बंद हो चुके 72 अवैध स्टोन क्रेशरो सहित पूरे जिले महेंद्रगढ़ के क्रेशरों व पर्यावरण प्रदूषण की गहन छानबीन के लिए विश्व प्रसिद्ध संस्था IIT दिल्ली के एक्सपर्ट छह सदस्यीय उच्चस्तरीय कमेटी करेगी दौरा

सभी अवैध स्टोन क्रेशरों पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति हर्जाने के रूप में प्रत्येक क्रेशर पर लगा औसतन 4-5 लाख रु जुर्माना–इंजीनियर तेजपाल यादव।

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल। महेंद्रगढ़ जिले के बहुचर्चित अवैध स्टोन क्रेशर घोटाले मामले में इंजीनियर तेजपाल यादव की याचिका पर एनजीटी में चल रहे मुकदमे में रोज नित नए चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। इंजीo  तेजपाल यादव के 4 साल से निरंतर जारी कानूनी व सामाजिक संघर्ष के अनवरत,  एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने हाल ही में एक बहुआयामी व बहुप्रतीक्षित फैसला दिया है।

जस्टिस गोयल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने आदेश देते हुए कहा कि सभी 72 स्टोन क्रेशर जो पहले के पूर्व के आदेश में बंद किए जा चुके हैं व जिनकी एनओसी रद्द की जा चुकी है,  उन क्रशर प्लांटों को पूर्णत: सील किया जाए। इसके साथ-साथ एनजीटी के 3 दिसंबर 2020 के वहन क्षमता, स्वास्थ्य जांच, पर्यावरणीय पहलुओं पर दिए गए जांच के आदेश उपरांत जो जांच की गई, उसमें पर्यावरणीय वहन क्षमता अत्यधिक खराब पाई गई है। दो अलग-अलग समय में मानसून से पहले व मानसून के बाद मापी जाने वाली वायु गुणवत्ता दर रिपोर्ट की स्थिति भी अत्यधिक खराब होने के चलते माननीय एनजीटी ने एक बड़ा फैसला दिया है।

  एनजीटी ने जिला प्रशासन को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि महेंद्रगढ़ जिले में प्रदूषण के हालात बद से बदतर है। ऐसा प्रतीत होता है कि लोगों को यूंही मरने के लिए छोड़ दिया गया और स्टोन क्रशर संचालन के लिए न्यूनतम निर्धारित मानदंडों का पालन भी नहीं किया गया जिससे कि जिला प्रशासन की घोर अनदेखी प्रतीत होती है। महेंद्रगढ़ जिले के प्रदूषण वहन क्षमता के भार के अनुसार अलग-अलग जगह स्थित गाँवो में क्रेशर समूहों (क्लस्टर ) में व्यापक दूरी होनी चाहिए व दो क्रेशरों के बीच भी दूरी होनी चाहिए।  इसके साथ-साथ अरावली पौधारोपण क्षेत्र, किसी भी तरह का आबादी क्षेत्र, शिक्षण संस्थानों से दूरी आदि मुख्य पहलुओं का जिला प्रशासन व  हरियाणा प्रदूषण विभाग ने ध्यान नहीं रखा, अंधाधुंध एनओसी बांट दी गई। इसी वजह से महेंद्रगढ़ जिले का पर्यावरणीय संतुलन पूरी तरह बिगड़ गया।

