भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। अभी कोरोना के पुराने कहर से उबर भी नहीं पाई थी जनता, अब कोरोना ने फिर कहर बरपा दिया। हरियाणा सरकार ने महामारी अलर्ट-सुरक्षित हरियाणा लगा दिया है और अचंभित करने वाली बात यह है कि गुरुग्राम में पूरे हरियाणा के आधे केस मिल रहे हैं अर्थात जितने अकेले गुरुग्राम में उतने शेष हरियाणा में।

सबको वैक्सीन लगने के पश्चात गुरुग्राम पर इतना कहर क्यों?

पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री की ओर से ब्यान आए थे कि गुरुग्राम में 130 प्रतिशत वैक्सीन की पहली डोज लगा दी गई है और सौ प्रतिशत दूसरी डोज लगा दी गई है। उसके पश्चात भी वैक्सीनेशन सेंटरों पर वैक्सीन लगवाने वालों की लाइनें लगी हुई हैं। समझ नहीं आता कि जब सबको वैक्सीन लग चुकी हैं तो ये लोग कौन हैं, जो वैक्सीन लगवाने पहुंच रहे हैं? फिर बड़ा प्रश्न यह भी है कि जो इतनी बड़ी संख्या में मरीज आ रहे हैं और अब जो 4220 एक्टिव कोरोना के मरीज हैं, क्या उन्हें वैक्सीन लगी है या नहीं? प्रश्न यह खड़ा होता है कि या तो वैक्सीन लगने के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के आंकड़े गलत हैं और या फिर वैक्सीन लगने के बाद भी कोरोना लोगों को पकड़ रहा है?

दूसरी ओर सरकार की ओर से महामारी अलर्ट जारी कर दिया गया है लेकिन लगता ऐसा है कि वह केवल जनता के लिए है। भाजपा अधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं के लिए नहीं, क्योंकि जो भाजपा कार्यकर्ताओं की विज्ञप्तियां आ रही हैं, उनमें जो फोटो वह भेज रहे हैं, उनमें स्पष्ट दिखाई देता है कि वह कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर रहे हैं। और यदि कानून सबके लिए बराबर है तो प्रशासनिक अधिकारी जो चालान कर रहे हैं, वह उन फोटोज के आधार पर उन पर चालान करें। आज भी सूरजपाल अम्मू एक सामाजिक कार्यक्रम में दिखाई दे रहे हैं कोरोना के नियमों का उल्लंघन करते हुए। इसी प्रकार आज हुए भाजपा के एक कार्यक्रम में चिकित्सा प्रकोष्ठ की कार्यकारिणी का गठन हुआ। चिकित्सा शब्द से मन में अपने आप यह विचार आता है कि यह लोग तो कोरोना प्रोटोकॉल का उदाहरण पेश करेंगे और लोगों को भी प्रोटोकॉल निभाने के लिए प्रेरित करेंगे लेकिन ऐसा कुछ दिखाई नहीं दिया।

इसी प्रकार भाजपा का दल काला पानी से शहीदों की मिट्टी लेकर आया था। उसके वितरण के समय भी कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया, जिसके चित्र भी लगभग सभी अखबारों में प्रकाशित हुए और सूचना है कि उस दल में से आए हुए कुछ व्यक्ति तो कोरोना पीडि़त पाए गए हैं और अधिकांश ने जांच ही नहीं कराई है और वह घर में ही आराम करना पसंद कर रहे हैं।वर्तमान परिस्थितियों में सरकार खुद मान रही है कि कोरोना ने भयंकर रूप धारण कर लिया है। चार जिलों से बढ़ाकर 11 जिलों में सरकार को विशेष पाबंदियां लगानी पड़ी हैं और सरकार की ओर से अपील जारी की गई है स्वयंसेवी संस्थाओं से कि वे लोगों को मास्क इत्यादि बांटें। ऐसे में प्रश्न उठता है कि स्वयंसेवी संस्थाएं तो अपना काम करेंगी ही, क्योंकि उनके अपने मन में यदि मानवता के लिए दर्द होगा तो वह करेंगी, साथ ही यह भी आवश्यक है कि मन में दर्द तो है लेकिन दो साल से कोरोना की वजह से मंदे की मार झेल रहे लोगों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होनी चाहिए?

महामारी अलर्ट-सुरक्षित हरियाणा का सबसे बड़ा असर गरीब तबके पर पड़ता है, क्योंकि उनके रोजगार में कमी आती है और कई स्थानों पर तो उनकी रोटी के लाले भी पड़ जाते हैं। ऐसे में प्रश्न सत्तारूढ़ दल से ही किए जाएंगे, क्योंकि यह माना जाता है कि उसका कर्तव्य भी होता है और वह सक्षम भी होते हैं। इसीलिए मैं जानना चाहूंगा कि विश्व के सबसे बड़े राजनैतिक दल भाजपा की स्थानीय ईकाई ने अब तक क्या इस गरीब तबके की मदद के बारे में सोचा? जिले के विधायकों ने इस बारे में कोई कदम उठाए? आज भी चिकित्सा प्रकोष्ठ का विस्तार तो किया भाजपा इकाई ने लेकिन चिकित्सा प्रकोष्ठ को यह जिम्मेदारियां नहीं लगाईं कि ऐसे वह जाकर पीडि़त व्यक्तियों की कुछ मदद करें? क्या हम मान सकते हैं कि इन लोगों में समाज की ओर देखने की दृष्टि है? आप भी सोचिए, इस विषय के बारे में।

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