
7 अप्रैल 2025,चंडीगढ़, गुरुग्राम, रेवाड़ी – स्वयंसेवी संस्था “ग्रामीण भारत” के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने आज एक प्रेस वक्तव्य में हरियाणा सरकार की हालिया अग्निवीर आरक्षण नीति पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट के “50 प्रतिशत आरक्षण कैप” सिद्धांत को कठघरे में खड़ा किया।
विद्रोही ने कहा कि हरियाणा पुलिस में अग्निवीरों को 20% आरक्षण देने से कुल आरक्षण अब 77% तक पहुँच जाएगा, जबकि फॉरेस्ट गार्ड, जेल वार्डर और खनन गार्ड जैसी सेवाओं में 10% अग्निवीर आरक्षण से यह आंकड़ा 67% को छू लेगा।
उन्होंने तीखे शब्दों में पूछा:
❝ जब पिछड़े वर्ग के लिए जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण की बात होती है, तो सुप्रीम कोर्ट 50% कैप की तलवार लहराने लगता है। लेकिन जब वही कैप अग्निवीर या EWS जैसे ‘विशेष’ आरक्षणों से टूटती है, तो कोर्ट मौनव्रत धारण कर लेता है। क्या यह न्याय है या एकपक्षीय व्यवस्था का पर्दाफाश? ❞
सुप्रीम कोर्ट पर तीखा सवाल
विद्रोही ने सुप्रीम कोर्ट के 10% EWS (सवर्ण आर्थिक आरक्षण) को वैध ठहराने के निर्णय को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने पूछा:
❝ क्या 50% की सीमा केवल पिछड़ों पर लागू होती है? जब स्वर्ण वर्ग को EWS के नाम पर अतिरिक्त 10% आरक्षण दिया गया, तब कैप का क्या हुआ? ❞
“आरक्षण कैप” — कानून या सुविधा?”
उन्होंने यह भी जोड़ा:
❝ अगर अग्निवीरों और EWS के लिए आरक्षण सीमा को तोड़ा जा सकता है, तो फिर पिछड़े वर्गों को उनकी जनसंख्या के अनुसार आरक्षण क्यों नहीं दिया जा सकता? क्या न्यायपालिका का यह दोहरा रवैया पिछड़ा विरोधी मानसिकता का संकेत नहीं देता? ❞
न्यायपालिका से अपील
विद्रोही ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि:
“या तो 50% की सीमा सब पर लागू हो, या फिर यह स्पष्ट कर दिया जाए कि यह कैप सिर्फ सामाजिक न्याय को रोकने के लिए बनाया गया है।”