29 नवम्बर 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टरे से मांग की कि वे सुप्रीम कोर्ट के अगस्त 2021 के आदेश अनुसार व इन्द्रा साहनी केस में सुप्रीम कोर्ट कीे गाईड लाईन अनुसार पिछडे वर्ग आरक्षण के लिए क्रीमीलेयर की जारी अधिसूचना को दोबारा अधिसूचित करे ताकि पिछडे वर्ग केे पात्र सभी लोगों को आरक्षण का संवैद्यानिक हक मिल सके। विद्रोही ने कहा कि अगस्त 2021 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नवम्बर 2021 में खट्टर सरकार द्वारा क्रीमी लेयर के संदर्भ में जारी अधिसूचना सुप्रीम कोर्ट के आदेश व इन्द्रा साहनी केस में संविधान पीठ द्वारा पिछडे वर्ग की क्रीमी लेयर के संदर्भ में गाईड लाईन के खिलाफ है। साथ में हरियाणा में क्रीमी लेयर गाईड लाईन की इस संदर्भ में केन्द्रीय नौकरियों के लिए ओबीसी आरक्षण से भी मेल नही खाती। केन्द्र सरकार ने पिछडे वर्ग की क्रीेमी लेयर आय सीमा 8 लाख रूपये वार्षिक कर रखी है जबकि हरियाणा सरकार ने यह सीमा 6 लाख रूपये वार्षिक तय की है। आर्थिक रूप से पिछडे स्वर्ण वर्ग आरक्षण में भी 8 लाख रूपये वार्षिक आय वाले परिवार को गरीब मानकर आरक्षण दिया जा रहा है। फिर पिछडे वर्ग के साथ हरियाणा सरकार अन्याय क्यों कर रही है? विद्रोही ने कहा कि इन्द्रा साहनी केस में सुप्रीम कोर्ट की गाईड लाईन अनुसार द्वितीय श्रेणी के पिछडे वर्ग के आश्रितों व प्रथम श्रेणी में प्रमोट होकर अधिकारी बने आश्रितों को भी ओबीसी आरक्षण मिलना चाहिए, पर हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को तांक पर रखकर ना केवल द्वितीय श्रेणी के पिछडे अधिकारियों व निचले स्तर से प्रमोशन पाकर प्रथम श्रेणी के अधिकारी बने लोगों के आश्रितों को भी ओबीसी आरक्षण से वंचित रखा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि ओबीसी क्रीमी लेयर तय करते समय कृषि आय को कर्मचारियों के वेतन व सम्पत्ति में शामिल नही किया जाये, लेकिन खट्टर सरकार ने इस आदेश की भी अवहेलना की है। सुप्रीम कोर्ट अनुसार कृषि आय, कृषि जोत चाहे कितनी भी हो, सभी कृषक ओबीसी परिवारों को आरक्षण मिलेगा लेकिन यहां भी लैंड सिलिंग के बहाने ज्यादा जमीन रखने वाले ओबीसी परिवारों को आरक्षण से वंचित कर दिया। विद्रोही ने कहा कि यह हालत तो तब है जब भाजपा खट्टर सरकार हरियाणा में पिछडे वर्ग विशेषकर ओबीसी बाहुल्य अहीरवाल से मिलेे एकतरफा जनसमर्थन के बल पर ही सत्ता में है। मोदी सरकार में हरियाणा से सम्बन्धित ओबीसी वर्ग के तीन मंत्री है। जब उक्त ओबीसी मंत्री अपने वर्ग के लोगों को आरक्षण का भी संवैद्यानिक लाभ नही दिला पा रहे है, तो उन्हे अपने को ओबीसी वर्ग मंत्री कहने का कोई नैतिक हक नही है। विद्रोही ने भाजपा खट्टर सरकार से आग्रह किया कि ओबीसी विरोधी अपनी मानसिकता को छोडकर सुप्रीम कोर्ट आदेशानुसार ओबीसी क्रीमी लेयर के संदर्भ में ओबीसी नया नोटिफिकेशन तत्काल जारी करे। Post navigation कोरोना के नये वेरिएंट को लेकर सरकार पूरी तरह मुस्तैद: मुख्यमंत्री कांग्रेस की उलझन , सुलझाये कौन ?