पहाड़ी क्षेत्र में  चेक बांध ही जल संरक्षण और जल संग्रह के प्रभावशाली स्त्रोत 

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल। नांगल चौधरी के अरावली क्षेत्र  की जल व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए क्षेत्र में  पहाड़ों की तलहटी में बने चेक बांधों के  सुदृढ़ीकरण की प्रक्रिया अगले वर्ष में भी जारी रखी जाएगी। पिछले साल में 11 बांधों का सुदृढ़ीकरण किया जा चुका है। इस वर्ष भी 6 बांधों को पक्का किए जाने  की स्वीकृति सरकार से  हुई है। इसमें  मुसनोता, नायण, नियामतपुर ,और  लूजोता गांवों के बांध सम्मिलित हैं। इस प्रक्रिया में बांध के चारों तरफ आरसीसी का फ्रेम बना कर बीच में स्टोन पिचिंग के साथ प्लास्टर किया जाता है। इस व्यवस्था में बांध की ऐसी मजबूती सुनिश्चित की जाती है कि वर्षा की ऋतु में पूरा भरने के बाद भी बांध टूटने का खतरा ना रहे।

इस संबंध में डॉ अभय सिंह यादव ने बताया कि  अच्छी बारिश की स्थिति में इन बांधों में काफी पानी इकट्ठा होता है। इससे इस क्षेत्र  का भूमिगत जल रिचार्ज होता है और किसान को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होता है। इनमें से अधिकांश बांध मिट्टी के बने हुए हैं। अतः जब भी क्षेत्र में भारी बारिश होती है तो यह बांध अक्सर टूटते रहते हैं। इसलिए इन बांधों को बारी बारी पक्का करने की प्रक्रिया चालू की गई है।  इस प्रकार इस वर्ष के अंत तक कुल  सत्रह बांधों के सुदृढ़ीकरण का कार्य पूरा हो जाएगा। नांगल चौधरी क्षेत्र के शेष बांधों को भी  पक्का करवाने की प्रक्रिया अगले वर्षों में भी जारी रहेगी। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से नहरों की व्यवस्था भी नहीं है। अतः पहाड़ी क्षेत्र में  चेक बांध ही जल संरक्षण और जल संग्रह के प्रभावशाली स्त्रोत  हैं।

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