अरविंद सैनी ….लेखक :पूर्व वरिष्ठ पत्रकार और भाजपा हरियाणा के सह मीडिया प्रमुख हैं

हरियाणा भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ के नेतृत्व में हुई पार्टी प्रतिनिधि मंडल की काला पानी यात्रा भुला दिए गए स्वतंत्रता सेनानियों के दर्द को तो देश के सामने रखती ही है, साथ ही कांग्रेस द्वारा की गई इन सेनानियों की उपेक्षा को भी उजागर करती है। इसे कथित तौर पर कांग्रेस की सोची समझी साजिश भी कहा जा रहा है कि उसने कभी काला पानी में अंग्रेजी क्रूरता के शिकार हुए हजारों आजादी के परवानों की शौर्य गाथाएं बाहर ही नहीं आने दी। हालांकि देश की आजादी के लिए लड़ने वाले उन हजारों वीरों की कहानी आजादी के सात दशक बाद अब सामने आने लगी हैं, जिनको अंग्रेजी सरकार ने इंकलाब का झंडा बुलंद करने पर काला पानी की सजा दी थी। और यह सब हरियाणा भाजपा के कार्यकर्ताओं द्वारा संभव हो रहा है। आजादी के 75वें वर्ष को अमृत महोत्सव के रूप में मना रही भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता काला पानी से लौटकर इन शौर्य गाथाओं को घर-घर पहुंचाने के काम में जुट गए हैं। वैसे तो पूरे देश में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, लेकिन हरियाणा भाजपा ने आगे आकर इन बलिदानियों को इतिहास में जगह दिलाने, देश के सामने इनकी वीरता की सच्ची कहानियां सुनाने की अनोखी पहल की है। इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ को इसका इसका पूरा श्रेय जाता है। धनखड़ के नेतृत्व में हरियाणा के 129 भाजपाईयों की टीम काला पानी की यात्रा करके शनिवार देर शाम ही लौटी है और आते ही प्रदेश भर में बलिदानियों की वह मिट्टी पहुंचाने का कार्य शुरू कर दिया है, जो अंडमान की सेलूलर जेल और वाइपर द्वीप से लाई गई है।

हजारों बलिदानियों का रिकॉर्ड ही उपलब्ध नहीं
काला पानी की यात्रा से लौटे भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश ने एक अंग्रेज की डायरी का हवाला देते हुए बताया कि अंग्रेज द्वारा लिखी गई डायरी के अनुसार ही वर्ष 1874 में 7567, वर्ष 1881 में 11440, वर्ष 1891 में 11718, वर्ष 1901 में 11974, वर्ष 1905 में 14112 और वर्ष 1906 में 14696 भारतीयों को अंग्रेज़ों द्वारा पकड़ कर काला पानी में गया था। मगर वर्ष 1858 से लेकर वर्ष 1910 तक बंदी बनाकर काला पानी भेजे जाने वाले इन सेनानियों के नामों का रिकार्ड भी नहीं है। जबकि एक अंग्रेज द्वारा लिखी गई डायरी से ही यह खुलासा होता है कि यहां देश की आजादी के लिए लड़ने वाले हजारों भारतीयों को बंदी बनाकर लाया गया था। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का आरोप है कि कांग्रेस ने कोशिश की होती तो अंग्रेजी क्रूरता के शिकार हजारों स्वतंत्रता सेनानियों का नाम भी आज देश को पता होता। ओमप्रकाश धनखड़ ने बताया कि काला पानी के वाइपर द्वीप पर 1858 में झांसी के 200 सैनिकों को चेन से बांधकर मारा गया। पुरी, नागालैंड और मणिपुर के राजाओं को भी यहां बंदी बनाकर रखा गया। कराची से 736 लोगों को लाकर यहां सजा दी गई। लेकिन इनका इतिहास में कहीं जिक्र नहीं है।
धनखड़ के मुताबिक कांग्रेस ने इन शहीदों की परवाह की होती तो इनका भी रिकार्ड उपलब्ध हो सकता था, लेकिन कांग्रेस ने कभी इस संबंध में कोशिश भी नहीं की।

