दादरी-महेंद्रगढ़ सड़क निर्माण पर 298 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, नांगल सिरोही में बनेगा बाइपासमुख्यमंत्री 23 अक्टूबर को माधोगढ़ किला के पुनर्निर्माण निरीक्षण के दौरान रखी थी मांग, मांग मंजूर होने पर मुख्यमंत्री का आभार भारत सारथी/ कौशिकनारनौल । महेंद्रगढ़ क्षेत्र के भरपूर विकास व लोगों की सुविधा को लेकर सरकार द्वारा शीघ्र महेंद्रगढ़-दादरी सड़क मार्ग को फोरलेन किया जाएगा। बीते रोज इसके लिए टैंडर जारी कर दिए गए हैं। करीब 53 किलोमीटर लंबे सड़क मार्ग के निर्माण पर 298 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। महेंद्रगढ़ रेलवे ओवरब्रिज के साथ दूसरा फ्लाई ओवर भी बनेगा। जिससे इस मार्ग का आवागमन और सुगम होगा। उक्त बातें हरियाणा भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने प्रेस के नाम जारी एक बयान में कही। प्रो. रामबिलास शर्मा ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल की नारनौल जल अधिकार रैली में यह मांग रखी थी। साथ ही 23 अक्टूबर को सीएम के उनके विधानसभा क्षेत्र महेंद्रगढ़ में माधोगढ़ किले के पुनर्निर्माण निरीक्षण के समय भी आईएमटी खुडाना व दादरी-महेंद्रगढ़ सड़क निर्माण की मांग रखी थी। जिस पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आईएमटी खुडाना के कार्य में तेजी लाने के लिए तीन नवंबर को चंडीगढ़ में आईएमटी खुडाना से संबंधित अधिकारियों को बुलाकर दिशा-निर्देश दिए थे, वहीं उनके अनुरोध पर दादरी-महेंद्रगढ़ सड़क निर्माण के लिए भी 298 करोड़ रुपये की लागत से टैंडर जारी कर दिए हैं। उक्त सड़क निर्माण के साथ ही उनके विधानसभा क्षेत्र के गांव नांगल सिरोही का बाईपास भी बनाया जाएगा। इसके लिए वे स्वयं व महेंद्रगढ़ की जनता की तरफ से मुख्यमंत्री मनोहर लाल का आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने स्वयं माधोगढ़ में जनता को आश्वास्त किया था कि बेशक रामबिलास शर्मा चुनाव हार गए हैं, पर महेंद्रगढ़ को विकास में पिछडऩे नहीं दिया जाएगा। उनके द्वारा रखी गई मांगों को सरकार द्वारा प्राथमिकता पर समाधान करेगी। उन्होंने कहा कि आज देश व प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री मनोहरलाल के नेतृत्व में चारों तरफ विकास की धूम मची है। महेंद्रगढ़ में विकास का पहिया निरंतर आगे बढऩा जारी रहेगा। Post navigation महेंद्रगढ़-नारनौल-दादरी सड़क मार्ग के लिए प्रदेश सरकार ने टेंडर हुए जारी स्वाभिमान और हक के लिए लड़ने वाले शुरवीरों के वंशज “भीरू” कैसे हो गए?