30 दिसम्बर 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा भाजपा खटटर सरकार व जिला प्रशासन रेवाडी से सवाल किया कि वे अहीरवाल की जनता को बताये कि मनेठी-माजरा में एम्स की प्रस्तावित जमीन का मुआवजा किसानों को देने व उक्त जमीन को सरकार के कब्जे में लेने के काम में ऐसी कौनसी अड़चन है कि यह प्रक्रिया पूरी होने की बजाय सांप की आंत की तरह बढ़ती ही जा रही है। विद्रोही ने कहा कि रेवाड़ी जिला प्रशासन हर सप्ताह एम्स निर्माण की समीक्षा के नाम पर कथित बैठक करके एम्स निर्माण के प्रति गंभीरता व कथित कार्यो का वहीं घीसा-पिटा पुराना राग मीडिया में परोसता है और आश्चर्य है कि मीडियाकर्मी भी प्रशासन से बिना कोई सवाल किये हर सप्ताह वहीं घीसा-पिटा राग प्रकाशित करते है और जो इस घीसे-पिटे राग पर सवाल उठता है उसके सवालों को उठाने की बजाय डस्टबिन में डाल देते है। लाख टके का सवाल यह है कि वे कौनसी कानूनी अडचने है जिसके चलते मुख्यमंत्री के आश्वासन व घोषणा के बाद भी चार माह से एम्स के लिए प्रस्तावित माजरा के किसानों की जमीन न तो सरकार अधिग्रहित कर पा रही है और न ही सम्बन्धित किसानों को जमीन का मुआवजा दे रही है?

विद्रोही ने पूछा कि एक साधारण से काम में इतनी देरी क्यों हो रही है? प्रशासन व सरकार चाहे तो माजरा के किसानों से जमीन लेने व उनको मुआवजा देने की सारी प्रक्रिया एक दिन में ही पूरी की जा सकती है। पर एक दिन के काम को प्रशासन व सरकार जब चार माह में भी पूरा नही कर पा रही है तो सरकार व प्रशासन की नीयत पर तो सवाल तो उठेंगे ही। जब भाजपा खट्टर सरकार मनेठी-माजरा एम्स निर्माण की पहली सीढी की प्रक्रिया को पूरी करने में इतनी अनावश्यक देरी कर रही है तो सहज अनुमान लगा ले कि सरकार एम्स प्रोजेक्ट के प्रति कितनी गंभीर व ईमानदार है? सरकार बयानों में मीडिया के सामने गंभीरता व ईमानदारी का ढोल पीटती है, पर उसके क्रियाक्लापों में यह गंभीरता व ईमानदारी दूर-दूर तक नजर नही आती। 

    विद्रोही ने कहा कि उन्हे पहले ही दिन से सरकार की नीयत पर आशंका रही है। भाजपा सरकार एम्स प्रोजेक्ट को जान-बूझकर सुनियोजित रणनीति के तहत लम्बा खींच रही है ताकि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले वर्ष 2023 में इस एम्स प्रोजेक्ट का निर्माण शुरू करे ताकि लोकसभा व हरियाणा विधानसभा चुनावों में एम्स के नाम को भूनाकर अहीरवाल के मतदाताओं को भावनात्मक रूप से बरगालकर उसकी एफतरफा वोट भाजपा हडप सके। वोट बैंक की राजनीति के लिए भाजपा जान-बूझकर इस प्रोजेक्ट को सुनियोजित रूप से सांप की आंत की तरह लम्बा खींच रही है जो एक स्वास्थ्य प्रोजेक्ट के साथ खिलवाड है। 

 विद्रोही ने मांग की कि एम्स प्रोजेक्ट को प्रक्रिया पूरी करने के नाम पर अनावश्यक रूप से लम्बा खींचने की रणनीति को सरकार ने बदलकर स्वास्थ्य सेवाओं के इस उच्च प्रतिष्ठान को वोट बैंक राजनीति का औजार बनाने की बजाय अविलम्ब सभी प्रक्रिया पूरी करके एम्स निर्माण ईमानदारी से शुरू करे। 

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