जनता के टैक्स द्वारा अर्जित पैसे से उसी को दी जाने वाली सुविधाएं सौगात कैसे : सुनीता वर्मा
सरकारी कोष की अपने राजनीतिक फायदे के लिए की जाने वाली बंदरबांट से भामाशाह बनना और जनता द्वारा अपने ही इस मान हनन पर तालियां पीटना किसकी नासमझी समझें?

गुरुग्राम।  ‘सत्ताधारी बीजेपी के इस दौर ने शब्दों में निहित अर्थों का भी अनर्थ कर दिया है।’ ये कहना है महिला कांग्रेस की प्रदेश महासचिव सुनीता वर्मा का।

हमारे संवाददाता से दूरभाष से हुई बातचीत में इस ‘सौगात’ विषय पर हुई चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि हरियाणा की खट्टर सरकार द्वारा की जाने वाली घोषणाओं को सौगात नाम देना उनका एक अपरिपक्व बुद्धिजीवी की ही पहचान कराता है। क्योंकि जहां इस ‘सौगात’ का शाब्दिक अर्थ भेंट, उपहार व तोहफा से हैं वहीं ये एक उर्दू शब्दावली का मानक शब्द भी है।

संवाददाता से दूरभाष पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि अगर सीधे अर्थों में समझा जाये तो इसकी सरल परिभाषा ये होगी कि अपने निजी कोष से किसी को भेंट या उपहार देना सौगात कहलाती है। किंतु शायद आरएसएस की पाठशाला में इसका कुछ और ही अर्थ पढ़ाया गया है तभी तो प्रदेश के सीएम हर जगह जो घोषणाएं करते हैं उन्हें सौगात नाम देकर खुद भामाशाह बनने का असफल प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा इस शब्द का इस तरीके से गलत इस्तेमाल करके सीधे तौर पर लोगों के मान का हनन किया जा रहा है।

वर्मा के अनुसार यहां सबसे बड़ी विडंबना ये भी है कि जनता को भी अपने इस मान हनन का तनिक भी भान नही है और वो भी अंधभक्ति में तालियां पीट रही है।

उन्होंने कहा कि हम इस बात को और विस्तार से इस प्रकार समझ सकते हैं कि जनता की मेहनत से कमाए पैसे से जो टैक्स के रूप में सरकारी कोष में पैसा जमा होता है वापिसी में वही जनता का पैसा, जनता के लिए, जनता को दी जाने वाली सुविधाओं व विकास कार्यों की खातिर विभिन्न ग्रांटों के रूप में दिया जाता है….फिर भला ये सौगात कैसे हो सकती है..? ये तो जनता का हक़ है जो उसे देरी से दिया जा रहा है।

महिला कांग्रेस की प्रदेश महासचिव ने फोन पर बात करते हुए ही बताया कि अब सवाल ये उठता है कि क्या ये पैसा प्रदेश का सीएम अपने निजी कोष से या जेब से दे रहा है या फिर वो पार्टी फण्ड में जमा अकूत धन में से बांट रहा है जो कि वो इसे ‘सौगात’ बता रहे हैं।

जनता को उसका हक देना, वो भी जनता के पैसे से ही और फिर उसे अपने दम्भ के चलते सौगात बताना ये सरासर संवैधानिक परम्पराओं की अवहेलना है।

उन्होंने सरकार द्वारा की जाने वाली घोषणाओं में इस ‘सौगात’ शब्द के इस्तेमाल करने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि हाल ही में प्रदेश के सीएम खट्टर द्वारा बाबल व अन्य स्थानों पर विकास कार्यों के लिए की गई घोषणाओं पर यही सरकारी मीडिया व नेताओं की बयान बाजी रही कि क्षेत्र को करोड़ों की ‘सौगात’ दी गई। अरे मेरे भाई! जियो यूनिवर्सिटी की व्हाट्सएप पाठशाला में ये ज्ञान हासिल करके खुद की तरहं जनता को भी अनपढ़ व बेवकूफ समझ लिया है क्या?, आरआरएस द्वारा संचालित नफरत की पाठशाला में शब्दों की बाजीगरी से वोट बटोरने की राजनीति टेढ़ी साबित होगी, ध्यान रखना..।

उन्होंने कड़े लहजे में बोलते हुए कहा कि ‘जनता का हक़, जनता का पैसा – फिर ये सौगात कैसी..पूछता है हरियाणा।’

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