धर्मपाल वर्मा हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष और सिरसा के पूर्व सांसद डॉक्टर अशोक तंवर ने कांग्रेस से अलग होने के बाद अपना एक मोर्चा खड़ा किया था लोग कयास लगाते रहे कि वे भाजपा या हरियाणा में असरदार किसी दूसरे राजनीतिक दल में शामिल हो सकते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में उनकी सहानुभूति जननायक जनता पार्टी की तरफ भी देखी गई लेकिन ऐलनाबाद चुनाव में उन्होंने इंडियन नेशनल लोकदल का समर्थन किया और अब वे अंततः तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए । हम पहले ही कह चुके हैं कि इस मामले में जहां डॉक्टर तवर को पार्टी प्लेटफार्म की जरूरत थी वही पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी की अध्यक्ष ममता बनर्जी को हरियाणा में अपनी पार्टी की गतिविधियां बढ़ाने की जरूरत थी ।उन्होंने पहले भी हरियाणा में पार्टी को खड़ा करने की कोशिश की थी। अब स्थिति यह है कि ममता बनर्जी डॉ अशोक तंवर के पार्टी में आने के फैसले से संतुष्ट हैं। उन्हें लगता है कि क्योंकि डॉक्टर तवर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं इसलिए वह हरियाणा में हर जगह मतलब कोने-कोने में अपना न्यूनाधिक हस्तक्षेप, संपर्क और तालुक जरूर रखते होंगे। हर जगह उनके समर्थक कार्यकर्ता होंगे ।इसी से टीएमसी को पहचान मिलने में आसानी रहेगी लेकिन इस मामले में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला और ममता बनर्जी के बीच जो घनिष्ठ संबंध हैं उसे देखते हुए लगता है कि आगामी चुनाव में हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल और टीएमसी में किसी न किसी स्तर पर गठबंधन होने के आसार बने रहेंगे यहां तक कि लोकसभा के चुनाव में भी। अब सवाल यह उठता है कि डॉक्टर अशोक तवर टीएमसी के नेता के रूप में चुनाव में लोकसभा में रुचि रखते हैं या विधानसभा में .यदि लोकसभा की बात करें तो उनकी प्राथमिकता सिरसा ही इसलिए रहेगी कि 2009 में वे सिरसा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और सिरसा में ही रह रहे हैं लेकिन गठबंधन में भी इंडियन नेशनल लोकदल टीएमसी के लिए सिरसा की सीट छोड़ देगा ऐसा संभव नहीं है और डॉक्टर अशोक तंवर दूसरी रिजर्व सीट अंबाला से चुनाव लड़ने की हिम्मत कर लेंगे यह भी संभव नजर नही आ रहा। क्योंकि श्री तंवर की रूचि अंबाला में देखी ही नहीं गई और यह भी सच्चाई है कि उनके लिए अंबाला सिरसा से कठिन चुनाव क्षेत्र है। ऐसे में यदि वे लोकसभा का लालच छोड़ दें और विधानसभा में भाग्य आजमाने को प्राथमिकता दें तो राजनीतिक पर्यवेक्षकों की नजर में उनके लिए नरवाना रिजर्व विधानसभा क्षेत्र लाभकारी हो सकता है ।ऐसा इसलिए कि श्री तंवर सिरसा से सांसद रहे हैं और नरवाना विधानसभा क्षेत्र सिरसा लोकसभा क्षेत्र में आता है ।दूसरा यह कि चौधरी ओमप्रकाश चौटाला नरवाना में डॉ तंवर को निर्णायक स्पोर्ट दे सकते हैं। उधर दूसरी संभावना यह भी है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह भी चुनाव में चौधरी ओमप्रकाश चौटाला के साथ तालमेल चुनाव में आ सकते हैं और वह भी नरवाना में डॉक्टर अशोक तंवर के बड़े मददगार साबित हो सकते हैं इसीलिए डॉक्टर तवर के काफी समर्थक यह चाहते हैं कि वे लोकसभा का चुनाव का लालच छोड़ नरवाना में विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाएं क्योंकि नरवाना में जननायक जनता पार्टी का विधायक है और श्री चौटाला और चौधरी बिरेंदर सिंह किसी सूरत में यह नहीं चाहेंगे कि नरवाना मे जननायक जनता पार्टी दोबारा फिर जीत का जशन मनाए। इस समय दलित नेताओं की बात करें तो हरियाणा में कांग्रेस में कुमारी शैलजा को छोड़ दूसरे जितने नेता हैं उनमें अशोक तवर ज्यादा प्रभावशाली इसलिए माने जा रहे हैं कि वह कांग्रेस में एनएसयूआई के अध्यक्ष रहे हैं अखिल भारतीय युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं और हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं। यदि वे परिश्रम और योजना से काम करते हैं तो यह अनुभव उन्हें हरियाणा की राजनीति में निखार सकता है और वह पूरे देश प्रदेश में दलित मतदाताओं को अच्छी तरह से प्रभावित करने की स्थिति में आ सकते हैं। यह ऐसा मौका है जिसका लाभ उन्हें खुद को भी मिल सकता है और उनके संभावित सहयोगी दल नेशनल लोकदल को भी। इंडियन नेशनल लोकदल हरियाणा की अधिकांश रिजर्व सीटों पर कमांडिंग पोजीशन में रहा है ।अधिकांश सीटों पर जीत दर्ज करता रहा है। इसीलिए राजनीतिक पर्यवेक्षक यह मानकर चल रहे हैं कि अशोक तंवर अच्छी राजनीतिक सूझबूझ से काम करते हैं तो उनके पास एक बार फिर हरियाणा में राजनीति में बड़ा रुतबा बनाने का मौका है। Post navigation दिल्ली के आसपास के 100 किलोमीटर क्षेत्र को रखा जाए एनसीसीआर में, शेष राज्य सरकार अपने स्तर पर करेगी विकसित : मुख्यमंत्री रेवाड़ी, धारूहेड़ा, कोसली में सत्ताधारी की मिलीभगत से अवैध कालोनियां काटकर करोड़ों बनाये जा रहे : विद्रोही