सैलजा और शाहबाद

कई दफा की सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैलजा इस दफा हरियाणा विधानसभा का चुनाव लड़ सकती है। हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष सैलजा के बारे में ऐसी चर्चा है कि वो आगामी चुनाव कुरूक्षेत्र जिले की शाहबाद सीट से लड़ सकती है। चंूकि चुनाव में अभी समय है,इसलिए स्थितियां कई दफा ऐन मौके पर बदल भी जाया करती है। बहराल सैलजा के कई समर्थकों का ऐसा मानना है कि अगर वो शाहबाद से चुनाव लड़ती हैं तो ये सीट उनके लिए सेफ साबित हो सकती है। सैलजा के कई चाहने वालों ने इस सीट पर अभी से सर्वे शुरू कर दिया है कि अगर वो यहां से चुनाव मैदान में उतरती हैं तो ये सीट उनके लिए कितनी अनुकूल रह सकती है। जैसा कि सियासत में होता भी है कि ये समर्थक ही आने वाले समय में अपने नेता को न्यौता दे कर बुलाया करते हैं। उन पर चुनाव लड़ने के लिए दबाव बनाया करते हैं। इस सियासी कारोबार की सारी रस्में निभाया करते हैं। और नेता लोग तो रहमदिल हुआ ही करते हैं। अपने चाहने वालों की इच्छाओं का सम्मान किया करते हैं।

हैडकांस्टेबल से सीएम की बातचीत

कभी कभी कुछ लोग जाने अंजाने में सरकारों के सिस्टम की पोल खोल देते हैं। वो कह देते हैं जो उनको कहने से आमतौर पर बचना चाहिए। बेचारों की गलती ये है कि वो सच बोल देते हैं। उनको ये मालूम ही नहीं होता कि उनके सच बोलने के कितने दुष्प्रभाव हो सकते हैं। वो इतने भोले होते हैं कि जो देखते हैं, बिना लाग लपेट के मन की बात कह देते हैं। उनको इसकी समझ नहीं होती कि किस मंच से क्या कहना है और क्या नहीं। जैसे कि जैसे कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल हरियाणा के क्लास वन अफसरों के साथ आनलाइन संवाद कर रहे थे। प्रदेश के समस्त अफसर अपने फोन से इस बातचीत के कार्यक्रम में जुड़े थे।

इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री का आमना सामना करनाल के एक डीएसपी आजाद सिंह से होना तय था। अब जैसा नाम वैसे गुण। आजाद तो अपना फोन किसी हैड कांस्टेबल को देकर शायद आजादी का त्यौहार मनाने में व्यस्त हो गए। उधर से मुख्यमंत्री का इन आजाद सिंह को फोन आ गया। आजाद सिंह का फोन था हैड कांस्टेबल के पास। हैड कांस्टेबल ने मुख्यमंत्री को बताया कि मैं करनाल में इंद्री से बोल रहा हंू। सीएम सिटी करनाल का नाम सुन कर सीएम ने भी उनसे अपनापन दिखाते हुए कि कहा कि आप तो बहुत प्यारे आदमी हो जो करनाल से बोल रहे हो। उधर, हैड कांस्टेबल ने झट से अपनी व्यथा सुनानी शुरू कर दी। जो सरकार आईटी आईटी का शोर मचाती रहती है उस सरकार में आईटी सिस्टम की जमीनी असलियत क्या है, ये विस्तार से बतानी शुरू कर दी। वो बोला-सर, मैं इंद्री में लगा हुआ हंू। मित्रकक्ष में लगा हुआ हंू। हमारे यहां पब्लिक को कोई फैसलिटी नहीं मिल रही। हमारी सारी साइट ठप्प पड़ी है। हमारा सीसीटीएनएस सिस्टम काम नहीं कर रहा। इस सिस्टम को क्राइम एंड क्रिमनल ट्रैकिंग नैटवर्क सिंस्टम कहा जाता है। इसके जरिए ही थाने-पुलिस में आनलाइन काम निपटाए जाते हैं। सर, मैंने एसपी साहब को भी बोला था,लेकिन समस्या का निदान नहीं हुआ।

