यहां सूखा पेड़ काटने की बजाय हादसे का इंतजार कर रहा वन विभाग

-बिजली की तारों का बहाना बनाकर अटकाया रोड़ा
-सीएम विंडो पर दी शिकायत का भी नहीं पड़ा असर
-सरकार के दावों को पलीता लगा रहे हैं अधिकारी

गुरुग्राम। एक सूखे पेड़ के गिरने के भय से उसे काटने की सूचना देने के बाद भी वन विभाग लापरवाही कर रहा है। सीएम विंडो पर दी शिकायत से आए आदेशों का भी कोई असर नहीं हुआ। कोई भी हादसा होने के बाद सरकार और प्रशासन जागते हैं। लगता है अब यहां भी हादसे का ही इंतजार किया जा रहा है।

मानव आवाज संस्था के संयोजक एडवोकेट अभय जैन का कहना है कि शहर के न्यू रेलवे रोड पर आदर्श नगर में घर के बाहर नीम का एक सूखा पेड़ है। पेड़ जड़ से कमजोर हो चुका है। पूरी तरह से खोखला हो गया है और घर के भीतर की तरफ झुका हुआ है। वह कभी भी गिर सकता है। गिरने से यहां जान-माल ही हानि होना लाजिमी है। इसी डर से इस सूखे पेड़ को कटवाने के लिए एडवोकेट अभय जैन ने वन विभाग में चार अगस्त 2021 को पत्र लिखा। पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने सीएम विंडो में शिकायत दी। सीएम विंडो से शिकायत वन विभाग में भेजी गई। उन्होंने वन विभाग के काफी चक्कर लगाए, लेकिन अधिकारियों ने सूखे पेड़ को काटने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। चार महीने बाद 25 नवम्बर 2021 को वन विभाग की ओर कहा गया कि यह पेड़ सूखा हुआ है। इसलिए इसे तुरंत काटा जाना चाहिए। पीडि़त की ओर से जब पेड़ को काटने की गुहार लगाई गई तो भी कुछ कदम नहीं उठाया गया। 

वन विभाग ने बिजली के तार हटाने का बहाना बनाया
बीती छह दिसम्बर को हरियाणा फोरेस्ट डेवलपमेंट कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक (एमडी) को शिकायत भेजी। इसके साथ ही फिर से सीएम विंडो को भी शिकायत दी। शिकायत के बाद वन विभाग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि उस पेड़ के पास से बिजली के तार गुजर रहे हैं। जब तक तार नहीं हटाए जाते, पेड़ नहीं काटा जाएगा। एडवोकेट अभय जैन का कहना है कि यह भ्रष्टाचार है। काम नहीं करने के लिए वन विभाग ने बिजली विभाग के नाम का रोड़ा अटका दिया है। उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर अगर पेड़ों के बीच में बिजली के तार आते हैं तो कभी तारों या पोल को नहीं हटाया जाता, बल्कि लाइन बंद करके पेड़ों की कटाई-छंटाई की जाती है। यहां पर अधिकारी उलटा नियम लागू कर रहे हैं। 

अधिकारियों की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में
मानव आवाज संस्था के संयोजक एडवोकेट अभय जैन का कहना है कि अधिकारियों की इस तरह की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। अधिकारी काम ना करने के लिए बहानेबाजी कर रहे हैं। यह भ्रष्टाचार की ओर से इशारा करता है। उन्होंने कहा कि सरकार तो भ्रष्टाचार खत्म करने के लाख दावे करती है, लेकिन अधिकारियों द्वारा आम आदमी के साथ ऐसा व्यवहार करना सरकार के दावों को धत्ता बता रहा है। उन्होंने कहा कि लगता है सरकार, अधिकारी किसी हादसे का इंतजार कर रहे हैं। अगर यह पेड़ गिरता है तो जान-माल का नुकसान हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो इसके लिए सीधे तौर पर वन विभाग के अधिकारी जिम्मेदार होंगे।    

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