भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। गुरुग्राम नगर निगम का कार्यकाल समाप्ति की ओर अग्रसर हो रहा है। अंतिम वर्ष आरंभ हो चुका है। पार्षदों को आगामी चुनाव जीतने की चिंता सताने लगी है। ऐसे में वे जनता से निगम की अनियमितताओं के बारे में यह कह रहे हैं कि हमारी तो चलती ही नहीं।

निगम में फाइनेंस कमेटी होती है। हमारी जानकारी और पार्षदों से मिली जानकारी के अनुसार उसमें पांच सदस्यों का होना लाजमी है लेकिन आज तक फाइनेंस कमेटी का संचालन केवल तीनों मेयर कर रही हैं। मजेदारी यह है कि बीच-बीच में कई निगम कमिश्नर आए, किसी ने भी इस कमेटी को बनाने के लिए प्रयास नहीं किए या उनके प्रयास सिरे नहीं चढ़े, यह तो वे जानें।

निगम में एक पार्षद हुआ करते थे स्व. चौ. रणबीर सिंह राठी और कहा जाता था कि निगम की हर मीटिंग में अनियमितताओं के खिलाफ वह अपनी आवाज मुखर करते रहते थे लेकिन भगवान की लीला कोरोना ने उन्हें हमसे छीन लिया। वह हर मीटिंग में फाइनेंस कमेटी पांच व्यक्तियों की गठित करने की मांग करते थे और वह निगम की मिनट्स में भी अंकित होगा लेकिन उनके बाद यह आवाज कोई मुखर रूप से उठा नहीं सका।

स्मरण रहे कि इस निगम के मेयर राव इंद्रजीत सिंह ने अपनी शक्ति और मर्जी से बनाए थे और जब वे बनवाए थे तो सीधा-सा अर्थ है कि उनके साथ निगम के अधिकांश पार्षद भी थे। आज वही पार्षद कह रहे हैं कि हम दो बार तो राव इंद्रजीत के निवास पर जाकर भी कह आए कि फाइनेंस कमेटी का गठन होना चाहिए लेकिन हमारी बात नहीं सुनी। अब इसमें वह कितना सच बोल रहे हैं, कितना झूठ यह तो वही जानें लेकिन यह सच्चाई है कि फाइनेंस कमेटी का विधिवत रूप से गठन होना चाहिए था।

अब अनेक प्रश्न उठते हैं कि गुरुग्राम नगर निगम निकाय मंत्री अनिल विज के आधीन आता है। वैसे तो अनिल विज के पूरे हिंदुस्तान के बारे में रोज ब्यान आते रहते हैं लेकिन कभी गुरुग्राम नगर निगम में जो अरबों की पेमेंट निगम से बिना वैध फाइनेंस कमेटी के दस्तखत के हस्ताक्षर से हो गई, उसका जिम्मेदार कौन होगा? शायद वह कहें कि मुझे जानकारी नहीं है तो बचकाना जवाब लगेगा, वह विभाग के मंत्री हैं और गुरुग्राम नगर निगम प्रदेश का सबसे अधिक राजस्व एकत्र करने वाला निगम है, जिसके राजस्व में से वह 150 करोड़ रूपए फरीदाबाद को दिलवा चुका है और अब फरीदाबाद की सफाई की पेमेंट भी गुरुग्राम निगम से ही करा रहे हैं। और फिर हमारी सरकार का कहना है कि हर काम ऑनलाइन है, किसी वक्त कहीं भी बैठकर कोई भी गतिविधियां विभाग की चैक की जा सकती है। अब पता नहीं इसका जवाब तो विज साहब ही दे पाएंगे।

निगम के आने वाले चुनाव को देखते हुए निगम पार्षद बार-बार यह कहते हैं कि हमने यह बात मुख्यमंत्री तक भी पहुंचाई और गुरुग्राम में भाजपा के सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों को इसका ज्ञान है। और सबसे बड़ी बात पूर्व विधायक और वर्तमान विधायक भी इस बारे में चुप्पी साधे हुए हैं।

 अब जनता तो अपने काम और सहूलतें देखती है और जिन जनप्रतिनिधियों के रहते जनता को परेशानी झेलनी पड़ती हैं और उनकी आवाज की सुनवाई नहीं होती, उन्हें जनता चुनाव के समय जवाब देती है। उससे पूर्व वह निरीह कुछ कर भी तो नहीं सकती।

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