आरटीआई में खुलासा : डीईओ अजीत सिंह द्वारा बनवाए गए फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र का रिकार्ड गायब

-स्वाथ्य विभाग ने आरटीआई में दिया गलत जवाब, बताया रिकार्ड उपलब्ध नहीं
-गलत तरीके से बनवाया था फर्जी प्रमाण पत्र, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत का अंदेशा
-शिक्षा विभाग से दिव्यांग भत्ता भी लिया और प्राचार्य की भर्ती में भी किया था दिव्यांगता का आवेदन

भिवानी, 12 दिसंबर। भिवानी के जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह द्वारा मिलीभगत कर फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के मामले में अब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है। स्वास्थ्य विभाग ने आरटीआई के जवाब में डीईओ अजीत सिंह के फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट से संबंधित रिकार्ड उपलब्ध नहीं होने की बात कही है। आरटीआई कार्यकर्ता को भी इस संबंध में सूचना देने से छिपया गया है।

स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने सिविल सर्जन कार्यालय भिवानी से आरटीआई में डीईओ अजीत सिंह के दिव्यांग प्रमाण पत्र से संबंधित रिकार्ड की प्रमाणित कॉपी मांगी थी। इस पर स्वास्थ्य विभाग ने आरटीआई का जवाब दिया कि इससे संबंधत रिकार्ड कार्यालय में उपलब्ध नहीं हैं। आरटीआई कार्यकर्ता बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि अजीत सिंह ने 30 जुलाई 1996 को राजकीय उच्च विद्यालय छपार रांघडान में बतौर गणित अध्यापक अडहॉक पर कार्यरत होते हुए भिवानी सिविल सर्जन कार्यालय से दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाया था। इस प्रमाण पत्र के जरिए विद्यालय में कार्यरत रहते हुए दिव्यांग भत्ता भी हासिल किया था। अजीत सिंह ने अर्थ शास्त्र प्रवक्ता पद के लिए भी आवेदन दिव्यांग कोटे से आवेदन किया था। अजीत सिंह ने हरियाणा लोक सेवा आयोग में भी प्राचार्य पद के आवेदन में दिव्यांग कोटे से आवेदन किया था।

बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग में 1996 के दौरान ही एक बड़ा स्कैंडल भी उजागर हुआ था। जिसमें समाचार पत्रों में भी नकली चोट असली एमएलआर शीर्षक से समाचार लगा। जिसके बाद उस चिकित्सक का स्थानांतरण हिसार में कर दिया गया था। इसी दौरान अजीत सिंह ने भी स्वास्थ्य अधिकारियों से मिलीभगत कर फर्जी तरीके से अपना दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाया और उसका अनुचित लाभ लेते हुए दिव्यांग भत्ता भी विभाग से हासिल किया और भर्ती में भी इसका अनुचित लाभ का कुप्रयास किया गया। बृजपाल परमार ने अंदेशा जताया है कि डीईओ के फर्जी प्रमाण पत्र मामले में स्वास्थ्य अधिकारियों की भी मिलीभगत है, इसलिए अपनी खाल बचाने के लिए आरटीआई के सूचना का भी गलत जवाब दे रहे हैं। 

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