शाम साढ़े 5 बजे शुरू हुई मीटिंग रात सवा 8 बजे तक चलती रही. लेकिन दोनों पक्षों के बीच किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने पर बात नहीं बन सकी.
इस मीटिंग में 8 किसान नेता पहुंचे. इनमें गुरनाम सिंह चढूनी, राकेश बैंस, रामपाल चहल, रतन मान, जनरैल सिंह, जोगेंद्र नैन, इंद्रजीत सिंह और अभिमन्यू कोहाड़ शामिल रहे.

पानीपत. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और किसान नेताओं के बीच शुक्रवार शाम को किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे और शहीद हुए किसानों के परिवारों को मुआवजे समेत अन्य तमाम मसलों को लेकर हुई पौने 3 घंटे की मीटिंग बेनतीजा रही. शाम साढ़े 5 बजे शुरू हुई मीटिंग रात सवा 8 बजे तक चलती रही. लेकिन दोनों पक्षों के बीच किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने पर बात नहीं बन सकी.

मीटिंग के बाद किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि सरकार से उनकी मांगों पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. हरियाणा सरकार ने उनके मुद्दों पर दोबारा मीटिंग के लिए कोई न्यौता नहीं दिया है. मीटिंग में सरकार का रुख न तो बहुत ज्यादा नरम था और न ही बहुत ज्यादा सख्त. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बातचीत बेनतीजा रही. चढ़ूनी ने कहा कि वह इस बैठक में हुई बातचीत का ब्यौरा 4 दिसंबर को होने वाली संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग में रखेंगे. उसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा सर्वसम्मति से इस पर आगे कोई फैसला लेगा.

इससे पहले सीएम के कैंप ऑफिस के कॉन्फ्रेंस रूम में हुई इस मीटिंग में 8 किसान नेता पहुंचे. इनमें गुरनाम सिंह चढूनी, राकेश बैंस, रामपाल चहल, रतन मान, जनरैल सिंह, जोगेंद्र नैन, इंद्रजीत सिंह और अभिमन्यू कोहाड़ शामिल रहे. मीटिंग में हरियाणा सरकार की ओर से प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी समेत तमाम आला अधिकारी शामिल रहे. शाम सवा 8 बजे मीटिंग खत्म होने के बाद किसान नेताओं ने सीएम के कैंप ऑफिस में ही पत्रकारों से बातचीत की. इस दौरान सीएम आवास के बाहर भी बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे.

किसानों पर मुकदमे ही मीटिंग का मुख्य मुद्दा

भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने बैठक में शामिल होने से पहले कहा कि बातचीत का मुख्य मुद्दा किसानों पर दर्ज मुकदमे हैं. सरकार इनको वापस ले ले. किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के लिए मुआवजे आदि कई मसले सरकार के सामने रखे जाएंगे. पीएम मोदी द्वारा कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद से ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल की ओर से किसानों से बातचीत की पहल की गई थी. हालांकि कुछ मसलों पर विरोध के चलते चढूनी इस मीटिंग में भाग लेने के इच्छुक नहीं थे.

आंदोलन के दौरान 50 हजार किसानों पर केस

हरियाणा सरकार और किसानों के बीच बातचीत में मुख्य मुद्दा किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज केस हैं. किसान नेताओं की मानें तो हरियाणा में पिछले एक साल से किसान आंदोलन के दौरान 50 हजार किसानों पर विभिन्न थानों में केस दर्ज हुए हैं. केंद्र सरकार पहले ही कह चुकी है कि दर्ज केसों पर कार्रवाई राज्य सरकारों का अधिकार क्षेत्र है.

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