 जिला प्रशासन की घोर अनदेखी और लापरवाही की वजह से ही एनजीटी ने एक उच्चस्तरीय छह सदस्य विशेषज्ञ कमेटी का गठन करते हुए कहा कि यह कमेटी पूरे जिले महेंद्रगढ़ के पर्यावरण व सभी अन्य पहलुओं की छानबीन करेगी। छह सदस्य कमेटी में विश्व प्रसिद्ध संस्था IIT दिल्ली का वायु प्रदूषण मामले में विशेषज्ञ सदस्य, CPCB के सदस्य , HSPCB के सदस्य,  DM महेंद्रगढ़, कई जिलों का वन प्रभार संभालने वाले जॉन के वन संरक्षक, इसके साथ ही हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक(DG)के द्वारा नामित श्वास रोग विशेषज्ञ शामिल है, जो कि पूरे क्षेत्र का दौरा कर के एक-एक बिंदु पर अपनी एक निष्पक्ष रिपोर्ट सौंपने का काम करेंगे, जिसमें CPCB व HSPCB के सदस्य इस आदेश के अनुपालन के लिए होने वाली मीटिंग्स का समन्वय का काम करेंगे व इसके साथ ही इस पूरी उच्च स्तरीय जांच पड़ताल में जो भी उपकरणों की आवश्यकता होगी,  डीसी नारनौल इस पूरी कमेटी को उपलब्ध करवाएंगे व जब तक महेंद्रगढ़ जिले का प्रदूषण का लोड नियंत्रण में ना जाए तब तक अवैध क्रेशरों के अलावा अन्य क्रेशरों को भी बंद रखा जाए।

 माननीय एनजीटी ने बनाई गई छह सदस्य उच्चस्तरीय विशेषज्ञ कमेटी को 3 महीने के अंदर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है व इस केस की अगली तारीख 7 अप्रैल 2022 मुकर्रर की गई है। एनजीटी के पूर्व के 3 दिसंबर 2020 के आदेश के अनुपालन में जो रिपोर्ट जिला प्रशासन व प्रदूषण विभाग ने सौंपी थी, उसमें पर्यावरण हालात व स्वास्थ्य प्रभाव का विवरण किया गया है।

क्या सौंपा गया इस रिपोर्ट में
अवैध स्टोन क्रेशरों के लाइसेंस रद्द करके यह रिपोर्ट सौंपी गई जिसमें महेंद्रगढ़ जिले में स्टोन क्रेशरों के 18 समूह(क्लस्टर) बताए गए हैं, प्रत्येक कलक्टर में लगभग आधा दर्जन से एक दर्जन स्टोन क्रशर है। प्रदूषण के भार  की वजह से महेंद्रगढ़ जिले की पर्यावरणीय वहन क्षमता नेगेटिव पाई गई है। इस रिपोर्ट में हरियाणा प्रदूषण विभाग ने दाखिल अपने जवाब में कहा कि महेंद्रगढ़ जिले में किसी भी नई स्टोन क्रेशर को एनओसी न दी जाए।  इस रिपोर्ट अनुसार डीसी नारनौल ने सभी अवैध स्टोन क्रेशरों पर औसतन 4 से 5 लाख रु जुर्माना भी किया गया।
इस रिपोर्ट में सबसे चौंकाने वाला गंभीर तथ्य यह है कि जो स्वास्थ्य जांच के आदेश उपरांत सीएमओ की रिपोर्ट में बताया कि महेंद्रगढ़ जिले में प्रतिवर्ष वायु से उत्पन्न बीमारियों में 100% का इजाफा हो रहा है व इसके साथ सबसे गंभीर व महत्वपूर्ण तथ्य यह बताया गया कि वायु से उत्पन्न बीमारियों की वजह से महेंद्रगढ़ जिले में प्रतिवर्ष 40 से 42 हजार लोग मर रहे हैं।

गौरतलब है कि महेंद्रगढ़ जिले व विशेष तौर पर नारनौल-नांगल चौधरी क्षेत्र के सैकड़ों स्टोन क्रेशर व इससे हो रहे पर्यावरण प्रदूषण व जन स्वास्थ्य की हो रही तबाही के खिलाफ पर्यावरणविद व सामाजिक कार्यकर्ता इंजीनियर तेजपाल यादव पिछले काफी सालों से एक लंबा संघर्ष कर रहे हैं, उन्होंने इसके लिये सड़क पर काफी आंदोलन किए, काफी बार प्रशासन को इस समस्या से अवगत कराया गया, यहां तक कि विधायको, जनप्रतिनिधियों, नेताओं व भाजपा सरकार तक शिकायत भेजी गई लेकिन कोई कार्रवाई न होते देख इंजीनियर तेजपाल यादव ने आज से ठीक 3 साल पहले माननीय एनजीटी का रुख अपनाया था और एनजीटी में एक लंबी लड़ाई लड़ी गई जिसमें 24 जुलाई 2019 को महेंद्रगढ़ जिले के 72 अवैध स्टोन क्रेशरों को तुरंत बंद करने के आदेश हुए थे।


