सिंघू मोर्चा पर आज एसकेएम की बैठक सम्पन्न हुई, भारत के किसानों और श्रमिकों को ऐतिहासिक जीत के लिए बधाई दी गई और लंबित मांगों को लेकर भारत के प्रधानमंत्री को एक खुला पत्र भेजने का फैसला हुआ – एसकेएम ने योजनानुसार सभी घोषित कार्यक्रमों को जारी रखने का फैसला किया – परिस्थिति की समीक्षा के लिए 27 नवंबर को एसकेएम की अगली बैठक होगी
कल 22 नवंबर को लखनऊ किसान महापंचायत होगी – 24 नवंबर को सर छोटू राम जयंती पर किसान-मजदूर संघर्ष दिवस आयोजित किया जाएगा – 26 नवंबर को “दिल्ली बॉर्डर मोर्चा पर चलो” – 29 नवंबर को संसद चलो
जहां श्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार किसान आंदोलन के लगभग 700 बहादुर किसानों द्वारा दिए गए शौर्यपूर्ण बलिदानों को स्वीकार नहीं करती है, तेलंगाना सरकार शहीदों के परिजनों को सहायता प्रदान करने के लिए आगे बढ़ी है

संयुक्त किसान मोर्चा ने आज सिंघू मोर्चा के किसान आंदोलन कार्यालय में बैठक की। 19 नवंबर को भारत के प्रधानमंत्री द्वारा, किसानों के नाम पर लेकिन वास्तव में कृषि और खाद्य निगमों को मुनाफाखोरी में मदद करने के लिए बनाए गए, 3 काले कृषि कानूनों को निरस्त करने के उनकी सरकार के फैसले की गई घोषणा के बाद यह बैठक पहली थी।

एसकेएम की बैठक में एक साल के अभूतपूर्व संघर्ष के बाद भारत के सभी किसानों और श्रमिकों को उनकी ऐतिहासिक जीत के लिए हार्दिक बधाई दी गई। बैठक में भारत के प्रधानमंत्री को एक खुला पत्र भेजने का फैसला किया गया, जिसमें एक लाभकारी एमएसपी की गारंटी के लिए केंद्रीय कानून सहित किसान आंदोलन की लंबित मांगों को उठाया गया है। एसकेएम ने योजनानुसार सभी घोषित कार्यक्रमों को जारी रखने का भी निर्णय लिया। अगली बैठक 27 नवंबर 2021 को होगी, जिसमें घटनाक्रम की समीक्षा की जाएगी।

एसकेएम सभी नागरिकों से अपील करता है कि वे कल 22 नवंबर को लखनऊ किसान महापंचायत; 24 नवंबर को सर छोटू राम की जयंती पर किसान मजदूर संघर्ष दिवस; 26 नवंबर को “दिल्ली बॉर्डर मोर्चा पे चलो” और दिल्ली से दूर के राज्यों में सभी राज्य स्तरीय किसान-मजदूरों का विरोध प्रदर्शन; 29 नवंबर को संसद चलो आदि कार्यक्रमों में भाग लें ।

करीब एक साल से शांतिपूर्ण और चट्टानी संकल्प के साथ धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आस्था के साथ तपस्या की है । ये अन्नदाता अपनी तपस्या से ऐतिहासिक आंदोलन को पहली ऐतिहासिक जीत के शिखर पर ले गए हैं और इसे लगातार पूर्ण जीत की ओर ले जा रहे हैं जो वास्तव में लोकतंत्र की जीत होगी। यह जीत किसी के घमंड या अहंकार की नहीं, बल्कि लाखों उपेक्षित और हाशिए पर पड़े भारतीयों के जीवन और आजीविका की बात है।

जहां श्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार किसान आंदोलन के लगभग 700 बहादुर किसानों द्वारा किए गए शोर्य पूर्ण बलिदान को स्वीकार नहीं कर रही है, तेलंगाना सरकार अब शहीदों के परिजनों को सहायता प्रदान करने के लिए आगे बढ़ी है। प्रत्येक शहीद परिवार को 3 लाख रुपये के समर्थन की घोषणा करते हुए, तेलंगाना के मुख्यमंत्री श्री के चंद्रशेखर राव ने यह भी मांग की कि भारत सरकार प्रत्येक किसान परिवार के लिए 25 लाख रुपये का मुआवजा दे और सभी मामलों को बिना शर्त वापस ले ले। एसकेएम शहीदों के परिवारों को दी जाने वाली इस अनुग्रह सहायता के लिए तेलंगाना सरकार को शहीदों की सूची प्रदान करेगा।

हरियाणा में, जब राज्य के कृषि मंत्री श्री जेपी दलाल एक कोर्ट परिसर के उद्घाटन समारोह के लिए तोशाम पहुंचे, तो किसान बड़ी संख्या में काले झंडे लेकर विरोध में जमा हो गए। प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया, और मंत्री के कार्यक्रम के बाद ही रिहा किया गया। यह सिर्फ पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी में ही नहीं है कि भाजपा नेताओं को नियमित रूप से काले झंडे के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश में चुनावी गति तेज होने के साथ ही पूर्वी यूपी में महाराजगंज के विधायक जय मंगल कनौजिया को कल स्थानीय नागरिकों के गुस्से का सामना करना पड़ा। स्थानीय ग्रामीणों ने उनके समर्थकों का जोरदार विरोध किया जिससे विधायक और समर्थकों को गांव छोड़ दिया।

कल पंजाब स्थित महिला सामूहिक के राष्ट्रीय सम्मेलन में, “किसानों के संघर्ष और पृथ्वी लोकतंत्र” पर केंद्रित कार्यक्रम के साथ वक्ताओं ने चल रहे आंदोलन में महिला किसानों के ऐतिहासिक योगदान पर प्रकाश डाला, और महिला शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

जारीकर्ता –
बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव

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