इस पर सीएम ने कहा कि वो करनाल के डीसी निशांत यादव को कहेंगे कि इस समस्या का निदान किया जाए। निशांत यादव भी चंूकि इस सारे कार्यक्रम से आनलाइन जुड़े हुए थे सो सीएम ने उनको कह दिया कि इस मामले का समाधान करवाया जाए। हैडकांस्टेबल ने जिस तरह से असलियत शीर्ष स्तर पर उजागर की उस से लगता है कि बहुत दफा ऊपर बैठ कर जितनी हसीन तस्वीर दिखाई-बनाई जाती है,हकीकत में हालात एकदम उल्ट होते हैं। इन हैडकांस्टेबल की सादगी को नमन करते हुए यही कहा जा सकता है:

गुनगुनाते हुए आंचल की हवा दे मुझ को
उंगलियां फेर बालों में सुला दे मुझ को
जिस जिस तरह फालतू गुल-दान पड़े रहते हैं
अपने घर के किसी कोने से लगा दे मुझ को
याद कर के मुझे तकलीफ ही होती होगी
एक किस्सा हंू पुराना सा भुला दे मुझ को

एचसीएस एसोसिएशन और विजिलेंस

एक एचसीएस अधिकारी अमरेंद्र सिंह को हरियाणा विजिलेंस वालों ने रिश्वतखोरी के आरोपों में अरैस्ट कर लिया। कई एचसीएस को ऐसा लगता हे कि जिस तरह से-जिस आधार पर-जिस अंदाज में अमरेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया गया उस पर तो बहुत से अफसरों को जेल का रास्ता दिखाया जा सकता है। उनको लगता है कि ये अमरेंद्र सिंह के साथ विजिलेंस वालों ने धक्केशाही की है। एचसीएस अफसरों के व्हाटसअप ग्रुप पर भी इस प्रकरण की काफी चर्चा हुई। हो हल्ला हुआ। ये भी कहा गया कि कि इस मामले को एचसीएस एसोसिएशन को शीर्ष स्तर पर उठाना चाहिए। अब उठाए कौन-कैसे? एचसीएस एसोसिएशन तो है ही बिना प्रधान के। ये हुआ कि चुनाव करवाए जाए-नया प्रधान बनाया जाए जो इस मुददे को जोर शोर से सरकार के समक्ष उठाए। मीटिंग बुलाई जाए। एक-दो सीनियर एचसीएस अधिकारियों को प्रधानगी सौंपने-बनाने की पेशकश की गई,लेकिन अभी तक इन में से किसी ने सहमति नहीं दिखाई। जितनी तेजी से स्पीड पकड़ी गई थी वैसे परिणाम आए नहीं। ऐसे मामलों में अक्सर ऐसा ही हुआ करता भी है।

इस मामले से पहले सक्रेटरी आरटीए के एचसीएस के कैडर पदों पर गैर एचसीएस अफसर लगाने के खिलाफ एचसीएस एसोसिएशन ने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। इस कारण सरकार एसोसिएशन की तत्कालीन प्रधान वंदना दिसौदिया से नाराज भी हो गई थी। उनका तबादला भी करनाल कर दिया गया था, जबकि वो पारिवारिक कारणों से चंडीगढ या इसके आसपास ही रहने की इच्छुक थी। हालात को समझते हुए वंदना ने एसोसिएशन की प्रधानगी का त्याग किया तभी उनका तबादला चंडीगढ किया गया। वंदना के इस्तीफे के बाद से एचसीएस एसोएिसशन बिना प्रधान के ही चल रही है। अब देखें कब नया प्रधान आता है और वो क्या कर पाता है? एचसीएस अफसरों को ये लगता है कि सक्रेटरी आरटीए आफिस में पुलिस के अफसर और कर्मचारी भी लगे हुए हैं। इनमें से कई खुल कर खेल रहे हैं। खूब माल बना रहे हैं,लेकिन विजिलेंस वाले भाईचारा निभाते हुए इन पुलिस वालों के खिलाफ एक्शन नहीं ले रहे और एचसीएस अफसरों को जानबूझ कर निशाना बना रहे हैं।

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