भाव दोगुना हो गया। किसानों को तो फसल का लागत भाव भी नहीं मिल रहा है। प्रदेश भर में खाद की किल्लत और कालाबाजारी से किसान परेशान हैं। BJP-JJP सरकार ने किसान परिवारो को इस कदर तरसाया है कि महम में एक भाई अपनी बहन की शादी में यूरिया का भात भर रहे है। महम की इस खबर ने पूरे प्रदेश की हालत बयान की है। भात की बही में लिखे गए यूरिया के कट्टे इस सरकार की नाकामी का वो दस्तावेज है जो आने वाली पुश्ते भी सहेजकर रखेंगी।

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि देश के किसानों ने सर्दी, गर्मी और बरसात में खुले आसमान के नीचे कठिन रातें गुजारी, तमाम सरकारी प्रताड़ना और अपमान सहे। धरनों पर करीब 700 किसानों के शव एक के बाद एक करके उनके गाँव जाते रहे, लेकिन उन्होंने धैर्य नहीं खोया और शांति व अनुशासन के मार्ग को नहीं छोड़ा। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार ने अगर हठीला रवैया नहीं अपनाया होता तो आज कुछ मांगें तो होती ही नहीं। न मुकदमे वापस लेने की मांग आती, क्योंकि तब तक किसानों पर झूठे मुकदमे दर्ज नहीं हुए थे। न ही इस आंदोलन में अपनी जान की कुर्बानी देने वाले करीब 700 किसानों को आर्थिक मदद और नौकरी देने की मांग होती, क्योंकि उन किसानों के परिवार में अंधेरा नहीं होता, करीब 700 परिवारों के चिराग नहीं बुझते। न लखीमपुर खीरी कांड होता न गृह राज्य मंत्री के इस्तीफा देने की मांग उठती। उन्होंने सरकार को चेताया कि एक वर्ष से ज्यादा समय तक चले किसान आंदोलन से एक बात सरकार को अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि देश का किसान जब ठान लेता है तो फिर वो न रुकता है, न झुकता है।

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