एसडीएम के आदेश कार्यकारी अधिकारी के लिए कोई मायने नहीं रखते

सोहना बाबू सिंगला

लोगों की समस्या का समाधान करने के लिए एसडीएम साहब कितना भी प्रयास करले लेकिन नगर परिषद में कार्य कर रहे कार्यकारी अधिकारी अतर सिंह के लिए कोई मायने नहीं रखते हैं उन्हें अपने मन मुताबिक कार्य करना है चाहे लोग कितना भी स्थानीय प्रशासन से अपनी शिकायत करें कोई लेना-देना नहीं नगर परिषद के अंतर्गत शहर के मुख्य बाजारों में लोगों की समस्या प्रतिदिन बाजारों में जाम लगना शहर के मुख्य चौक पर गंदगी का आलम जमा होना नगर परिषद कार्यालय के पास बना शौचालय लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ है लेकिन नगर परिषद की अवधारणा आज तक भी कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है.

एसडीएम जितेंद्र कुमार गर्ग के नेतृत्व में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाता है तो खानापूर्ति बनकर रह जाता है उसके बाद नगर परिषद विभाग अपने कार्यालय तक ही सिमट कर रह जाता है उन्हें कोई जरूरत नहीं पड़ती कि लोगों की समस्या का समाधान करना है शहर में चारों तरफ अतिक्रमण पहले की भांति बना रहता है रोड पर अवैध तरीके से गाड़ियां खड़ी रहती हैं रात्रि के समय शहर में अधिकांश अंधेरा ही अंधेरा छाया रहता है जो लाइट लगी हुई है ठीक होने के बाद कुछ दिन ही चलती है उसके बाद खराब होने पर ठीक कराने का नाम नहीं लेते नगर परिषद विभाग में कोई भी ऐसा कर्मचारी अधिकारी नहीं है जो लोगों की समस्या के प्रति गंभीर हो जिसके कारण आम नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है समस्या काफी बनी हुई लेकिन समाधान करने वाला कोई नहीं दिखाई देता है.

शहर में होने वाली मुख्य समस्याएं प्रतिदिन बाजारों में जाम की स्थिति बनना शहर के चौक पर गंदी का आलम बना रहना रात्रि के समय अधिकांश बिजली गुल रहना आम नागरिकों के लिए यह मुख्य समस्याएं काफी समय से बनी हुई है लेकिन आज तक भी इसका पुख्ता इंतजाम नहीं किया गया है इतना ही नहीं सीएम विंडो में लगाई गई शिकायत के प्रति कार्यकारी अधिकारी अतर सिंह अपना पीछा छुड़ाने के लिए शिकायतकर्ता को अपने कार्यालय में बुलाकर सीएम विंडो द्वारा की गई शिकायत पर गुमराह करके आश्वासन देकर हस्ताक्षर कराकर अपनी कार्रवाई पूरी कर लेते हैं लेकिन लोगों की समस्या का समाधान कराने में ध्यान नहीं देते हैं क्योंकि उन्हें तो केवल सीएम विंडो की शिकायत को पूरी कराना होता है.

इतना ही नहीं नगर परिषद कार्यालय के बाहर बना शौचालय जिसका गंदा पानी सड़क पर बहता रहता है एसडीएम के आदेश के बाद भी आज तक भी शौचालय को हटाने की और ध्यान नहीं दिया गया है जिसके कारण आने जाने वाले लोगों को खुले रूप में कर रहे लोग बाथरूम के चलते शर्म से सिर झुकाने को मजबूर होना पड़ रहा है लेकिन कार्यकारी अधिकारी को इसकी कोई परवाह नहीं है आश्वासन देते हैं समाधान के प्रति कोई ध्यान नहीं देते ऐसा होने से आम नागरिकों को कार्यकारी अधिकारी के प्रति भारी रोष बना हुआ है लोगों को ऐसा आश्वासन देने के बाद भी जल्द काम ना होने पर अपने आपको महसूस होना पड़ता है एसडीएम कार्यालय के अनुसार बताया कि कार्यकारी अधिकारी अतर सिंह ने 1 सप्ताह में शौचालय हटाने के लिए आश्वासन दिया था लेकिन आज तक भी नहीं हटाया गया उनका आश्वासन झूठा पाया गया

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