छात्र भगवत गीता से जीवन जीने की कला सीखें : डॉ. आहूजा, कुलपति

गुरुग्राम, 2 दिसंबर। गुरुग्राम विश्वविद्यालय परिसर सेक्टर 51 में आज अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का विधिवत शुभारंभ गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मार्कण्डेय आहूजा ने दीप प्रज्ज्वलन व मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया। इस अवसर पर गुरुग्राम विश्वविद्यालय में श्रीमद्भागवत गीता पर आधारित सचित्र प्रदर्शनी लगाई गई।जिसमें गीता जी के श्लोकों के माध्यम से बताया गया कि मनुष्य जाति का आधार इसमें छिपा हैं। साथ ही साथ मनुष्य के लिए क्या कर्म हैं ? क्या धर्म है और पौराणिक और ऐतिहासिक घटनाक्रमों को बड़े सुन्दर ढंग से चित्रों के द्वारा दिखाया गया है। प्रदर्शनी में लगे चित्रों को जाने माने चित्रकार तपन चंद्र भौमिक द्वारा बनाया गया है। यह प्रदर्शनी एक महीने तक चलेगी, जिसमें विवि के विभिन्न विभागों और महाविद्यालयों के विद्यार्थी अलग अलग दिन अवलोकन करने आएँगे ।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. मार्कण्डेय आहूजा ने कहा कि सभी गीता जयंती महोत्सव के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लें। शिक्षक गीता के महत्व को समझें और छात्रों को भी गीता महोत्सव की उपयोगिता से रूबरू कराकर एक स्वच्छ समाज का निर्माण करें। छात्र गीता जी से जीवन जीने की कला सीख सकते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन और कर्म का उद्देश्य भगवान के साथ संबंध स्थापित करना है। श्रीमद्भगवद्गीता भगवान श्रीकृष्ण की वाणी है। इसके प्रत्येक श्लोक में ज्ञान रूपी प्रकाश है, जिसके प्रस्फुटित होते ही अज्ञान का अंधकार नष्ट हो जाता है और ज्ञान का प्रकाश चारों ओर फ़ैल जाता है ।

डॉ आहूजा ने कहा कि गीता केवल आस्था ही नहीं, जीवन जीने की एक कला है। गीता जी के 18 अध्यायों में मनुष्य के सभी धर्म एवं कर्म का ब्योरा हैं। इसमें सतयुग से कलियुग तक मनुष्य के कर्म एवं धर्म का ज्ञान हैं।

इस अवसर पर डॉ अमन वशिष्ठ, डॉ अमरजीत कौर, डॉ अशोक खन्ना, डॉ राकेश कुमार योगी, डॉ विजय मेहता, डॉ नवीन गोयल , डॉ वंदना हांडा, डॉ शुभम गांधी, डॉ सुमन वशिष्ठ, डॉ एकता, डॉ सीमा महलावत, डॉ नीलम वशिष्ठ, डॉ फलक खन्ना आदि मौजूद रहे।

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