सांसद खेर ने कुर्सी पर बैठाया, ‘आप’ ने किया जोरदार विरोध कर काटा बवाल

चंडीगढ़ – चंडीगढ़ मेयर चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर बाजी मार ली है। सर्बजीत कौर नई मेयर चुनी गई हैं। उन्हें 14 वोट मिले और जीत का ऐलान होते ही सांसद किरण खेर ने उन्हें कुर्सी पर बैठाया। वहीं इस जीत के विरोध में आम आदमी पार्टी ने जमकर हंगामा किया। सदन में आप की तरफ से खूब बवाल काटा गया। क्योंकि आप उम्मीदवार को 13 वोट मिले। एक वोट अमान्य घोषित किया गया है।

सुबह 11 बजे नगर निगम सदन में चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई थी। सबसे पहले सांसद किरण खेर ने वोट डाला, लेकिन आम आदमी पार्टी ने उनके वोट डालने का विरोध किया। मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर चुने गए हैं। वहीं नया मेयर मिलने के साथ ही शहर में पिछले 15 दिन से जारी सियासी उठापटक पर विराम लगा गया। आप-भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला था।

भाजपा-आप के पास 14-14 पार्षद थे। सांसद किरण खेर के वोट से और हरप्रीत कौर बबला के भाजपा में जाने से भाजपा के पास 14 पार्षद हुए थे। कांग्रेस और अकाली दल ने चुनाव में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था।कांग्रेस और शिअद सिर्फ दर्शक की भूमिका में रहे। एक जनवरी को सभी नए 35 पार्षद शपथ भी ले चुके हैं।

यह थे दोनों पार्टियों के उम्मीदवार

आम आदमी पार्टी ने मेयर पद के लिए अंजू कत्याल, सीनियर डिप्टी मेयर के लिए प्रेम लता और डिप्टी मेयर के लिए रामंचद्र यादव का नाम घोषित किया था। जबकि भाजपा से मेयर के लिए पूर्व पार्षद जगतार सिंह जग्गा की पत्नी सरबजीत कौर, सीनियर डिप्टी मेयर के लिए दलीप शर्मा, डिप्टी मेयर पद पर अनूप गुप्ता ने नामांकन दाखिल किया था। वहीं दोनों पार्टियां ने एक दूसरे पर पार्षदों की खरीद फरोख्त के आरोप भी लगाए थे।

चुनाव परिणाम और उसके बाद ऐसे हालात रहे थे

नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी पहली बार उतरी और बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। आप ने 14, भाजपा ने 12, कांग्रेस ने 8 और 1 सीट अकाली दल ने जीती थी। कांग्रेस अध्यक्ष से विवाद के चलते पार्टी ने देवेंद्र सिंह बबला को बाहर का रास्ता दिखाया तो वे अपनी नवनिर्वाचित पार्षद पत्नी हरप्रीत कौर बबला के साथ भाजपा में शामिल हो गए हैं। इससे कांग्रेस के महज 7 पार्षद रह गए और भाजपा के पार्षद 13 हो गए थे। लेकिन चुनाव जीतने के बावजूद आप मेयर चुनाव में हार से बौखलाई हुई है।

तीनों पार्टियों ने पार्षदों को रखा सुरक्षित

चुनाव परिणाम आने के बाद तीनों पार्टियों को पार्षदों की खरीद फरोख्त होने का डर था। इसलिए तीनों पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों को सुरक्षित रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी। भाजपा अपने 13 पार्षदों को लेकर पहले कसौली और फिर शिमला चली गई थी। कांग्रेस अपने उम्मीदवारों को लेकर जयपुर गई थी। आम आदमी पार्टी के पार्षद भी हिमाचल में ठहरे हुए थे। लेकिन पहले आप पार्षदों को दिल्ली लेकर गई थी और उन्हें सीसीटीवी की निगरानी में रखा था। आप-भाजपा पार्षद शुक्रवार देर रात ही चंडीगढ़ पहुंचे थे। कांग्रेस के पार्षद शनिवार सुबह जयपुर से चले थे।

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