उसके बाद स्टोन क्रेशर संचालक 24 जुलाई 2019 के एनजीटी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। सुप्रीम कोर्ट में भी सामाजिक कार्यकर्ता इंजीनियर तेजपाल यादव की तरफ से मजबूत व प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण जी ने पैरवी की और उनकी मजबूत पैरवी के चलते 2 नवंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट को यह मामला वापस एनजीटी को सौंपना पड़ा और एनजीटी में मामला वापस आने के बाद 3 दिसंबर 2020 को माननीय एनजीटी ने अपने 24 जुलाई 2019 के आदेश क़ो दोहराते हुए महेंद्रगढ़ जिले के 72 अवैध स्टोन क्रेशरों के बंद करने के आदेश दिए थे। साथ ही सभी संबंधित भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी को कार्रवाई के आदेश व दूरी मापदंड पर अवैध साबित हुए 72 स्टोन क्रेशरों के अलावा जिले के बाकी सभी स्टोन क्रेशरों के खिलाफ पर्यावरण प्रदूषण व वहन क्षमता संबंधित सभी पर्यावरणीय पहलुओं पर जांच के आदेश, व महेंद्रगढ़ जिले के सभी क्रेशर प्रभावित गांवों की स्वास्थ्य जांच के आदेश माननीय एनजीटी ने जिला प्रशासन व हरियाणा सरकार को दिए थे।

इस आदेश पर याचिकाकर्ता इंजीनियर तेजपाल यादव की प्रतिक्रिया
इस पूरे महेंद्रगढ़ जिले के हाईप्रोफाइल स्टोन क्रेशर घोटाले मामले पर इंजीनियर तेजपाल यादव ने कहा कि जिला प्रशासन ने इस मुकदमे में बड़ा  लचर व बेरूखा रूख अपनाया है । उन्होंने एनजीटी के आदेश को बहुत ही अच्छा व अप्रत्याशित बताते हुए कहा कि 72 स्टोन क्रशरों के बंद होने के अलावा इस इलाके के पूरे पर्यावरण हालात व लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की जांच हेतु उच्च स्तरीय छह सदस्य कमेटी में जिन महत्वपूर्ण दो लोगों को शामिल किया गया उनमें विश्व प्रसिद्ध संस्था IIT दिल्ली के पर्यावरणीय मामलों के विशेषज्ञ सदस्य के साथ-साथ हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक(DG) द्वारा नामित श्वास रोग विशेषज्ञ को शामिल करना एक अच्छा कदम है।

श्री यादव ने कहा कि दुर्भाग्य की बात यह है कि यहां के राजनीतिक आकाओं के संरक्षण में पूंजीपति वर्ग व भ्रष्ट अधिकारियों के गठजोड़ के चलते इस इलाके में प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों को इस कदर खड़ा कर दिया गया कि जिसका नतीजा यह निकलता है कि महेंद्रगढ़ जिले में प्रतिवर्ष 40 से 42 हजार  लोग वायु से उत्पन्न बीमारीयों  की वजह से तिल तिल कर मर रहे हैं। यह बात सीएमओ के द्वारा एनजीटी में सौंपी गई रिपोर्ट  साफ साफ कह रही है! स्थिति स्पष्ट बयां कर रही है कि सैकड़ों स्टोन क्रेशरों के लगभग 18 समूह (क्लस्टर) महेंद्रगढ़ जिले में स्थित हैं, उनमें अत्यधिक नांगल चौधरी में है, तो नांगल चौधरी की आबो-हवा तो जहरीली  हो चुकी है। यह रिपोर्ट विकास-विकास चिल्लाने वाले विधायक डॉ अभय सिंह यादव व उनकी सरकार पर करारा तमाचा है।

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