स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन पर चर्चा करना भी सत्संग से कम नहीं. साधु-संत और कथावाचक भी स्वतंत्रता सेनानियों पर जरूर करें चर्चा. नेताजी सुभाष चंद्र सहित स्वतंत्रता सेनानियों का भारत रहेगा ऋणी. दिल्ली में इंडिया गेट पर नेताजी की प्रतिमा लगाना ऐतिहासिक फैसला फतह सिंह उजाला पटौदी । सुभाष चंद्र बोस अपने आप में ही एक पूरी फौज के बराबर थे । वास्तव में सुभाष चंद्र बोस जिन्हें की देश और विदेश में नेताजी के नाम से पुकारा जाता है, वह वास्तव में कालजयी योद्धा रहे हैं । ऐसे योद्धा दुर्लभ और शताब्दियों में सौभाग्य से ही किसी राष्ट्र को मिलते हैं । आज 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती मनाई जा रही है , यह प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व और सम्मान की बात है । एक माह की कठोर कल्पवास साधना पर बैठे वेद पुराणों के मर्मज्ञ संस्कृत के प्रकांड विद्वान और समाज सुधारक चिंतक महामंडलेश्वर धर्मदेव महाराज में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती के उपलक्ष पर विशेष चर्चा के दौरान अपने मनोभावों व्यक्त करते हुए यह बात कही। इस मौके पर अनेक अनुयाई और श्रद्धालु भी मौजूद रहे । महामंडलेश्वर धर्मदेव महाराज ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भारत को आजाद कराने की जो दृढ़ इच्छा शक्ति रही, ऐसी ही इच्छा शक्ति आज की युवा पीढ़ी में भी होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से साधु-संत, प्रकांड विद्वान, तपस्वी मुनि विभिन्न स्थानों पर धार्मिक आयोजन-समागम में भारतीय सनातन संस्कृति संस्कार का प्रचार प्रसार करते आ रहे हैं । अब समय की जरूरत है कि ऐसे किसी भी आयोजन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस, शहीद भगत सिंह, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद, मंगल पांडे, लाला लाजपत राय, अशफाक उल्ला खान, रानी लक्ष्मीबाई सहित तमाम ऐसे वीर योद्धा, स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा राष्ट्रहित सहित भारत की आजादी के लिए किए गए संघर्ष और दिए गए अपने बलिदान के विषय में भी अवश्य बताया जाना चाहिए । जिससे कि हमारी आज की युवा पीढ़ी और आने वाली युवा पीढ़ी को यह मालूम हो सके कि आजादी किस प्रकार से, किन हालात में और कैसे-कैसे संघर्ष के बाद में मिल सकी है । उन्होंने कहा आज बेहद खुशी और गर्व का विषय यह है कि पूरे देश में नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनके द्वारा गठित आजाद हिंद फौज के जांबाज सैनिकों की बदौलत हम जो आजादी की सांस ले रहे हैं, उसके विषय में कार्यक्रम करते हुए एक प्रकार से आजादी के बाद पहली बार नई आजादी के संकल्प का जन जागरण अभियान चलाया गया । महामंडलेश्वर धंर्मदेव महाराज ने कहा कि पीएम मोदी के द्वारा इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित करने का जो फैसला किया गया है, इसको दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में ही देखा जाना चाहिए । नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सम्मान के लिए इंडिया गेट से बेहतर अन्य कोई भी स्थान नहीं हो सकता है । उन्होंने कहा 1815 से लेकर 2022 तक देश की सीमा पर, देश की सीमा से बाहर और देश के अंदर विभिन्न सुरक्षा बलों में काम करने वाले अनगिनत लोगों के द्वारा देश की आंतरिक और सीमांत सुरक्षा के लिए अपना बलिदान हंसते-हंसते दे दिया गया। ऐसा किया जाने के लिए सही मायने में फौलादी इरादे और बहुत बड़ा जिगर होना जरूरी है। उन्होंने कहा वैसे तो गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के अलावा आजादी के आंदोलन में अपना सर्वाेच्च बलिदान करने वाले योद्धाओं को उनके जन्मोत्सव या फिर पुण्यतिथि पर ही याद किया जाता है। लेकिन समय की जरूरत बनी हुई है कि इन सभी योद्धाओं को नियमित रूप से याद करते हुए इनके द्वारा जो बहादुरी दिखाई गई आजादी के लिए जिस प्रकार का संघर्ष किया गया उसके विषय में प्रतिदिन आज के युवा वर्ग को बताया जाने की जरूरत है । उन्होंने कहा वही समाज और वही राष्ट्र तरक्की करते हुए सुरक्षित रह सकता है, जोकि अपने स्वतंत्रता सेनानियों का दलगत राजनीति से ऊपर उठकर दिल से सम्मान करते हुए ऐसे योद्धाओं के जीवन आदर्शों को आत्मसात करने का संकल्पित हो । महामंडलेश्वर धर्मदेव महाराज ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों , शहीदों को जन्म देने वाली जननी को भी हम नजरअंदाज नहीं कर सकते। ऐसी तमाम जननी भी हम सभी के लिए पूजनीय हैं , जोकि अपनी कोख से ऐसे योद्धाओं को जन्म देती हैं जो योद्धा देश की सीमा पर जाकर या फिर अन्य युद्धक स्थिति में हंसते हंसते शहादत को स्वीकार कर अपना सर्वाेच्च बलिदान देने में बिल्कुल भी नहीं हिचकते हैं। उन्होंने पराक्रम दिवस के मौके पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस सहित अन्य साथी ज्ञात-अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों को श्रद्धा पूर्वक नमन करते हुए कहा इनका ऋण किसी भी कीमत पर नहीं चुकाया जा सकता। Post navigation नेताजी सुभाष की याद में पराक्रम दिवस और तिरंगे का यह सम्मान ! पराक्रम दिवस स्वतंत्रा सेनानी परिजनों को किया सम्मानित