नहीं रहे कर्मयोगी रवि कालरा, अंगदान से औरों को दे गए जीवनदान

-अर्थ फाउंडेशन बनाकर कर रहे थे दीन-दुखियों की सेवा
-6 हजार से अधिक लावारिस लाशों का कर चुके थे दाह संस्कार
-रविवार को दिल का दौरा पडऩे से हुआ निधन  

गुरुग्राम। कर्मयोगी श्री रवि कालरा का रविवार की सुबह दिल का दौरा पडऩे से निधन हो गया। उनका निधन सिर्फ गुरुग्राम के लिए ही नहीं, बल्कि देश के लिए अपूरणीय क्षति है। जिस तरह से उन्होंने अपने जीवनकाल में दीन-दुखियों की सेवा की, वह समाज में सेवा का बड़ा उदाहरण है। रविवार शाम 4 बजे मदनपुरी शमशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके निधन से हर किसी की आंख में आंसु थे। समाजसेवक के रूप में वे समाज में लंबी लकीर खींच गए हैं।

रवि कालरा दिन-रात सड़कों से, गलियों से लावारिस, घायल, बीमार लोगों को उठाकर अपने आश्रम में लाकर सेवा करते थे। वे जन्में तो दिल्ली के एक मध्यमवर्गीय परिवार में थे, लेकिन उन्होंने अपनी कर्मस्थली द्रोण नगरी गुरुग्राम में बनाई। वैसे वे गुरुग्राम के अलावा दिल्ली, फरीदाबाद समेत अनेक शहरों में दीन-दुखियों की सेवार्थ काम करते थे। दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर पिता से सेवा की भावना उन्होंने जरूर सीखी, लेकिन रास्ता अलग चुना। दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद उन्होंने जनसेवा भी शुरू की। उन्होंने ताइक्वांडो मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ड की इंटरनेशनल डिग्री हासिल की। वर्ष 2008 में रवि कालरा ने द अर्थ सेवियर्स फाउंडेशन के नाम से गैर सरकारी संस्था की नींव रखी। इस एनजीओ के बैनर तले अनाथालय, गुरुकुल, वृद्धाश्रम, नारी निकेतन और गौशाला चलाई जा रही है। उन्होंने ऐसे लोगों की सेवा का बीड़ा उठाया, जिनका इस दुनिया में कोई नहीं, या फिर अपनों द्वारा ठुकराए गए लोग। इन सबके लिए रवि कालरा एक मसीहा बनकर काम करने लगे। उनकी संस्था परिसर में वृद्धाश्रम, बाल सुधार गृह है, जहां पर बीमार, लाचार लोगों की सेवा की जाती है। कुछ दिनों पूर्व ही उन्होंने अपने आश्रम की कमान अपने बेटे को सौंपते ही इसी तरह दीन-दुखियों की सेवा करने को प्रेरित किया था। रवि कालरा के निधन पर गुरुग्राम के हर आम और खास ने शोक व्यक्त करते हुए अपूरणीय क्षति बताया।

नर सेवा नारायण सेवा था उनका ध्येय
नर सेवा नारायण सेवा को अपना ध्येय मानते हुए रवि कालरा सदा उन लोगों के जीवन को बचाने में लगे रहे, जिन्हें अपनों ने भी मरने के लिए छोड़ दिया था। वे खुद कई बार बताते थे कि उनके आश्रम के बाहर भी कई बार बीमार, बुजुर्ग बैठे मिले। जिन्हें उनके बच्चों ने वहां छोड़ा था। ऐसे लोगों की सेवा करके उन्होंने उनका जीवन बचाया।

ध्वनि प्रदूषण पर भी किया काम
 रवि कालरा ने ध्वनि प्रदूषण को लेकर भी खूब काम किया। एनसीआर के शहरों में सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषण होता है। लोग बेवजह हॉर्न बजाते रहते हैं। इसके लिए रवि कालरा ने व्यापक अभियान चलाया। सेलिब्रिटी को आमंत्रित करके उन्होंने लोगों को चौक-चौराहों पर जागरुक करने का काम किया। 40 से अधिक देशों की यात्रा कर चुके रवि कालरा ने गाडिय़ों के पीछे विशेषकर ट्रक व अन्य व्यवसायिक वाहनों के पीछे हॉर्न प्लीज के संकेतों को हटवाने के लिए जमीनी स्तर पर काम किया। आपको जानकार हैरानी होगी कि उन्होंने इस काम को इतनी शिद्दत से किया कि वह विश्व रिकॉर्ड ही बन गया। हॉर्न प्लीज के स्थान पर उन्होंने दुपहिया, तिपहिया, चारपहिया या इससे बड़ा वाहनों के पीछे-डू नोट हॉन्क यानी हॉर्न ना बजाएं के स्लोगन लिखे स्टीकर लगाने काम काम किया। इस अभियान से रवि कालरा को-होंकिंग मैन ऑफ इंडिया का नाम भी मिला।  

पर्यावरण संरक्षण को मिला इंटरनेशनल अवार्ड
पर्यावरण संरक्षण के लिए किए गए कार्यों की बदौलत वर्ष 2012 में रवि कालरा को सरकार वल्लभ भाई पटेल इंटरनेशनल अवार्ड दिया गया। पर्यावरण सुरक्षा के लिए उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में जनाधिकार याचिका लगाई थी।

जाते-जाते दूसरों का जीवन बचा गए रवि कालरा
रवि कालरा ने अधिकारिक रूप से यह निर्णय लिया हुआ था कि वे मरणोपरांत अपने अंगों का दान करेंगे। इसलिए रविवार को उनके निधन के तुरंत बाद उनके परिवार की ओर से अंग दान की प्रक्रिया को पूरा करवाया गया। चिकित्सकों की टीम ने उनके अंग निकाले, जिन्हें अति जरूरतमंद लोगों को लगाया जाएगा। रवि कालरा दुनिया से विदा होने के बाद भी लोगों के जीवन को रोशन कर गए हैं।

केबीसी में रवि कालरा लाए थे 50 लाख रुपये
26 नवम्बर 2018 को कर्मयोगी रवि कालरा को कौन बनेगा करोड़पति-10 सीजन के फिनाले ऐपिसोड में आमंत्रित किया गया था। उनके साथ हास्य कलाकार कपिल शर्मा भी हॉट सीट पर बैठे। रवि कालरा ने खेल के माध्यम से 25 लाख रुपये जीते। उनकी संस्था के लिए अमिताभ बच्चन की ओर से 25 लाख अनुदान राशि मिलाकर कुल 50 लाख रुपये दिए गए।  

You May Have Missed

error: Content is protected !!