13 यूनियनों का संयुक्त मांग पत्र नहीं तो संयुक्त बातचीत का महत्व नहीं सभी यूनियनों से संयुक्त मांग पत्र पर सांझे आन्दोलन का आह्वान किया। चंडीगढ़,21 नवम्बर। हरियाणा रोड़वेज वर्कर्स यूनियन सम्बन्धित सर्व कर्मचारी संघ के राज्य प्रधान इन्द्र सिंह बधाना, प्रदेश महासचिव सरबत सिंह पूनिया, वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेन्द्र दिनोद, कोषाध्यक्ष राजपाल, उप महासचिव नवीन राणा, कार्यालय सचिव जयकुमार दहिया व प्रैस प्रवक्ता श्रवण कुमार जांगड़ा ने संयुक्त बयान में बताया परिवहन मंत्री विभाग की 13 यूनियनों से बातचीत कर कर्मचारियों की लम्बित मांगों का समाधान करने की बजाए विभाग के निजीकरण करने की नीतियों को आगे बढ़ाने पर सहमति लेने की फिराक में हैं। उन्होंने बताया परिवहन मंत्री ने 22 नवम्बर को विभाग की सभी छोटी-बड़ी 13 यूनियनों को संयुक्त रुप से बातचीत के लिए बुलाया है। जबकि हरियाणा रोड़वेज वर्कर्स यूनियन ने परिवहन मंत्री व महानिदेशक से मिल कर व पत्र क्रमांक 12/ दिनांक 16 मार्च 2021 को मांग पत्र भेज कर यूनियन से अलग मीटिंग निर्धारित कर कर्मचारियों की लम्बित मांगों का समाधान करने का अनुरोध किया जा चुका है। कर्मचारी नेताओं ने कहा अब विभाग की यूनियनों का कोई सांझा मंच, सांझा मांग पत्र व सांझा आन्दोलन नहीं है। हमारी यूनियन का अलग मांग पत्र व अलग तर्क है। इसलिए माननीय परिवहन मंत्री के साथ सभी यूनियनों की संयुक्त बैठक करने का कोई औचित्य नहीं बनता। उन्होंने कहा हरियाणा रोड़वेज वर्कर्स यूनियन सम्बंधित सर्व कर्मचारी संघ राज्य कमेटी ने 22 नवम्बर को परिवहन मंत्री की सभी संगठनों के साथ होने वाली मीटिंग में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया है। हरियाणा रोड़वेज वर्कर्स यूनियन ने पुनः अनुरोध है किया है, माननीय परिवहन मंत्री अलग से समय व तिथि निर्धारित कर हरियाणा रोड़वेज वर्कर्स यूनियन सम्बन्धित सर्व कर्मचारी संघ शिष्टमंडल से बातचीत कर मांगों का समाधान करें। सर्व कर्मचारी संघ से सम्बन्धित यूनियन नेताओं ने सरकार की विभाग को गर्त में धकेलने की नीतियों के खिलाफ व लम्बित मांगों को लेकर विभाग की सभी यूनियनों से सांझा मांग पत्र तैयार कर सांझा एकजुट आन्दोलन करने का आह्वान किया। उन्होंने सभी यूनियनों से पुरजोर अपील करते हुए कहा रोड़वेज कर्मचारियों को किसान संगठनों के एकजुट आन्दोलन की जीत से सबक लेकर एक बार फिर 2018 में 18 दिन हुई एतिहासिक हड़ताल जैसे बड़े आन्दोलन की जरूरत है। Post navigation लंबित मांगों को लेकर भारत के प्रधानमंत्री को एक खुला पत्र भेजने का फैसला – एसकेएम प्रधानमंत्री के नाम संयुक्त किसान मोर्चा का संदेश