नारनौल के बहुचर्चित दहेज हत्याकांड में मामले में बेटी के साहस भरे बाइस साल लंबे संघर्ष के बाद मैडम विजय यादव हुई दोष मुक्त बेटी ने स्टिंग कर दिलाया न्याय, साक्ष्यों से साबित हुआ मृतका ने डिप्रेसन में सुसाइड किया

नारनौल, रामचंद्र सैनी
नारनौल के  बहुचर्चित रहे दहेज हत्या के एक मामले में 22 साल के लंबे संघर्ष के बाद नारनौल जिला महेंद्रगढ़ में रहने वाले परिवार को न्याय मिला है। 16 नवंबर को जयपुर न्यायालय की पीठासीन अधिकारी न्यायधीश रिद्धिमा शर्मा की अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए पूर्व प्रोफेसर रही मैडम विजय यादव को दोषमुक्त घोषित किया है। साक्ष्यों से ये साबित हुआ कि उस समय विवाहिता ने आत्महत्या की थी तथा वह डिप्ररेशन से पीडित थी। संघर्ष कर रहे परिवार की बेटी आस्था राव ने स्टिंग कर छिपे तथ्यों और झूठे गवाहों को कोर्ट के समक्ष उजागर किया। गुरुवार को अमरेका के न्यूयॉर्क से वर्चुअल माध्यम से पत्रकारवार्ता कर आस्था राव ने मामले की जानकारी मीडिया से सांझा की।

आज न्यूयार्क से आस्था राव ने बताया कि उनका परिवार नारनौल के ऑफिसर्स कॉलोनी रहता था। 10 फरवरी 1998 में उसके भाई योगेश की शादी नारनौल निवासी रेणुका से हुई थी।। योगेश एमबीए करने के पश्चात जयपुर में केंद्र के एनएसएसओ विभाग में नौकरी के कारण जयपुर में थे तथा वहीं किराये के मकान में रेणुका भी उनके साथ थी। 16 जून 1999 को रेणुका ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। रेणुका के परिजनों ने दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज करवा दिया। आस्था राव ने बताया किपुलिस जांच उनकी पक्ष में थी लेकिन कोर्ट में फिल्मी स्टाइल में झूठे गवाह खड़े कर कर दिए गए। आस्था ने बताया कोर्ट के आदेश पर उनके पिता जोगेंद्र सिंह को पुलिस ने एक दिन गिरफ्तार कर लिया, जिससे उनके परिवार जनों के बचाव के सभी रास्ते बंद हो गए और कन्फ्यूजन व निराशा जनक परिस्थिति बन गई।

आस्था ने बताया कि  झूठे गवाह के कारण पूरा परिवार तबाह हो गया। रेणुका के परिजनों की तरफ से उनका एक रिश्तेदार चश्मदीद दूधिया बन झूठी गवाही दे गया। ठीक फिल्मी तर्ज पर ऐसी कहानी बना दी गई कि निचली अदालत ने उसके परिजनों को 10 साल के कठोर कारावास का सुना दिया गया। आस्था ने बताया कि उसकी प्रोफेसर विजय यादव पहले से ही कैंसर से जूझ रही थी। भाई डिप्रेसिव अग्जाऐल में जा चुका था। पुराने डायबिटिक मेरे पिता को 4 साल के लंबे समय तक जेल में रहने के कारण उनका मल्टी ऑर्गन फेलियर हो चुका था। जिसके चलते 21 अप्रैल 2008 को 60 की उम्र में वे दुनिया छोडकर चले गए।

स्टिंग से हुआ पर्दाफाश :-
  आस्था राव ने बताया कि जिस समय उसके परिजनों पर केस शुरू किया गया वे महज दसवीं कक्षा में पढती थी। निचली अदालत के फैसले से एक तरह से उनका सबकुछ लूट चुका था फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी। आस्था ने बताया कि उनकी  भाभी के जो माता.पिता कोर्ट और समाज में रो-रो कर झूठी कहानी बनाए सहानुभूति बटोरते रहे। असल में वे बड़ी ही बेशर्मी से चुपचाप लाखों रुपये की डील अपनी ही बेटी की मृत्यु पर करते रहे हैं। जिसके चलते हुए उसने स्टिंग करने का निर्णय लिया और इसकी शुरूआत कर दी। आस्था के अनुसार सबसे पहले ऑडियो वीडियो रिकॉर्ड कर लिया। स्टिंग में भाभी के पिता ने बताया कि वह गवाह उनका प्रॉपर्टी डीलिंग में मुख्य पार्टनर है। भाभी की मां ने बताया कि इस गवाह के तो उन्होंने एक प्लाट भी नाम करवा रखा है। वह स्वयं भी अपने लिए 5 लाख और रेणुका के माता-पिता द्वारा 50 लाख की मांग करना बताता है। आस्था राव ने छोटी  सी उम्र में एक स्टिंग ऑपरेशन करके सभी सबूत अदालत में पेश किए। जिस पर अदालत ने पिछले सप्ताह यह फैसला सुनाया है।

आस्था राव ने न्यूयार्क से वर्चुअल पत्रकारों से जुडकर भावुक होते हुए कहा कि उसके स्टिंग से एक सच्चाई की जीत तो हुई है लेकिन इसके फैसले से पहले उसके पिता ने चार साल तक कठोर कारावास भुगतकर इस दुनिया को ही छोड दिया। मां बीमार है और भाई अभी भी डिपे्रेशन में है। इसके बावजूद इतनी देर से आये फेसले से वो इतनी तो संतुष्टï है कि कम से कम उनके परिवार को न्याय तो मिला। आस्था राव का यह भी कहना है कि देश के दहेज हत्या कानून में सात साल की भीतर अप्राकृतिक मृत्यु होने पर ससुराल पक्ष को ना तो जमानत मिलती है और ससुराल पक्ष पर ही अपने आपको निर्दोष सिद्ध करने का भार होता है। यदि पीहर पक्ष झूठे आरोप और गवाह पेश कर दे तब जेल में रहते हुए कोई निर्दोष अपने पक्ष में सबूत कैसे जुटाएगा। इसलिए दहेज संबंधी कानूनों को संतुलित बनाना चाहिए।

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