भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। आज गुरुद्वारा रोड स्थित सिद्धेश्वर मंदिर में संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति ने प्रेस वार्ता की और उसमें कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा जारी घोषणाओं को प्रशासन अमल में लाए। मन में प्रश्न उठा कि क्या संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति मुख्यमंत्री से अधिक बलवती है जो प्रशासन को निर्देश दे रही है कि मुख्यमंत्री के आदेशों का पालन करें या हमारे मुख्यमंत्री इतने कमजोर हैं कि उनके आदेशों का पालन अधिकारी नहीं करते।

एक पत्रकार के नाते मैं तो यह जानता हूं कि हरियाणा के सभी मंत्री और विपक्ष यह कहता है कि हमारे मुख्यमंत्री बहुत सशक्त हैं और उनके आदेशों की पालना न हो, ऐसा संभव नहीं। पर सवाल तो खड़ा कर ही दिया संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति ने।

खुले में नमाज पढऩे का मामला गुरुग्राम में पिछले कई माह से छाया हुआ है। इसकी गूंज संपूर्ण हरियाणा ही नहीं अपितु पूरे देश या कहें विश्व तक पहुंच चुकी है तो शायद अनुचित नहीं होगा। और आज तो मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चला गया है, जिसमें पूर्व राज्यसभा सांसद मौहम्मद अदीब ने याचिका दायर कर कहा है कि कुछ हिंदू संगठन अलगाव फैलाने की चेष्टा कर रहे हैं। हम नहीं जानते इसमें कौन सही है और कौन गलत लेकिन यह अवश्य जानते हैं कि सरकार नियम-कायदों से चलती है। जब एक पूर्व राज्यसभा सांसद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है तो उसके पास अवश्य कुछ ऐसे तथ्य होंगे, जिससे वह अपनी बातों को सिद्ध कर सके। उसने राज्य के मुख्य सचिव संजीव कौशल और पुलिस महानिदेशक पीके अग्रवाल पर अवमानना का आरोप लगाया है। साथ ही गुरुग्राम प्रशासन पर आरोप लगाए हैं। तो कानूनी बातें तो कानून के रास्ते ही निपटेंगी।

गुरुग्राम में जो हिंदू संगठन लामबंद हुए हैं खुले में नमाज बंद कराने के लिए, वे सभी कहीं न कहीं भाजपा की ही संस्थाओं से जुड़े हुए हैं और यह भी कह सकते हैं कि पिछले काफी समय से वह सब हाशिये पर चल रहे हैं।

एक ओर तो गुरुग्राम का इतना बड़ा मामला हो गया जो देश से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। दूसरी ओर गुरुग्राम के किसी विधायक, सांसद या भाजपा जिला अध्यक्ष या अन्य पदाधिकारियों द्वारा इस विषय पर कोई ब्यान आया नहीं है। मामला संवेदनशील है। यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि इस मामले में कितनी मर्यादाएं टूटेंगी या धर्मवैमनस्य बढ़ेगा या गुरुग्राम जो धरती शांति के लिए जानी जाती है, वह ऐसे किसी वैमनस्य को बढऩे नहीं देगी और जो भी फैसला होगा, वह शांति से हो जाएगा।

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