झज्जर रैली को लेकर सोशल मीडिया को ही बनाया जा रहा प्रचार का जरिया
घरों से बाहर निकलने में कतरा रहें हैं जिले में पार्टी के सिरमौर

अशोक कुमार कौशिक 

 नारनौल। आगामी 9 दिसम्बर को झज्जर के मैदान पर जेजेपी अपना तीसरा स्थापना दिवस जन–सरोकार दिवस के रूप में मना रही है । रैली को सफल बनाने के लिए पार्टी के मुखिया सहित अधिकांश जेजेपी के नेताओं ने राज्य के दौरे करते हुए जिम्मेदार कार्यकर्ताओं को विभिन्न दिशा निर्देश देते ज्यादा से ज्यादा लोगों से सम्पर्क करते हुए उन्हें रैली में भाग लेने से जुडी कार्य योजना को अमलीजामा पहनाने के कड़े संदेश भी जारी किये हैं। 

वहीँ जिलास्तर पर प्रभारी तैनात करते हुए उन्हें कार्यकर्ताओं को मुस्तैद रखने को भी कहा गया है ,लेकिन ठीक पार्टी के दिशा निर्देश के विपरीत यहाँ जिला कार्यालय में सूनापन नज़र आ रहा है। गाँवों में कहीं कोई नेता या पदाधिकारी पार्टी के आगामी कार्यक्रम के लिए भागदौड करता भी नज़र नहीं आ रहा। इन तमाम हालातों को देखते हुए अब लोगों ने भी यह कहना शुरू कर दिया है कि बेशक यहाँ के लोगों में जेजेपी और दुष्यंत के प्रति हमदर्दी रख रहे है ,लेकिन जिले में पार्टी के कर्णधार बने नेताओं के बीच छाई मायूसी से जनसरोकार रैली में जिला महेंद्रगढ़ के लोगों की भागीदारी अपेक्षा से कम रह सकती है । जिले में इन सिरमौर नेताओं के द्वारा रैली में भाग लेने के बढ़-चढ़कर दावे जरुर जताये जा रहे है, पर हकीकत इससे परे है।

विगत तीन सालों में जेजेपी के बैनर के नीचे जितने भी कार्यक्रम आयोजित किये गए , लगभग सभी में जिलावासियों की उपस्थिति सहरानीय मानी जाती रही है ,लेकिन शायद अबकी बार आगामी 9 दिसम्बर को झज्जर में आयोजित तीसरे स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित जनसरोकार रैली को लेकर लोगों में संशय बना है । लोग तो रैली के जरिये अपने अजीज नेताओं के दीदार को तैयार बैठें हैं ,लेकिन जिले के नामचीन नेताओं सहित आम कार्यकर्ता के बीच फैली मायूसी लोगों की समझ से बाहर है । दिखावे के लिए बैठक का आयोजन तो किया गया, लेकिन किस की क्या जिम्मेदारी रहेगी यह बात अभी तक सुनिश्चित नहीं हो पाई है । गाँव स्तर पर भी अभी कोई प्रचार प्रसार शुरू नहीं देखा जा रहा है । वहीँ शहरों में भी अभी रैली के लिए कोई चर्चा देखी और सुनी जा रही है । इन हालातों को देखते हुए नहीं लगता कि अबकी बार जिला के लोग रैली में बढ़ चढ़ कर भाग लेंगे । इसका प्रमुख कारण यहाँ उन नेताओं की बेरुखी को माना जा रहा है ,जी वैसे तो जिले में पार्टी के कर्णधार बने बैठे हैं और जब पार्टी को उनकी जरुरत है तो वही कर्णधार अपने घरों से बाहर निकलने से भी कतरा रहें हैं।

 हाँ, गत दिनों जिला कार्यालय पर जिलास्तरीय बैठक आयोजित की गई तो खादी की चमक देखने को मिली और नेताओं की जुबान पर लम्बे चौड़े वायदों की फरिह्स्त भी रही , जिनकों मूर्त रूप देने के लिए जनता से सीधे संवाद के साथ की कड़ी मेहनत की भी जरुरत रहेगी । वहीँ यहाँ हालत यह बने हैं कि फेसबुक और व्हाट्सअप सहित सोशल मिडिया के अन्य मंचों का प्रयोग करते हुए खादिगिरी की चमक बरक़रार रखने की कवायद की जा रही है । प्रचार माध्यमों का अभी कोई प्रयोग शुरू नहीं किया गया है । हल्कास्तर परकार्यकर्ताओं की बैठक तो आयोजित करते हुए अपने आप को पदाधिकारी होने का रुतबा बरक़रार रखा जा रहा है ,लेकिन जनमानस के बीच अभी रैली को लेकरचर्चाओं का दौर मंदा है ।

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