वर्ष 1910 के बाद बंदी 120 सेनानियों को भी रखा गया गुमनाम
पोर्ट ब्लेयर से लौटी हरियाणा भाजपा टीम के मुखिया ओमप्रकाश धनखड़ के मुताबिक अंग्रेज़ों ने वर्ष 1910 के बाद स्वतंत्रता के लिए अलग-अलग आंदोलन करने वाले 120 लोगों को भी बंदी बनाकर काला पानी भेजाय गया। इनका रिकार्ड अंडमान की सेलूलर जेल में फोटो सहित उपलब्ध है, लेकिन इन वीरों की कहानी आजादी के बाद भी देश के सामने नहीं आने दी गई। धनखड़ ने वीर सेनानियों की उपेक्षा के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कांग्रेस को बताना चाहिए कि इन शहीदों की गाथाएं देश के सामने क्यों नहीं आने दी।
कांग्रेस ने तिरंगा नहीं लहराने दिया

पोर्ट ब्लेयर से लौटी भाजपा टीम के अनुसार कांग्रेस ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उन जैसे हजारों बलिदानियों के साथ धोखा किया है, जिन्होंने आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। धोखे की मानसिकता वाली कांग्रेस ने जिस स्थान पर नेता जी ने झंडा फहराया था, उस पर प्रतिबंध लगाते हुए इसे ‘डी सेरोमोनियल’ घोषित कर दिया था। नेता जी सुभाष चंद्र बोस द्वारा किए गए क्रांतिकारी कार्यों को भी देश से छुपाया गया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जब 30 दिसंबर 1943 को नेता जी ने आजाद हिंद फौज के मुखिया के नाते अंडमान क्लब पर तिरंगा फहरा दिया तो कांग्रेस ने यहां तिरंगा फहराने पर रोक लगाते हुए इसे डी सेरोमोनियल घोषित कर दिया। अटल बिहारी की सरकार ने झंडा फहराने की इजाजत दी थी, लेकिन अहंकारी कांग्रेस की मनमोहन सरकार आई तो फिर डी सेरोमोनियल घोषित कर दिया गया। इसके बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने आई तो स्वयं मोदी ने 29 दिसंबर 2018 में फ्लैग प्वाइंट पर तिरंगा फहराया और तब से लगातार 30 दिसंबर को यहां तिरंगा फहराया जाने लगा है।

वाइपर आइलैंड के सच से भी अनभिज्ञ है देश
सबसे पहले वर्ष 1858 में झांसी की रानी के 200 वीर सैनिकों को वाइपर टापू पर बंदी बनाया गया था। यह एक खुली जेल थी, जिसे चेन जेल भी कहा गया, क्योंकि यहां जिन झांसी के जिन सैनिकों को बंदी बनाकर लाया रखा गया था, उन्हें एक साथ कई कई सैनिकों को अंग्रेज एक ही चेन से बांधकर छोड़ देते थे ताकि वे तैरकर समुद्र के रास्ते भाग ना सके। बताया जाता है कि इस टापू का वाइपर टापू नाम इसलिए रखा गया, क्योंकि यहां वाइपर प्रजाति के जहरीले सांप होते थे। जिनके बीच स्वतंत्रता सेनानियों को बांधकर छोड़ा गया था। इस द्वीप पर कराची से भी 736 भारतीयों को लाकर उनके साथ क्रूरता की गई। जब इन सेनानियों की मौत हो जाती थी तो उन्हें समंदर में फेंक दिया जाता था। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के मुताबिक कांग्रेस ने वाइपर टापू की हकीकत कभी देश को नहीं बताई। यहां महिला और पुरुष जेल तथा फांसी घर बनाया गया, जहां सैकड़ों लोगों को शहीद किया गया। अनेकों को फांसी पर लटका दिया गया। पुरी के राजा किशन देव सिंह और मणिपुर, नागालैंड के राजाओं को यहां बंदी बनाकर रखा गया, लेकिन भारत की पुस्तकों में इन महान स्वतंत्रता सेनानियों का जिक्र तक नहीं है।

