जैसी संगत वैसी ही आपकी नियति होगी : कँवर साहेब जी महाराज

दिनोद धाम जयवीर फोगाट

18 दिसंबर – इंसान का आज खुद पर ही भरोसा नहीं है। एक ख्याल और एक विचार पर टिक कर ही हम खुद पर भरोसा करना सीख सकते है। गुरु की शरण में जाकर हम अपने ख्यालात को पक्का कर सकते हैं। इस दुनिया में सबसे बड़ा रिश्ता गुरु शिष्य का है। यह सत्संग विचार परमसंत सतगुरु कँवर साहेब जी महाराज ने दिनोद गांव में स्थित राघास्वामी आश्रम में फरमाए। 

हुजूर महाराज ने कहा कि सन्तो की शरणाई आपमें दीनता लाती है। दीनता भक्ति का आधार है। उन्होंने कहा कि गुरु से नाता यदि आपने जोड़ लिया तो आपकी सारी परेशानी जाती रहेंगी। सन्त सतगुरु को इसलिए वैद कहा गया है क्योंकि सन्त सतगुरु ना केवल इस जगत की अपितु अगत की बीमारी भी काट देते है। उन्होंने फरमाया कि जिसने सत्य को जान लिया उसको कुछ और जानने की आवश्यकता नहीं है। 

गुरु महाराज जी ने एक प्रेरक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि नियमबध इंसान के फायदे ही फायदे हैं। एक महात्मा ने एक आदमी को भक्ति करने को कहा। आदमी ने कहा कि मुझसे ना व्रत होंगे ना पूजा पाठ। महात्मा ने कहा तेरे पड़ोस में कौन रहता है। आदमी बोला कि एक कुम्हार रहता है। महात्मा ने कहा तू रोज उस कुम्हार के ही दर्शन कर लिया कर। आदमी रोज छुप कर उसके दर्शन करने लगा। एक दिन जब कुम्हार मिट्टी खोद रहा था तो उसे अशर्फियों का घड़ा मिला। उसी वक़्त वह आदमी कुम्हार को छुप कर देख रहा था। कुम्हार ने सोचा कि इस आदमी ने भी घड़े को देख लिया। उसे बुला कर बोला कि भाई मैं तुझे आधा घड़ा दे देता हूँ। आदमी ने सोचा कि सन्त महात्मा के एक वचन की पालना यदि इतना कुछ दे सकती है तो पूरा जीवन उनके वचन में रहकर हम क्या कुछ हासिल नहीं कर सकते।

हुजूर महाराज जी ने कहा कि जैसी आपकी संगत होती है वैसी ही आपकी नियति हो जाती है। लोभी के संग में लोभ बढ़ेगा और ज्ञानी के संग में ज्ञान ही बढ़ता है। हुजूर ने कहा कि हम व्यर्थ में क्यों किसी का कर्ज चढाते हैं। मत भूलो कि जैसा आप ले रहे हो वैसा ही आपको देना भी पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सन्तमत की भक्ति का जोर ही गृहस्थ को ठीक करने पर होता है। हक हलाल की कमाई करते हुए मां बाप की सेवा करो। सबसे प्यार प्रेम का व्यवहार करो।

error: Content is protected !!