पंच सरपंच बनने के इच्छुक लोग हैं उन्हे बनने से पूर्व पंचायती राज व्यवस्था के बारे अवश्य जानना चाहिए: गोमला

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल । बिना जानकारी की जिम्मेदारी बन्दर के हाथ के उस उस्तरे की तरह है जिससे वह नुकसान ही करता है | इसलिए जो भी पंच सरपंच बनने के इच्छुक लोग हैं उन्हे बनने से पूर्व पंचायती राज व्यवस्था के बारे अवश्य जानना चाहिए | सिंघानिया विश्वविद्यालय के तत्वावधान में पंचायती राज विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम गोमला ने बतौर मुख्य वक्ता गाँव पाली में आयोजित एक प्रशिक्षण शिविर में आए प्रशिक्षुओं से उक्त बात कही |

उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधान देश भारत का विकास पंचायती राज विकास से ही संभव है | ऐसा विकास केवल योग्य और शिक्षित प्रतिनिधि ही करा सकता है | यह दुर्भाग्य का विषय है कि अस्सी फ़ीसद से ज्यादा ग्रामीण-प्रतिनिधियों को विषय का बोध ही नही है |

 उन्होने जानकारी दी कि पंचायती राज बहुत लम्बा सफ़र तय़ करने के बावजूद अभी तक परिपक्व स्थिति में नही आ पाई | अग्यानता के अभाव में व्यवस्था मूल विषय से भटक के कगार पर है इसलिए प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से जागरूकता लाना अति आवश्यक है |

उन्होने जानकारी देते हुए बताया कि पंचायती राज 1882 से शुरू हुए स्थानीय स्वशासन से 73 वेँ संवैधानिक संशोधन तक बड़े उतार चढ़ाव से गुजरा है | उन्होने बताया कि आजादी के बाद सामुदायिक सहभागिता से शुरू होकर 2 अक्टूबर 1959 को राजस्थान के नागौर जिले से पंचायती राज की शुरुआत की जिसमें अनेक सुधारों के बाद 1993 में 73 वेँ संवैधानिक संशोधन के बाद पंचायती राज संवैधानिक दर्जा मिला | 

उन्होने बताया कि उक्त संवैधानिक संशोधन में ग्रामसभा को प्रमुखता दी गई, वहीँ अनुसूचित जाति एवं जनजातीय आरक्षण की व्यवस्था की गई | महिलाओँ के आरक्षण के साथ साथ वित्तायोग का गठन कर पंचायतों की पांच साल की अवधि तय की गई |

उन्होने कहा कि सरपंच गांव का सर्वेसर्वा होता है इसलिए उसे हमेशा सर्वहितार्थ गाँव के विकास हेतु कदम उठाने चाहिए तथा इसके लिए पंचायती राज अधिनियम की जानकारी लेना अति आवश्यक है |

इस अवसर पर  मौजूद थे  | उन्होने  भूमि अधिनियम बारे भी जानकारी दी |

इसी के साथ साथ सिंघानिया विश्वविद्यालय के अस्पताल की ओर से आंखों व अन्य सामान्य बीमारियों की मुफ़्त जाँच व दवाइयां दी | जिसमें दो सौ चालीस लोगों ने लाभ लिया  |शिविर में सरकारी अस्पताल की ओर से कोविड जाँच की व लोगों को वैक्सीन लगाई गई | जिसमें लगभग दो सौ लोगों का पंजीकरण हुआ |

डाक्टर एस एल सैनी, डाक्टर कल्पना कालेर डाक्टर के सी पूनिया, डाक्टर रविन्द्र यादव, डाक्टर हमजिया, सरकारी अस्पताल की ओर से ममता , फ़तेहसिंह व मन्जीत, संदीप सिंह,अवधेश, कुलदीप, पंचायत समिति महेन्द्रगढ़ के पूर्व चेयरमैन , रमेश खिच्ची चेयरमैन , सामाजिक कार्यकर्ता विनोद पाली, मा. सुरेन्द्र गाहडा, महेश शर्मा, मंदीप तँवर खेडी, अजीत सिंह सरपंच,  पंचायत समिति सदस्य कन्वरसिंह, रमेश सैनी, सुरेन्द्र झूक, बाबुलाल सीसोथ, कप्तान शेरसिंह, देश्राज फ़ौजी, काशीराम, अशोक, सुबेदार दाताराम , रामबीर, अनिल आदि मौजूद थे |

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