हरियाणा मंत्रीमंडल में अहीरवाल क्षेत्र के डेढ़ मंत्री, उनके पास भी महत्वहीन विभाग : विद्रोही

रेवाड़ी, 31 दिसम्बर 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार में अहीरवाल-दक्षिणी हरियाणा को मंत्रीमंडल में वह सम्मानजनक भागीदारी नही मिल रही है जिसका वह हकदार है। विद्रोही ने कहा कि अहीरवाल का दक्षिणी हरियाणा यदि भाजपा को 2019 के विधानसभा चुनावों में एकतरफा समर्थन नही करता तो आज न तो हरियाणा में भाजपा की सरकार होती और न हीे मनोहरलाल खट्टर दोबारा मुख्यमंत्री बनते। इस क्षेत्र के लोगों द्वारा भाजपा को एकतरफा जनमसर्थन देने के सुपरिणाम निकलने की बजाय विकास मामलों व मंत्रीमंडल में भागीदारी में भेदभाव किया जा रहा है। आश्चर्य है कि लोगों को भाजपा को दिये जनसमर्थन के प्रसाद के रूप में भेदभाव व अपमान मिलने पर भी अहीरवाल क्षेत्र के लोग की आंखों से संघी अधभक्ति का चश्मा नही उतरा है। जब क्षेत्र के लोगों व चुने हुए जनप्रतिनिधियों में सरकार में समुचित सम्मान व भागीदारी लेने का विचार होने की बजाय निजी हित पूर्ति ही लक्ष्य हो तो क्षेत्र के प्रति ऐसा ही व्यवहार होगा।

विद्रोही ने कहा कि हरियाणा मंत्रीमंडल में अहीरवाल क्षेत्र के डेढ़ मंत्री है और उनके पास भी महत्वहीन विभाग है जो भाजपा को इस क्षेत्र के लोगों द्वारा दिये गए जनसमर्थन के अनुपात में ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। कहने मात्र को तो इस क्षेत्र से एक मंत्री व एक राज्यमंत्रीे है पर उन्हे जो विभाग दे रखे है, वे ऐसे महत्वहीन विभाग है जिनसे न तो क्षेत्र को कोई लाभ मिल रहा है और न ही क्षेत्र की प्रतिष्ठा के अनुकूल है। हरियाणा में राजनैतिक इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि खट्टर सरकार के दूसरेे कार्यकाल में दक्षिणी हरियाणा को मंत्रीमंडल में न तो उचित भागीदारी मिली न और न ही यहां के डेढ़ मंत्रीयों को सम्मानजनक विभाग मिले। 

विद्रोही ने कहा कि मंत्रीमंडल में सम्मानजनक भागीदारी व मंत्रीयों को अच्छे विभाग न मिलने का ही यह साईड इफेक्टस है कि इस क्षेत्र को नये विकास प्रोजेक्ट तो मिलते नही, वही पुराने विकास प्रोजेक्ट क्या तो आधे-अधूरे पड़े है या उन पर कछुआ गति से काम हो रहा है या कार्य शुरू ही नही हुआ है जिसका खामियाजा लोग भुगत रहे है। विद्रोही ने कहा कि दक्षिणी हरियाणा से निर्वाचित भाजपा विधायकों व सांसदों के निजी हित बेशक संघी सरकार में पूरे हो रहे होंगे लेकिन क्षेत्र के साथ उपेक्षापूर्ण व भेदभावपूर्ण व्यवहार हो रहा है और यहां के निर्वाचित जनप्रतिनिधि निजी हित पूर्ति के लिए दड़ मारकर सरकार के पिछलग्गू बनकर जनता व क्षेत्र के प्रति अपनी जबवादेही से भाग रहे है।

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