महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि का भारत बचाओ संगठन ने किया स्वागतमजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना : वसीम रिजवी गुडग़ांव, 7 दिसम्बर (अशोक): मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना। उक्त बात इस्लाम छोडक़र सनातन धर्म में आए शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने गुडग़ांव के सिविल लाइंस क्षेत्र में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही। सामाजिक संस्था भारत बचाओ संगठन के संयोजक विक्रम सिंह यादव द्वारा वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी व महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि महाराज के स्वागत के लिए इस संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया था। जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी ने कहा कि कोई भी मजहब हमें झगड़ा करना नहीं सिखाता। धर्म हमेशा मानवता की सीख देता है। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद विवाद में भी उन्होंने कहा था कि यह हिंदूओं की जगह है और हिंदूओं को दी जानी चाहिए। उसी समय उन्हें न केवल पद से हटा दिया गया, अपितु उनके विरुद्ध फतवे भी जारी करने शुरु कर दिए गए थे। उन्होंने बताया कि इस्लाम धर्म के ऊपर उन्होनें एक किताब लिखी, जिसके बाद मुस्लिम समुदाय ने उनकी मौंत का फरमान जारी कर दिया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या बढ़ाने पर अलग ही सोच है। गुडग़ांव में सार्वजनिक स्थान पर नमाज अता किए जाने के बारे में उन्होंने कहा कि समुदाय को अपने घरों, मस्जिदों व वक्फ बोर्ड की जमीनों पर नमाज अता करनी चाहिए, न कि सार्वजनिक स्थान पर। वक्फ बोर्ड की जमीन पर किए गए अवैध कब्जों को हटाया जाना चाहिए, ताकि वहां मस्जिद बनाई जा सके। प्रशासन को चाहिए कि इस दिशा में कार्यवाही करे। संस्था के पदाधिकारियों विक्रम यादव, दिनेश चंद गुप्ता आदि ने जितेंद्र नारायण त्यागी व महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरि महाराज का बड़ी ही गर्जजोशी के साथ स्वागत भी किया। महामंडलेश्वर ने कहा कि वसीम रिजवी ने अपनी जान जोखिम में डालकर जो किताब लिखी है, उसके बाद से उन्हें व मुझे भी बार-बारधमकियां दी जार ही हैं। हालांकि उन्हें सुरक्षा उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने कहा कि रिजवी ने सनातन धर्म ग्रहण कर लिया है और अब वह जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी के नाम से जाने जाएंगे। इस अवसर पर संस्था से जुड़े सदस्य भी मौजूद रहे। Post navigation भाजपा का दो दिवसीय प्रशिक्षण एंव जिला कार्यसमिति संपन्न रोङवेज की तमाम युनियनों का एक चुनाव करवाने पर तत्परता से कार्य करे सरकार : दोदवा