25 दिसम्बर 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा खट्टर सरकार की निजी स्कूलों से मिलीभगत के चलते शिक्षा के अधिकार के नियम 134ए के तहत गरीब वर्ग के बच्चे निजी स्कूलों में दाखिला पाने के लिए पूरे प्रदेश में भटक रहे है, पर उन्हे दाखिल नही मिल रहा। विद्रोही ने कहा कि रेवाडी में तो इस कड़कडाती ठंड में छोटे-छोटे बच्चे व उनके अभिभावक जिला लघु सचिवालय के बाहर कई दिनों से धरना भी दे रहे है, लेकिन सरकार व प्रशासन से आश्वासन की चासनी मिलने के अलावा कुछ नही हो रहा।

हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार शिक्षा अधिकार के प्रति कितनी गंभीर है, यह इसी से पता चलता है कि वर्ष 2021-22 का शिक्षा सत्र समाप्त होने में पात्र तीन माह बचे है और नियम 134ए के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश पाने के लिए बच्चे भटक रहे है। विद्रोही ने सवाल किया कि तीन माह के बचे शेष शिक्षा सत्र में बच्चों को कब दाखिल मिलेगा और कब उनकी पढ़ाई होगी, यह समझ से परे है। शिक्षा विभाग, हरियाणा सरकार व निजी स्कूलों की आपसी सांठगांठ के चलते यह स्थिति उत्पन्न हुई है। शिक्षा विभाग ने एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत जान-बूझकर नियम 134ए के तहत गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश देने की प्रक्रिया में अनावश्यक देरी की जिसके चलते आज पूरे हरियाणा में बच्चे दाखिला के लिए भटक रहे है और अधिकारी आश्वासन का झुनझुना थमाने के अलावा कुछ नही कर रहे।

विद्रोही ने कहा कि हरियाणा में अधिकांश स्कूल भाजपा-संघ नेताओं के है और भाजपा के अधिकांश मंत्रीयों, सांसदों, विधायकों व प्रमुख नेताओं के खुद के निजी स्कूल है जिसके चलते निजी लाभ के लिए सत्ता दुरूपयोग से गरीब बच्चों को नियम 134ए के तहत दाखिला देने में जान-बूझकर रोड़े अटकाये जा रहे है। भाजपा सरकार का रवैया ही दुर्भाग्यपूर्ण है। हरियाणा में शिक्षा अधिकार के तहत निजी स्कूलों में बच्चों को दाखिला का मामला क्वीड परो क्यू से जुडा हुआ है। विद्रोही ने मुख्यमंत्री से मांग की कि वे निजी स्कूलों के मालिकों व भाजपाई-संघीयों के हितों का ख्याल रखने की बजाय एक चुने हुए मुख्यमंत्री की अपनी भूमिका निभाकर दो दिन के अंदर-अंदर पूरे प्रदेश में नियम 134ए के तहत पात्र सभी बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलवाये और जो निजी स्कूल बच्चों को प्रवेश देने में जरा भी ढील बरते, उनसे स्कूल चलाने का अधिकार वापिस लेकर ऐसे स्कूलों के बच्चों की सीबीएसई बोर्ड व हरियाणा श्क्षिा बोर्ड परीक्षाओं में परीक्षा देने से वंचित करने की कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाये ताकि निजी स्कूल संचालकों के होश ठिकाने आए।

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