मुख्यमंत्री का यह कहना कि राज्य की अर्थव्यवस्था मुफ्तखोरी पर नही चलती, साफ संकेत है कि संघी लोकतंत्र में समाज कल्याण की अवधारणा व समाज के अंतिम व्यक्ति तक सरकारी सहायता पहुंचाने की गांधी जी सोच के प्रबल विरोधी है। विद्रोही

1 जनवरी 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि हरियाणा मुख्यमंत्री गरीबों के लिए जारी योजनाओं पर मुफ्तखोरी के नाम पर कैंची चलाने की फिराक में है। मुख्यमंत्री का यह कहना कि राज्य की अर्थव्यवस्था मुफ्तखोरी पर नही चलती, साफ संकेत है कि संघी लोकतंत्र में समाज कल्याण की अवधारणा व समाज के अंतिम व्यक्ति तक सरकारी सहायता पहुंचाने की गांधी जी सोच के प्रबल विरोधी है। विद्रोही ने कहा कि लोकतंत्र में किसी भी सरकार की प्रथम कसौटी उसकी जनकल्याणकारी योजनाएं होती है और जब लोकतंत्र में सरकारे जनकल्याण व जनसरोकारों के कामों से आंखे मूंदकर लाभ-हानि की सोच पर सरकार चलाएगी तो लोकतंत्र का होना ही बेमानी है। मुख्यमंत्री खट्टर ने यह कहकर कि मुफ्तखोरी से किसी प्रदेश की अर्थव्यवस्था नही चलती अप्रत्यक्ष रूप से जनकल्याण की योजनाओं से हाथ खींचने की मंशा को ही दर्शाता है। सरकारों का जो टैक्स नागरिक देते है, वह टैक्स केवल पूंजीपतियों की तिजौरियां भरने के लिए नही होता अपितु हर नगारिक को सम्मान से जीने के हक के लिए होता है।

विद्रोही ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार ने बुढ़ापा पैंशन प्रति माह 5100 रूपये करने वादे के साथ चुनाव लडा था किन्तु अब वे इस फिराक में है कि कैसे बुजुर्गो को पैंशन से वंचित किया जाये। हरियाणा सरकार ने बुजुर्गो को पैंशन से वंचित करने के लिए तिड़कमे शुरू कर दी है और जिन परिवारों की वार्षिक आय 1 लाख 80 हजार रूपये से ज्यादा है, उन परिवारों की बुढ़ापा पैंशन पर कैंची चलाई जा रही है। विद्रोही ने कहा कि बुजुर्गो को जो पैंशन सम्मान से जीने के लिए शुरू की गई थी, अब उसे भाजपा-जजपा सरकार के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर मुफ्तखोरी की संज्ञा देकर धीरे-धीरे समाप्त करने की दिशा में कदम उठा रहे हैै।

आज खट्टर जी को बुढ़ापा पैंशन मुफ्तखोरी लगती है, कल उन उन्हे गरीबों को मिलने वाला सस्ता राशन भी मुफ्तखोरी लगेगा। फिर उन्हे दलित, पिछड़े छात्रों को छात्रवृति भी मुफ्तखोरी लगेगी। फिर कभी विधवा की पैंशन मुफ्तखोरी लगेगी। आगे चलकर सरकारी अस्पतालों में मुफ्त सस्ता ईलाज भी मुफ्तखोरी नजर आयेगी। सार्वजनिक नलों पर मिलने वाला पानी, सरकारी स्कूलों में सस्ती शिक्षा और पता नही क्या-क्या खट्टर जी को मुफ्तखोरी नजर आयेगी और पता नही यह संघी सोच कथित गुजरात माडल व हम दो-हमारे दो की तिजौरियां भरने खातिर कहां जाकर रूकेगी। विद्रोही ने कहा कि संघीयों की नजरों में बड़े पंूजीपतियों का कर्ज माफ करना राष्ट्र निर्माण है, वहीं गरीबों को सहायता देना, दलित, पिछडे, किसानों का का कर्ज माफ करना, उन्हे सहायता देना मुफ्तखोरी है।

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