मुख्यमंत्री को नहीं सुनाई दे रही है अपने विधायक के मन कि आवाजे
*यादव विधायक को मंत्री ना बनाये जाने कि पीछे मुख्यमंत्री-सांसद कि दोस्ती या दुश्मनी

पवन कुमार

रेवाड़ी, 06 दिसंबर I प्रदेश सरकार को बने दो साल से भी अधिक का समय हो गया है I कोसली विधायक लक्ष्मण यादव लगभग 15 सालों से पहले से ही भाजपा से जुड़े हुए है, या दूसरे शब्दों में कहे तो पिछले 15 सालों से भाजपा नेताओं के लिए दरियां बिछाते आये है I भाजपा का रेवाड़ी में जब अस्तित्व खतरे में था, तब लक्ष्मण यादव से भाजपा कि कमान संभाली थी और भाजपा के जिलाध्यक्ष रहने के दौरान उन्होंने भाजपा के लिए जनता में विश्वास कायम किया, जिसको बाद में सतीश खोला और योगेंद्र पालीवाल ने संभाला I आज रेवाड़ी में भाजपा है तो इन्हीं तीनो के कड़ी मेहनत और प्रयासों से है जिनकी विश्वासनीयता पर बिलकुल भी शक नहीं किया जा सकता I

लक्ष्मण यादव को विधायक बने दो वर्ष हो गये I वह जितना रेवाड़ी नहीं रह रहे है , उतना चंडीगढ़ रहते है,और कभी तो उनके समर्थकों को यह लगता है कि शायद वह रेवाड़ी कि बजाये पंचकुला के विधायक हो I वह शायद जितना परिवार वालों से नहीं मिलते,उससे कहीं ज्यादा वह मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से मिलते है पर वह मुख्यमंत्री के करीब होते हुए भी मुख्यमंत्री से एक प्रकार से दूर ही है I कोसली कि जनता ने लक्षण यादव को दिल से विधायक बनाया और जब वह भारी बहुमत से कोसली विद्यायक बने तो तो कोसली वालों को लगा कि लक्ष्मण यादव को मंत्री पद मिलेगा,कोसली में जितना विकास कार्य वह करा सकते थे कराया पर मंत्री बनने से अबतक वंचित है I कहते है माँ भी तब तक दूध नहीं पिलती जब तक बच्चा रोता नहीं है I विधायक तो रो नहीं रहे पर उनके समर्थकों के रोने कि आवाजे जरूर सुनने को मिल रही है, यह आवाजे या तो मुख्यमंत्री के कानों तक नहीं पहुँच रही या फिर मुख्यमंत्री ने पोलिटिकल पोलुशन से बचने के लिए कानों में रुई डाल रखी है I

इसी तरह कि वफ़ादारी पिछले शासनकाल में रेवाड़ी विधायक रणधीर कापड़ीवास ने भी दिखाई I वह और उनके समर्थक उनका मंत्री बनने का सपना देखते ही रह गये और जब आँख खुली तो भाजपा की टिकट मिलने से भी रह गये I उनका मंत्री ना बनने का तो एक कारण यह भी था कि उनकी सांसद राव इंद्रजीत से बनती नहीं थी और उनसे उनका छत्तीस का आकडा था, लक्ष्मण यादव के साथ तो ऐसा कुछ भी नहीं,फिर भी उनके मंत्री बनने में रुकावट क्यों ? पूर्व विधायक कापड़ीवास और लक्ष्मण यादव, दोनों ही साफ छवि के नेता है ,जिन पर किसी भी तरह का,कभी भी आरोप नहीं लगा, लेकिन फिर भी इन्हे मुख्यमंत्री ने मंत्री बनने से वंचित रखा I रणधीर सिंह कापड़ीवास भाजपा में मन से तो अब भी हैं पर तन से उन्होंने दूरियां बना रखी है I

सांसद राव इंद्रजीत और मुख्यमंत्री का रिश्ता भी अजीब है,कभी नजदीकियां तो,कभी दूरियां I भाजपा-इंद्रजीत के रिश्ते भी तेल-पानी के रिश्ते की तरह है I पानी में तेल साफ नज़र आता पर मिलता नहीं, राव इंद्रजीत भी भाजपा में ऐसे ही है I जहां कोसली विधायक लक्ष्मण को चंडीगढ़ चक्कर काटने के बाद भी मंत्री बनने से वंचित रहना पड़ रहा है,वही बावल विधायक डॉक्टर बनवारी लाल मंत्री पद पर कायम हैं I उन्हें तो उनके किये याना किये का चाहते ना चाहते हुए भी फल मिल रहा है, पर कोसली विधायक को मुख्यमंत्री ने इससे वंचित क्यों रखा हुआ है I कहीं ऐसा तो नहीं कि लक्ष्मण यादव कि आंखे तरसती रहे और पांच साल निकल जाये और फिर अगले विधानसभा चुनाव में उन्हें रणधीर कापड़ीवास कि तरह राजनीति में अपाहिज करके छोड़ दे I

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