एचपीएससी के डिप्टी सचिव अनिल नागर के नौकरी दिलवाने के गैंग के जो कारनामे सामने आ रहे है, उससे साफ है कि भाजपा खट्टर राज में एचसीएस से लेकर चपरासी तक की सरकारी नौकरियां बड़े सुनियोजित ढंग से पर्दे के पीछे से मोटा माल लेकर बेची गई : विद्रोही 4 दिसम्बर 2021स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर का युवाओं को बिना खर्ची-पर्ची, पारदर्शिता, ईमानदारी व मैरिट से सरकारी नौकरियां देने का दावा तो हवा हवाई जुमला साबित हो गया और विगत सात सालों में भाजपा खट्टर सरकार द्वारा सरकारी नौकरियां देने का संघी फार्मूला परचा छोडो कोरा-नौकरी पाने नोटो का भरकर दो बोरा, बेनकाब हो गया। विद्रोही ने कहा कि एचपीएससी के डिप्टी सचिव अनिल नागर के नौकरी दिलवाने के गैंग के जो कारनामे सामने आ रहे है, उससे साफ है कि भाजपा खट्टर राज में एचसीएस से लेकर चपरासी तक की सरकारी नौकरियां बड़े सुनियोजित ढंग से पर्दे के पीछे से मोटा माल लेकर बेची गई और नौकरी बेचने का यह खेल सीएमओ की मिलीभगत के बिना संभव ही नही था। खट्टर जी चाहे लाख सफाई दे, पर घटनाचक्र चीख-चीख कर कह रहा है कि सत्ता दुरूपयोग से सत्तारूढ़ संघीयों ने सरकारी नौकरियां देने में ना केवल भारी घोटाला किया है अपितु नौकरियां बेचकर मोटा माल भी बनाया है। विद्रोही ने सवाल किया कि चौटाला-इनेलो राज में वर्ष 2004 में चयनित एचसीएस अधिकारियों के मामले में 12 सालों से चल रही जांच को दरकिनार करके मुख्यमंत्री खट्टर ने वर्ष 2016 में 38 अधिकारियों को ज्वाईन क्यों करवाया? और इसमें भी एक नये अधिकारी अनिल नागर को हरियाणा लोकसेवा आयोग में डिप्टी सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद पर क्यों बैठाया? साफ है कि सारा खेल सरकारी नौकरियां बेचने के लिए ही खेेला गया था। अब सच सामने आने पर खट्टर सरकार जांच के नाम पर पर्दे के पीछे छिपे असली सूत्रधारों का चेहरा बेनकाब करने की बजाय सारी जिम्मेदारी, जवाबदेही कठपुतलियों पर थोपकर भर्ती घोटाले के सच को दफनाने में जुटी है। विद्रोही कहा कि इस सरकारी भर्ती घोटाले की निष्पक्ष-स्वतंत्र जांच करवाने की बजाय विजिलैंस जांच के नाम पर जो लीपापोती की जा रही है, उससे साफ है कि पूरी जांच प्रायोजित है और सच को छुपाने के लक्ष्य को रखकर की जा रही है। जब सारी जवाबदेही अनिल नागर एंड कम्पनी पर ही डालनी है तो ऐसी जांच का औचित्य क्या है? शुचिता, पारदर्शिता, मैरिट, ईमानदारी से नौकरियां देने के नाम पर परचा छोडो कोरा-नौकरियां पाने नोटो का भरकर दो बोरा यह सत्य सामने आ चुका है। ऐसी स्थिति में यदि मुख्यमंत्री खट्टर जी सच्चे-सुच्चे व ईमानदार है तो हरियाणा लोकसेवा आयेाग व हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा विगत सात सालों में की गई तमाम भर्तीयों की स्वतंत्र-निष्पक्ष जांच के लिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के सिटिंग जज की अध्यक्षता में एक विशेष जांच आयोग नियुक्ति करने की हिम्मत दिखाये ताकि परचा छोडो कोरा-नौकरी पाने नोटो का भरकर दो बोरा, का सच सामने आ सके। Post navigation मुख्यमंत्री मनोहर लाल और किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी के बीच बैठक बेनतीजा, मुकदमे वापस लेने पर नहीं बनी बात हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की 8वी बोर्ड परीक्षा पर लगी मोहर, प्राइवेट स्कूल यूनियनों ने बोर्ड का जताया आभार