भारत सारथी /ऋषि प्रकाश कौशिक आज राष्ट्रीय कानून दिवस है। इसे संविधान दिवस के रूप में भी जाना जाता है। भारत के संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में हर साल 26 नवंबर को यह दिवस मनाया जाता है। भारत की संविधान सभा ने देश का संविधान 26 नवंबर 1949 को अपनाया था और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। इस विशेष दिवस पर भारत सारथी के पाठकों को अशेष बधाई। आम शब्दों में कहें तो भारतीय संविधान सर्वोच्च नियम-पुस्तिका है जो भारत के शासन के लिए निर्देशों का पालन करती है। देश के स्वतंत्र होने से पहले अंग्रेजों ने नियम बनाए थे जिन्हें अधिनियम के रूप में जाना जाता था। भारत सरकार का अंतिम अधिनियम 1935 था। यह अधिनियम पक्षपाती थे और भारतीय नागरिकों को कई बुनियादी अधिकारों से वंचित कर दिया गया था।1946 में हमारी संविधान सभा का गठन हुआ था। संविधान का अंतिम प्रारूप तैयार करने से पहले बहुत सारी बहसें और चर्चाएँ हुईं थीं। हमारा संविधान जनवरी 1950 में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर कानूनी रूप से लागू किया गया था। भारतीय संविधान दुनिया के किसी भी संप्रभु देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है। इस संविधान के 25 भाग, 448 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं। मूल संविधान प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा ने सुंदर सुलेख के साथ प्रवाहित इटैलिक शैली में हाथ से लिखा था। संविधान के प्रत्येक पृष्ठ को शांतिनिकेतन के कलाकारों ने सजाया गया था। हिंदी और अंग्रेजी में लिखी गई भारतीय संविधान की मूल प्रतियां हमारी संसद के पुस्तकालय में विशेष हीलियम से भरी संदूकों में रखी हुई हैं। संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई थी। ठीक 2 साल, 11 महीने और 18 दिन संविधान का अंतिम मसौदे तैयार हो गया था। जब मसौदा तैयार हो गया और उसे बहस तथा चर्चा के लिए रखा गया तो इसे अंतिम रूप देने से पहले 2000 से अधिक संशोधन किए गए थे। संविधान को अंतिम रूप 26 नवंबर, 1949 को दिया गया। लेकिन, इसे कानूनी रूप से दो महीने बाद 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया। देश के इतिहास में यह बहुत महत्त्वपूर्ण दिन है। यह दिन गणतंत्र दिवस के रूप में जाना जाता है। हस्तलिखित संविधान पर 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा के 284 सदस्यों हस्ताक्षर किए, जिसमें 15 महिलाएं शामिल थीं। यह दो दिन बाद 26 जनवरी को लागू हुआ। हमारे संविधान निर्माताओं ने हमारे देश के लिए एक संविधान का मसौदा तैयार करते समय विभिन्न अन्य संविधानों से प्रेरणा ली। यही कारण है कि भारतीय संविधान को अक्सर उधार का थैला कहा जाता है। पंचवर्षीय योजनाओं (FYP) की अवधारणा सोवियत संघ से ली गई थी, और निर्देशक सिद्धांत (सामाजिक-आर्थिक अधिकार) आयरलैंड से लिए गए थे। हमारी प्रस्तावना में स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्श फ्रांसीसी क्रांति से लिए गए हैं, जो कि फ्रांसीसी आदर्श वाक्य भी है। हमारे संविधान की प्रस्तावना संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान की प्रस्तावना से प्रेरित थी, जो “हम लोग” से भी शुरू होती है। हमारे संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त मौलिक अधिकारों को भी अमेरिकी संविधान से अपनाया गया है। भारतीय संविधान नौ मौलिक अधिकारों को अपने सभी नागरिकों के बुनियादी मानवाधिकारों के रूप में मान्यता देता है। दिलचस्प बात यह है कि शुरुआत में संपत्ति का अधिकार भी मौलिक अधिकारों में से एक था। हमारे संविधान के अनुच्छेद 31 में कहा गया है कि, “कानून के अधिकार के बिना किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जाएगा।” हालांकि, 1978 में 44वें संशोधन ने इसे हटा दिया। भारतीय संविधान को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संविधानों में शामिल किया जाता है। इसकी खूब सराहाना होती है। इसके अपनाने के बाद अब तक कुल 104 संशोधन हो चुके हैं। अब तक 126 संविधान संशोधन विधेयक संसद में लाए गए हैं, जिनमें से 104 संविधान संशोधन विधेयक पारित हो चुके हैं। संविधान में पहला संशोधन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 10 मई 1951 को संसद में पेश किया गया था जिसे 18 जून 1951 को संसद में पास कर दिया गया। संविधान के पहले संशोधन के तहत मौलिक अधिकारों में कुछ परिवर्तन किए गए और भाषण तथा अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार आम आदमी को दिया गया। संविधान में अंतिम संशोधन विधेयक 2 दिसंबर 2019 को संसद में लाया गया था। यह भारतीय संविधान का 104वां संशोधन था। इसके तहत भारतीय संविधान के अनुच्छेद 334 में संशोधन किया गया और लोकसभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों तयों एवं जनजातियों के लिए आरक्षण की अवधि 10 वर्ष के लिए और बढा दी गई थी। इससे पहले इस अरक्षण की सीमा 25 जनवरी 2020 थी। Post navigation संविधान दिवस पर शुभकामनाएं – माननीय राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय पूंडरी में जेजेपी को मजबूती, नगरपालिका चेयरपर्सन सहित कई पार्षदों ने ज्वाइन की जेजेपी