नया साल तो तब है जब व्यक्ति के जीवन में कुछ नया हो: योग स्वपन
भिवानी, 4 दिसंबर। स्वपन धारा ध्यान मंदिर द्वारा प्रत्येक रविवार को लगाए जाने वाले नि:शुल्क ध्यान साधना शिविर का आयोजन माँ योग स्वपन द्वारा किया गया और नववर्ष का उत्सव बहुत धूम धाम से मनाया गया। जिसका शुभारंभ मुख्य अतिथि इंडियन नेशनल लोकदल के शहरी प्रधान अनिल कठपालिया ने दीप प्रज्वलित कर के किया और स्वपन धारा में हो रहे इस शिविर की बहुत सराहना की । वहां उपस्थित सभी मित्रों को ध्यान के लिए प्रेरित भी किया। स्वपन धारा परिवार उनका तहे दिल से धन्यवाद करती है।
इस कार्यक्रम में माँ योग स्वपन ने पृथ्वी पर आ रही महामारी के लिए सभी साधको के साथ मिलकर पूरे विश्व के लिए मंगलकामना की और सभी साधको को बताया कि नया साल एक कैलेंडर बदलने से ज्यादा और क्या है। नया तो तब है जब व्यक्ति के जीवन में कुछ नया हो।लेकिन सिर्फ साल बदलता है हम तो वही पुराने रहते हैं। बाहर से बदलना कोई मायने नहीं रखता नयापन हमारे भीतर आना चाहिए जो ध्यान के जरिये ही आता है।उन्होंने कहा नवीनता हर पल हर लम्हे में है यहां दुबारा कुछ होता ही नहीं।प्रकृति हर पल नई है हमे हर पल नवीनता के साथ जीना है जो पल हमारे सामने है हमेशा नया है।हमे हर पल नवीनता के साथ जीने की कला सीखनी हैं और पूरे जीवन को उत्सवमय मनाना है।नया साल हमारे लिए एक अवसर है ये देख पाने का की ये जीवन बिता जा रहा है कैलेंडर बदल रहें है ,साल बदल रहें हैं।जीवन का कोई उपयोग करना है या नहीं। हम सबके पास वक्त बहुत सीमित है। नए साल पर हमें ठहरकर देखना है कि अब तक जो जीया कैसे जीया, क्यों जीया।उसमे ऐसा हम और क्या जोड़े की जीवन और सुंदर हो। जीवन में और शुभता उतरे। उत्सव तभी महत्वपूर्ण है जब हमारे पूरे जीवन पर फैल जाए।
जीवन बीतता रहता है कैलेंडर बदलते रहते हैं।हमारे भीतर कुछ है जो नहीं बदलता जो शाश्वत है। हमे उसी को जानना है । तभी हमारा पूरा जीवन नया होगा। हमे अपने जीवन के हर पल,हर क्षण, को सेलिब्रेट करने की कला सीखनी है। पता नहीं आगे क्या होने वाला हैं एक साल का इंतजार करें फिर उत्सव मनाये। ये जरूरी नहीं हैं हर क्षण का उत्सव मनाने की कला सीखनी है।जीवन को गहरे प्रेम,गहरी शांति,गहरे आनंद से भर कर जीवन को जीने की कला सीखनी है। जो ध्यान से जूडक़र ही जानी जा सकती है।ध्यान से ही आप वो कला जान पाते है जिससे आपका पूरा जीवन उत्सवमय, आनंदमय हो जाता है।