अंग्रेजी क्रूरता को बयां करती है सेलूलर जेल की एक-एक ईंट
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि सेलूलर जेल में एक ऐसा फंदा बनाया हुआ है, जिसमें एक साथ तीन को फांसी दी जाती थी। इस फंदे पर एक लोहे का छल्ला भी है, जिससे स्वतंत्रता सेनानियों की दर्दनाक मौत होती थी। इसके अलावा स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले मतवालों से कोहलू चलवाया जाता था। हाथ बांधकर दीवार से लटका दिया जाता था। उनको कंकर मिला घटिया खाना दिया जाता था। जिस कोठरी में रखा जाता था, स्वतंत्रता सेनानियों को उसी में मल-मूत्र करने को विवश किया जाता था। धनखड़ ने बताया कि सेलूलर जेल में स्वतंत्रता सेनानियों के साथ बहुत अमानवीय व्यवहार होता था, लेकिन आजादी के बाद भी कांग्रेस ने न तो इन बातों का जिक्र बाहर आने दिया और न ही उन क्रांतिकारियों का, जिन्होंने ये सब झेला।

ऐसे हुई सेलूलर जेल के इतिहास को समाप्त करने की कोशिश
धनखड़ ने बताया कि कांग्रेस ने जेल के इतिहास को खंडित करने की कोशिश भी की, जिसके चलते आधी जेल को तुड़वाकर गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल बनवा दिया ताकि सैकड़ों शहीदों और इस जेल का इतिहास दब जाए, लेकिन जब जनता पार्टी की सरकार आई तो मोरारजी देसाई ने वर्ष 1979 में इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर किया गया। भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस ने जेल तोड़कर अस्पताल इसलिए बनाया था ताकि जेल के इतिहास को नष्ट किया जा सके।

कांग्रेस ने वीर सावरकर की पट्टी को हटाया, बीजेपी ने फिर लगाया
धनखड़ ने बताया कि वाजपेयी की सरकार में यहां स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर की पट्टी लगाई थी, जिसमें सावरकर के यह बोल लिखे थे कि हमने यह रास्ता इमोशंस में नहीं चुना, हमको पता था कि इसके क्या परिणाम होंगे, लेकिन वाजपेयी की सरकार जाते ही कांग्रेसी सरकार ने उस सावरकर की पट्टी को हटाकर महात्मा गांधी की पट्टी लगा दी। जबकि गांधी जी कभी काला पानी में आए ही नहीं। जेल में बने ज्योति स्तंभ से सावरकर की पट्टी हटाने पर 2004 में बीजेपी ने सुषमा स्वराज के नेतृत्व में यहां विरोध भी जताया था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने सावरकर जैसे वीर स्वतंत्रता सेनानी का अपमान जारी रखा। अब भाजपा सरकार बनने के बाद खुद अमित शाह ने ज्योति स्तंभ पर फिर से सावरकर की पट्टी लगवा दी है।

….और फांसी से पहले ही कर देते थे अंतिम क्रिया
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि सेलूलर जेल में एक चबूतरा बना हुआ है, जिस पर लिखा हुआ है कि यहां फांसी से पहले अंतिम क्रिया की जाती है। धनखड़ ने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि किसी की फांसी से पहले ही अंतिम क्रिया कर दी जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि दरअसल यहां कोई क्रिया ही नहीं होती थी और फांसी के बाद सीधे स्वतंत्रता सेनानियों को समंदर में फेंक दिया जाता था ताकि उनको अपने देश की मिट्टी भी नसीब न हो सके।

स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की प्रतीक काला पानी की मिट्टी लाकर इन्हें प्रदेश के सभी जिलों के जिलाध्यक्षों को सौंपने का कार्य शुरू कर दिया है। इस बलिदानी मिट्टी और इनकी शौर्य गाथाओं को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं की टीम घर-घर पहुंचेगी ताकि जो देश के लिए मिट गए लोग उनके बारे में जान सके।

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