सन्तों की शरण से आपका जगत भी सुधरता है और अगत भी : कंवर साहेब जी महाराज
सत्संग शुरुवात से पहले सी.डी.एस. जनरल बिपिन रावत सहित हेलीकाप्टर में शहीदों को दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि।

रोहतक जयवीर फोगाट

9 दिसंबर,रोहतक के गोहाना रोड़ स्थित राधास्वामी आश्रम में आयोजित रूहानी सत्संग की शुरुवात हेलीकाप्टर हादसे में शहीद हुए भारतीय सेना के वीर जवानों को श्रद्धांजलि दी गई। राधास्वामी परमसन्त सतगुरु कँवर साहेब जी महाराज ने हजारों की संख्या में उमड़ी संगत के साथ भारत के प्रथम सीडीएस विपिन रावत सहित तेरह सेना जवानो की आकस्मिक मौत पर 2 मिनट का मौन रख कर राधास्वामी दयाल से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

शांति प्रार्थना के पश्चात सत्संग फरमाते हुए हुजूर कँवर साहेब जी ने फरमाया कि सन्तों की शरण से आपका जगत भी सुधरता है और अगत भी। जगत सुखी बनेगा तन और मन की पवित्रता से। तन सुखी रहता है पवित्र अन्न से यानी ऐसा अन्न जो आपने हक हलाल की कमाई से कमाया हो। पवित्र अन्न ही मन को पवित्र रखता है। जिसका जगत सुखी हो जाता है उसका अगत स्वतः ही बन जाता है।

हुजूर महाराज जी ने कहा कि इंसान के लिए पहला सुख निरोगी काया है। दस सुखों में स्वस्थ जीवन को प्रमुखता दी गई है। जिसकी काया निरोगी है निर्विघ्न भक्ति भी वही कर सकता है। पहला सुख निरोगी काया ही आपको जीवन का सबसे जरूरी कार्य परमात्मा की भक्ति का आनन्द दे सकता है। 

जूर कँवर साहेब जी ने कहा कि संगत से ही आपमे गुण उपजाती है। सन्तो की संगत आपमें गुण उपजाती है क्योंकि सन्त बादल, तरुवर और सरोवर की भांति कभी किसी से भेदभाव नहीं करते। उन्होंने कहा कि नीच प्रकृति के आदमी तो सन्तो के सत्संग में जाकर भी अपनी बुराई नहीं त्यागते। जिस प्रकार गाय भैंस के थनों में लगा हुआ चिचड़ दूध के भंडार के पास रह कर भी खून ही पिता है उसी प्रकार दुष्ट प्रवृत्ति का इंसान तो सन्तो के अंग संग रहकर भी बुरी प्रवृत्ति को नहीं त्याग पाता। उन्होंने कहा कि सबसे पहले गुरु के दर्श करो क्योंकि सन्तो के दर्शन से उनके गुण आपमें आते हैं। दूसरे उनके वचनों को सुनो और तीसरा उनके वचन का चिंतन मनन करो क्योंकि गुरु का वचन हरविध कल्याणकारी है। उन्होंने कहा कि जैसे एक विद्यार्थी परीक्षा के दिनों में हर चीज से ध्यान हटा कर केवल अपने अध्ययन में लगा रहता है वैसे ही आप भी हर चीज से ध्यान हटा कर केवल गुरु के वचन पर एकाग्रचित हो जाओ। उन्होंने कहा कि ये बातों में या किताबो से सम्भव नहीं होगा। ये सम्भव होगा केवल अभ्यास से। जिस परमात्मा को आप बहुत दूर मानते हो वो तो आपके अपने अंतर में है। मालिक का जहूर देखना चाहते हो तो इस सृष्टि के कण कण में है लेकिन हम तो इस कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं कि कांधे छोरा गाम ढिंढोरा। 

हुजूर महाराज जी ने फरमाया कि आप परमात्मा को किताबो में कैसे ढूंढ पाओगे क्योंकि किताबे तो कुछ हजार साल पहले ही लिखी गई होंगी लेकिन परमात्मा तो इस सृष्टि का ही रचियता है। वो किताबो में नहीं है किताब उनमें हैं। उन्होंने गांधी दर्शन की व्याख्या करते हुए कहा कि बुरा मत देखो बुरा मत सुनो और बुरा मत देखो। सन्त महात्मा भी तीन बंद बताते हैं। आंख, कान और लब। इन तीन इंद्रियों से ही हम अपनी शक्ति का क्षय करते हैं।

गुरु महाराज जी ने कहा तीन चीजे हैं कर्म धर्म और शर्म। जो अच्छे कर्म करता है वो धर्म भी करता है और शर्म भी। उन्होंने कहा कि ज्ञान भी उनके लिए ही है जो ज्ञान को समझते हैं। गुरु महाराज जी ने कहा कि अगर किसी का बुरा करोगे तो बुरा ही मिलेगा।यदि काल जाल से मुक्त होना चाहते हो तो सन्त वचन को पकड़ो।गुरु महाराज जी ने हैरानी जताते हुए कहा कि हम हाजिर से हुज्जत करके कैसे परमात्मा को पा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इंसान अपने विचारों से अपना जीवन बनाता है। अपने विचार अच्छे कर लो यदि आपका जीवन ना सुधर जाए तो मुझे उलाहना देना। उन्होंने कहा कि उत्तम प्रकृति के इंसान बनो क्योंकि जिनकी प्रकृति उत्तम है उन पर कभी बुरे विचार अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाते जैसे चन्दन के पेड़ से चिपटे हुए सांप भी चन्दन की खुशबू को हटा नहीं पाते। उन्होंने एक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि जो सचेत नहीं हैं जगत और अगत उनका बिगड़ता है, लेकिन जो सचेत होते हैं उनका तो ताना भी स्वयं परमात्मा ही तनता है। उन्होंने कहा कि अपना हाथ अपने कर्म में लगाये रखो मन हमेशा अपने यार से। यार हमारा सच्चा एक ही है और वो है परमात्मा। उन्होंने कहा कि इस जगत में कितने ऐसे उद्धाहरण हैं जो हमें यह बताते हैं कि कितने ही भक्तों ने अपने काम स्वयं परमात्मा से करवाये हैं। उन्होंने कहा कि अपनी हस्ती मिटा कर सतगुरु की हस्ती में मिला दो आपका कल्याण ही कल्याण है। अपने ख्यालात बदल लो आपकी सूरत स्वयं परमात्मा में समा जाएगी।

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