नियमों का पालन करने पर भी प्रदुषण के नाम पर उद्यमियों को प्रताडि़त करना बंद करे सरकार : अशोक बुवानीवाला नीजि क्षेत्र में आरक्षण से पहले स्किल डवलेपमेंट इंस्टीट्यूट शुरू किए जाए : गुलशन डंग सोहना बाबू सिंगला किसान आंदोलन के चलते कुंडली, बाड़ी और राई औद्योगिक क्षेत्र में स्थित 50 प्रतिशत से भी अधिक बंद होने से व्यापारी पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। हजारों की तादाद में कामगार बेरोजगार हो चुके हैं। हजारों करोड़ की राजस्व हानि हो चुकी है। इससे पूर्व खुद आंकड़ें बता रहें है कि कोविड काल की बर्बादी ने पहले ही व्यापारियों को आत्महत्या करने को मजबूर कर दिया था लेकिन फिर भी हरियाणा सरकार और केन्द्र सरकार व्यापारियों की तरफ से आंखें मूंदें बैठी है। ये मुद्दें आज कुंडली बॉर्डर के पास एक नीजि रिजोर्ट में राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के प्रतिनिधियों तथा औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमियों एवं व्यापारी वर्ग की बैठक में उठाएं गए। गौरतलब है कि पिछले 14 महीनों से किसान आंदोलन के कारण दिल्ली से लगे सभी प्रदेशों के बार्डर किसान आंदोलन के कारण लगातार महीनों से बंद रहे हैं। आखिर इतने लंबे समय तक कल कारखाने, रिटेल आउटलेट एवं छोटे व्यापारी बंदी की मार झेलते रहे हैं। सरकार और किसानों के बीच के इस मसले में सबसे ज्यादा व्यापारी वर्ग पिसता रहा है। जिसे आज राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन ने उठाते हुए बड़ें राहत पैकेज की मांग की है। बैठक में राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित गुप्ता ने कहा कि किसान आंदोलन के नाम पर सरकार ने तमाम रास्ते बंद कर दिए रखे है। इससे कुंडली बॉर्डर के आस पास स्थित व्यापारियों और औद्योगिक इकाईयों के समक्ष व्यवसाय की समस्या आ गई है। लेकिन अब कृषि कानून वापिस होने के बावजूद सरकार ने सुचारू रूप से रास्ते नहीं खोले है, सरकार जल्द से जल्द रास्ते खोलने का काम करें। केवल कुंडली की बात करें तो यहां करीब 1400 व्यवसायिक इकाईयां स्थापित है। आंदोलन की वजह से 700 से ज्यादा इकाई बंद हो चुकी है। व्यवसायी काफी परेशान है। उन्होंने कहा कि इस औद्योगिक क्षेत्र से स्थित 50प्रतिशत से अधिक उद्योग बंद होने से व्यापारी उद्यमी कर्ज के गिरफ्त के मकडज़ाल में फस चुके हैं। हरियाणा सरकार तथा केंद्र सरकार ने व्यापारियों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया है। आंदोलन के कारण यहां स्थापित समस्त व्यापारिक व औद्योगिक इकाइयां बंद है इससे व्यापारियों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। अमित गुप्ता ने मांग करते हुए कहा कि आंदोलन अवधि का आंकलन करते हुए नुकसान की समुचित भरपाई की जाय। बंद औद्योगिक इकाइयों को एकमुश्त समाधान योजना लाकर उनको पुन: चालू करवाएं, उद्यमियों/फर्मों के लोन पर उस अवधि में पूर्ण ब्याज माफी की जाए तथा बैंकों में नवीन ऋण सहजता से उपलब्ध हों ताकि व्यापारी वर्ग पुन: संचालित करने में सक्षम हो सके। व्यापारियों उद्योग की समस्याओं पर सरकार ध्यान दे नहीं तो व्यापारी भी सडक़ से लेकर संसद तक आंदोलन करने मजबूर होंगे। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने कहा कि आंदोलन के अलावा एनसीआर में प्रदुषण के नाम पर बंद किए गए उद्योगों का मामला भी जोर-शोर से उठाया गया। बुवानीवाला ने कहा कि जब भी कोई औद्योगिक इकाई लगाई जाती है तो उसे समयानुसार सरकार के सभी नियम शर्तें पूरी करनी होती है जिनमें प्रदुषण की नियमावली भी शामिल है। उन्होंने कहा कि जब वो नियमनावली पूरी कर उद्योग स्थापित किया जाता है तो बाद में अन्य कारणों से हुए प्रदुषण का जिम्मा भी उद्योगों पर थोप कर उन्हें नोटिस थमा बंद करना जानबूझ कर प्रताडि़त करने जैसा है। सरकार उद्यमियों की इस प्रताडऩा का खेल बंद करें। उन्होंने कहा कि बंद हो चुकी इकाईयों के बिजली के बिल अभी भी आ रहे हैं। हमारी राज्य सरकार से मांग है कि बिजली बिलों को रोका जाए और पुराने बकाया बिलों को माफ किया जाए। उन्होंने कहा आर्थिक तंगी से गुजर रहे या बंद उद्योगों से भी बिजली के फिक्स चार्ज वसूले जा रहे हैं। इस अवैध वसूली को जल्द से जल्द बंद किया जाए। बुवानीवाला ने कहा कि 700 से ज्यादा व्यावसायिक इकाईयों में अधिकतर बैंक लोन से चल रही थी। व्यापार बंद रहने से व्यापारी इस स्थिति में नहीं है कि वो लोन चुका सकें या उसका ब्याज भी दे सकें। सरकार को चाहिए कि वो इन व्यापारियों के बैंक ब्याज को माफ कर उन्हें राहत प्रदान करें। उन्होंने कहा कि वर्तमान में चल रही है उद्योग इकाइयों में बैंक के लोन चल रहे हैं व्यापार बंद रहने से व्यापारी इस स्थिति में नहीं है कि वह लोन चुका सकें या उसका ब्याज दे सके सरकार को चाहिए कि 3 साल के लिए बगैर ब्याज पर ऋण की सुविधा प्रदान कर रहा राहत दी जाए। राष्ट्रीय संयोजक संतोष मंगल ने कहा कि कोरोना काल से व्यापारी वर्ग काफी मुश्किल दौर से गुजर रहा है। लॉकडाउन हटने के बाद कुछ उम्मीद जागी तो किसान आंदोलन ने व्यापारियों के समक्ष आत्महत्या करने की नौबत आ चुकी है। आज देश में स्थिति ऐसी बन गई है कि व्यापारी पस्त तो सरकार मस्त है। किसान अन्नदाता तो व्यापारी धनदाता है। किसान का सम्मान और व्यापारी का लगातार अपमान किया जा रहा है। सवाल ये है कि आखिर ऐसा कब तक चलता रहेगा। इसी क्रम में सोनीपत जिला व्यापार मंडल के प्रधान संजय सिंगला ने बताया कि किसान आंदोलन से सबसे ज्यादा प्रभावित हरियाणा का व्यापारी हुआ है। विशेषकर कुंडली बॉर्डर जहां से दिल्ली से कच्चे माल एवं उत्पादन की आवाजाही सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। यहां का व्यापारी अब भूखे मरने को मजबूर है। राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के प्रदेश अध्यक्ष गुलशन डंग ने कहा कि प्रदेश सरकार नीजि क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण की पुन: समीक्षा करें क्योंकि स्थानीय युवाओं में स्कील की बेहद कमी है जिस कारण उद्योगों को स्कील कामगारों की समस्या का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आरक्षण देने से पहले प्रदेश सरकार को स्किल डेवलेपमेंट के इंस्टीट्यूट स्थापित कर स्थानीय युवाओं को पूरा प्रशिक्षण देना चाहिए था। सरकार द्वारा बिना सोचे समझे वाहवाही लूटने के चक्कर में लागू इस निर्णय का उद्योगों पर बुरा असर पडऩे वाला है। उन्होंने कहा कि 700 से ज्यादा व्यवसायिक इकाईयां बंद होना महज प्रत्यक्ष उदाहरण है जबकि इनसे जुड़ें हजारों लोगों की रोजी रोटी पर भी इस आंदोलन से प्रभावित हुई है। हम सरकार से ये उम्मीद करते हैं कि जल्द से जल्द राहत पैकेज जारी कर व्यापार के लिए मार्ग प्रशस्त करे वरना हरियाणा का व्यापारी यहां से पलायन करने या आत्महत्या करने को मजबूर होगा। बैठक में राष्ट्रीय वरिष्ठ महामंत्री दीपक अग्रवाल, राष्ट्रीय महासचिव विकास गर्ग, राष्ट्रीय प्रवक्ता अभय जैन, राजेन्द्र अग्रवाल अध्यक्ष श्री अग्रेसन धाम कुंडलीमहेन्द्र गोयल, प्रधान स्माल केयर इंडस्ट्रीय राई, बड़ी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन से विशाल गोयल, राकेश देवगन सहित अनेक उद्यमी उपस्थित रहें। Post navigation पब्लिक हेल्थ विभाग के अधिकारी की लापरवाही के चलते लोगों को पीना पड़ रहा गंदा पानी दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के सुप्रिडेंट इंजीनियर राजकुमार जजोरिया को बनाया गया तकनीकी सदस्य