हरियाणा के गौरवपूर्ण इतिहास को देखकर रोमांचित दिखे विद्यार्थी
प्रदर्शनी में स्वतंत्रता संग्राम में हरियाणा के गौरवपूर्ण इतिहास को दिखाया गया
… जब अंग्रेजों ने रोहनात गांव को किया नीलाम

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल। अरे, यह देखो रोहनात का वो ऐतिहासिक कुआं, बरगद का पेड़ व जोहड़ जिसमें अंग्रेजों के जुल्मों से बचने के लिए महिलाओं ने अपनी इज्जत की खातिर बच्चों सहित इस कुएं में छलांग लगा दी थी। हां, और ये देखो… नारनौल क्षेत्र के गांव नसीबपुर में हुई लड़ाई से संबंधित अभिलेखों की फोटो प्रति। कुछ इसी तरह की प्रतिक्रिया आज पंचायत भवन में लगी डिजिटल प्रदर्शनी के दौरान स्कूल कॉलेज के बच्चों की तरफ से देखने को मिली। सूचना जनसंपर्क एवं भाषा विभाग की ओर से आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर आजादी के अमृत महोत्सव के तहत लगी यह प्रदर्शनी 22 नवंबर को शुरू हुई थी जो 24 नवंबर को 4 बजे तक लगेगी।

इस प्रदर्शनी में स्वतंत्रता संग्राम में हरियाणा के गौरवपूर्ण इतिहास को दिखाया गया है। इस इतिहास को देखकर  सभी विद्यार्थी रोमांचित दिखाई दिए। इसके साथ-साथ हरियाणा बनने के बाद हरियाणा की स्थिति और वर्ष 2021 तक हमने विकास की किन ऊंचाइयों को छुआ है, उसके बारे में भी देखने को मिल रहा है।

राजा नाहर सिंह को लाल किले में कैद कर सुनाई फांसी की सजा
राजा नाहर सिंह ने 20 जनवरी 1839 को बसंत पंचमी के दिन बल्लभगढ़ रियासत की बागडोर संभाली। जब 10 मई 1857 को देश में अंग्रेजों के विरुद्ध जन क्रांति का शुभारम्भ हुआ तो राजा नाहर सिंह दिल्ली में घट रही घटनाओं से प्रेरित होकर इस जन क्रांति में कूद पड़े। दिल्ली के बाद हरियाणा में ब्रिटिश सरकार का दमन चक्र शुरू हुआ। 23 सितम्बर 1857 को राजा नाहर सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया और 6 दिसम्बर को उन्हे बंदी बनाकर दिल्ली के लाल किले में कैद कर दिया। 19 दिसम्बर 1857 को राजा नाहर सिंह को कोठरी से निकालकर दिल्ली लाल किले के दरबारे आम में एक फौजी अदालत में पेश किया गया। अदालत ने विद्रोहियों की सहायता करने और ब्रिटिश इलाकों पर अवैध कब्जे के आरोप लगाए तथा राजा नाहर सिंह को दोषी करार देते हुए उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई और उनकी संपत्ति जब्त कर ली गई।

नसीबपुर की लड़ाई में शहीद हुए थे हजारों योद्धा
भारत के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास राजा राव तुलाराम व नारनौल क्षेत्र के गांव नसीबपुर में हुई लड़ाई के जिक्र के बिना अधूरा है। 16 नवंबर 1857 को भारतीय वीरों व अंग्रेजों के बीच हुई इस लड़ाई की तैयारी राजा राव तुला राम ने की। इस लड़ाई में हजारों भारतीय योद्धा वीरगति को प्राप्त हुए जबकि अंग्रेज सेना के कर्नल आई.जी.गेरार्ड सहित अंग्रेजी सेना के 70 से अधिक सैनिक व अधिकारी मारे गए थे। नसीबपुर की लड़ाई में कम संसाधनों के बावजूद भारतीय वीरों के बलिदान व जज्बे से स्वतंत्रता संग्राम को मजबूती मिली जिससे भविष्य में देश की आजादी का मार्ग प्रशस्त हुआ।

खतरनाक बागी एवं विद्रोही करार दे फांसी पर लटका दिए झज्जर के नवाब अब्दुर्रहमान खाँ
सन् 1857 में हरियाणा की सबसे बड़ी रियासत- झज्जर के नवाब अब्दुर्रहमान खाँ ने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। मेरठ के विद्रोह में उन्होंने स्वयं अंग्रेजों की खिलाफत की। 18 अक्तूबर 1857 को कर्नल लॉरेंस ने उन्हें गिरफ्तार करवा दिया। उनके किले से 21 तोपें व काफी मात्रा में गोला बारूद बरामद किया गया और उन्हें दिल्ली लाल किले में भेज दिया गया। 8 दिसंबर 1857 को दिल्ली के दरबारे आम में मिलिट्री आयोग के सामने नवाब पर मुकदमा चलाया गया। 17 दिसंबर 1857 को नवाब झज्जर को खतरनाक बागी एवं विद्रोही करार दे कर फांसी की सजा सुना दी गई। 23 दिसंबर 1857 को लाल किले के सामने नवाब अब्दुर्रहमान को फांसी पर लटका दिया गया और उनकी तमाम व्यक्तिगत सम्पत्ति को जब्त कर लिया गया।

