महेंद्रगढ़, सुरेश पंचोली

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि) महेंद्रगढ़ के आंतरिक गुणवत्ता आवश्वासन प्रकोष्ठ की ओर से आयोजित विभिन्न विभागों की वार्षिक उपलब्धियों के प्रस्तुतीकरण पर केन्द्रित दो दिवसीय वार्षिक विभागीय प्रस्तुतीकरण कार्यक्रम का वीरवार को समापन हो गया।

विश्वविद्यालय के कुलपति टंकेश्वर कुमार की अध्यक्षता में आयोजित इस विभागीय प्रस्तुतीकरण के दूसरे दिन कुलपति ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा व्यवस्था के विकास में अध्ययन-अध्यापन, शोध व नवाचार के मोर्चे पर शिक्षकों का स्वतंत्रता के साथ कार्य करना बेहद जरूरी है और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस दिशा में उठाया गया एक महत्त्वपूर्ण कदम है। यह नीति केवल उच्च शिक्षा ही नहीं बल्कि स्कूली शिक्षा के स्तर पर भी किताबी ज्ञान के साथ तकनीकी प्रशिक्षण, व्यवसायिक अनुभव व कौशल विकास की आवश्यकताओं को पूरा करती है जोकि आधुनिक समय में किसी भी देश की युवा शक्ति के निर्माण हेतु महत्त्वपूर्ण है। इस अवसर पर विशेषज्ञ के रूप में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से प्रो. कमलानंद झा, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से प्रो. पवन कुमार शर्मा व प्रो. राजपाल उपस्थित रहे।

विश्वविद्यालय कुलपति ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा व्यवस्था के अंतर्गत शिक्षकों को मिलने वाली स्वतंत्रता सदैव ही उल्लेखनीय परिणाम प्रदान करती है। बात चाहे पाठ्यक्रम निर्धारण ही हो या फिर उसके अध्ययन के आधार पर उसके मूल्यांकन की। शिक्षकों को शिक्षा व्यवस्था के अंतर्गत स्वतंत्रता प्रदान की जाती है। इस दिशा में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक और महत्त्वपूर्ण कदम है। यह नीति ऐसी शिक्षा व्यवस्था के विकास की पक्षधर है जो कि विद्यार्थियों को रचनात्मक बनाती है और उनमें नवाचार के प्रति रूझान विकसित करती है। कुलपति ने प्रमुख उदाहरणों के माध्यम से बताया कि किस तरह से विदेशों में शिक्षा व्यवस्था के अंतर्गत ही विद्यार्थियों को रोजगार सृजन के लिए तैयार किया जाता है। उन्होंने अपने संबोधन में विद्यार्थियों में रचनात्मकता व विषय की समझ पर भी प्रकाश डाला। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय के आईक्यूएसी द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम शिक्षकों को खुद से ही बेहतर बनने का अवसर प्रदान करता है। इसके माध्यम से वह न सिर्फ अपने साथियों बल्कि अपने प्रदर्शन का आकलन कर पाते हैं और बेहतर करने के लिए प्रेरित होते हैं।

इस अवसर पर प्रस्तुतीकरण की प्रक्रिया में शामिल विशेषज्ञों ने अपने सुझाव व संशोधनों के माध्यम से शिक्षकों को अवगत कराया। विशेषज्ञों का कहना था कि इस प्रक्रिया से स्वःमूल्यांकन व सामूहिक विमर्श का अवसर मिलता है जो कि उल्लेखनीय परिणामों के लिए आवश्यक है।

आईक्यूएसी की निदेशक प्रो. सारिका शर्मा ने बताया कि दो दिवसीय इस प्रस्तुतीकरण के अंतर्गत विश्वविद्यालय के सभी विभागों के प्रस्तुतीकरण आयोजित हुए। कार्यक्रम के दूसरे दिन विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की हस्त लिखित पुस्तिका निर्माण के नए अंक का भी विमोचन विश्वविद्यालय कुलपति व विशेषज्ञों द्वारा किया गया। प्रो. सारिका शर्मा ने बताया कि विभागीय प्रस्तुतीकरण के अंतिम दिन अंतरविषयी व अनुप्रयुक्त विज्ञान पीठ, विधि पीठ, मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान पीठ व मौलिक विज्ञान पीठ के विभागों का प्रस्तुतीकरण हुआ।

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