 इज्जत की खातिर रोहनात में महिलाओं ने बच्चों सहित इस कुएं में लगा दी थी छलांग 
जिला भिवानी के गांव रोहनात का ऐतिहासिक कुआं बरगद का पेड़ व जोहड़ आज भी अंग्रेजों के जुल्मों की याद दिलाते हैं। यह कुआं ठीक जलियांवाला बाग के कुएं की याद दिलाता है जहां पर महिलाओं ने अपनी इज्जत बचाने के लिए बच्चों सहित इस कुएं में छलांग लगा दी थी। यह कुआं और इसके पास खड़ा बरगद का पेड़ यहां के बुजुर्गों पर की गई बर्बरता और शहादत के मूक गवाह हैं, वहीं ये नई पीढ़ी को राष्ट्र भक्ति के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं कि हमें किसी भी समय देश पर मर-मिटने के लिए तैयार रहना चाहिए। दरअसल, गांव रोहनात ने 1857 की जन क्रांति में अहम भूमिका निभाई। अंग्रेजों ने दमन चक्र शुरू किया और जन क्रांति में भाग लेने वालों को फांसी दी या गोली से उड़ा दिया। गांव रोहनात के सैकड़ों क्रांतिकारी शहीद हुए। अंग्रेजों ने 20 जुलाई 1858 को रोहनात गांव की जोहड़ की जमीन को छोड़कर बाकी सारे गांव का रकबा व अन्य संपत्ति नीलाम कर दी।

भिवानी में तोड़ा गया नमक कानून 
17 अप्रैल 1930 को मिस्टर सी.एन.चन्द्रा, उपायुक्त हिसार द्वारा मिस्टर डी.जे.बोयड्, मुख्य सचिव, पंजाब सरकार को लिखा गया गोपनीय पत्र, जिसमें बताया गया कि मिस्टर के.ए. देसाई द्वारा नमक कानून तोड़ा गया। पत्र में यह भी बताया गया है कि हिसार, हांसी व सिरसा के लोगों ने भिवानी में इकट्ठे होकर बापुरी गेट के बाहर नमक बनाया। पत्र में पं. नेकी राम शर्मा और गणपत राम के भाषणों में विदेशी कपड़ों के बहिष्कार करने का भी उल्लेख किया गया है।

जब पलवल में महात्मा गांधी को गिरफ्तार किया 
10 अप्रैल 1919 को पलवल में महात्मा गांधी को गिरफ्तार किया गया। इस समाचार को 11 अप्रैल 1919 को ‘बोम्बे क्रोनिकल’ समाचार पत्र में विस्तार से प्रकाशित किया गया। इसके पश्चात् 8 अगस्त 1920 को महात्मा गांधी रोहतक जिले में आए थे। यहां उन्होंने जनसभा को संबोधित किया और असहयोग आंदोलन का नारा बुलंद किया।

1930 को मनाया ‘स्वतन्त्रता दिवस समारोह’
10 फरवरी, 1930 को खान बहादुर मलिक जमान मेहदी खान, उपायुक्त, रोहतक द्वारा मिस्टर ए. लतीफी, आयुक्त, अम्बाला मंडल को पत्र के माध्यम से भेजी गई रिपोर्ट, जिसमें बताया गया कि 26 जनवरी, 1930 को बाबू कांशी राम, नगर आयुक्त, सोनीपत द्वारा राष्ट्रीय झण्डा फहराते हुए स्वतन्त्रता दिवस समारोह मनाया गया। 

नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा आजाद हिंद सरकार की उदघोषणा
‘द नेशनलिस्ट’ समाचार पत्र में 20 अक्तूबर, 1946 को प्रकाशित रिपोर्ट जिसमें बताया गया कि नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्तूबर, 1943 को आजाद हिंद (स्वतंत्र भारत) की प्रांतीय सरकार के गठन की उद्घोषणा की। इसमें उन्होंने स्वयं को राष्ट्र का प्रमुख घोषित किया है। इस अखबार के मुख्य पृष्ठ के प्रति इस प्रदर्शनी में दर्शाई गई है। इसके अलावा 28 नवंबर 1938 हिसार शहर के लिए ऐतिहासिक दिन के बारे में बताया गया है। इस दिन नेताजी सुभाष चन्द्र बोस रेलगाड़ी से हिसार पहुंचे। रेलवे स्टेशन पर हजारों लोगों ने उनका स्वागत किया। सुभाष चंद्र बोस ने हिसार जिले के सूखा पीड़ित लोगों से मुलाकात की और सूखे की स्थिति का निरीक्षण किया। कष्ट पीड़ित लोगों के प्रति सहानुभूति प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि यह सूखा और दूसरी मुसीबतों का मुख्य कारण गुलामी है। यदि हम आजाद होते तो इन मुसीबतों का पहले से प्रबंध हो जाता। इसलिए हम सबको गुलामी दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। 

error: Content is protected !!