गुरुग्राम, 11 नवंबर। गुरुग्राम विश्वविद्यालय परिसर सेक्टर-51 में प्रबंधन विभाग द्वारा ‘आपदा में अवसर, व्यापार मॉडल की पुनर्रचना’ विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी की शुरुआत गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.मार्कण्डेय आहूजा की अध्यक्षता में की गई। हरेरा के चेयरमैन के के खण्डेलवाल इस दो दिवसीय ‘अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी’ के शुभारम्भ सत्र के मुख्य अतिथि रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में हरेडा के चेयरमैन डॉ. हनीफ कुरैशी, एयर इंडिया लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक हरप्रीत एडी सिंह और महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के के खंडेवाल ने सम्बोधित करते हुए घटना, दुर्घटना व आपदा के अंतर को बताते हुए कहा कि जब किसी घटना के लिए हम तैयार नहीं होते हैं, तो वह आपदा बन जाती है, लेकिन आपदा अवसर का भी निर्माण करती है। अगर समस्या है तो आवश्यकता होगी उसके निदान की और जहाँ आवश्यकता होगी वहाँ नव निर्माण, नव सृजन एवं नए विचारों के अवसर भी होंगे। कहने का मतलब है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है और यही आविष्कार नए अवसरों को जन्म देता है। हर संकट एक अवसर है। इसमें कोई संदेह नहीं कि अगर हम सही समय पर सही नीति बनाएं तो आपदा को अवसर में परिवर्तित कर सकते हैं। कोरोना काल में भारत ने यही करके पुरे विश्व को दिखाया है।

गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मार्कण्डेय आहूजा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि संकट को अवसर में बदलकर ही नवभारत का निर्माण किया जा सकता है। बिना किसी भय और पक्षपात के जब हम किसी भी आपदा का आकलन करते हैं तो हमें उसमें अवसर अपने आप दिख जाएगा, बस इसके लिए सकारात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि राम राम नहीं होते अगर वनवास नहीं जाते, अगर महाभारत का युद्ध नहीं होता तो हमें श्रीमद्भगवद्गीता जैसी दिव्य ग्रन्थ नहीं प्राप्त होता। जैसे पतझड़ हुए बिना पेड़ पर नए पत्ते नहीं आते, ठीक उसी तरह परेशानी और कठिनाई सहे बिना कोई देश महान नहीं बन सकता। डॉ.आहूजा ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि आपदा में सदैव अवसर होता है जरूरत बस उसे समझ कर कार्य करने की होती है। डूबने का डर अगर, मुझको हो तो कैसे हो ? मैं तेरा, कश्ती तेरी, साहिल तेरा… और दरिया भी तेरा !!

इस मौके पर डॉ. हनीफ कुरैशी ने कहा कि आपदा में ही अवसर उत्पन्न होता है। आपदा को अवसर में बदलने के लिए आपको अपने दृष्टिकोण में बदलाव करने की आवश्यकता है। दृष्टिकोण यानी आप आपदा को किस नजर से देख रहे हैं?हम सब एक साथ मिलकर बड़ी से बड़ी आपदा का सामना अपनी संकल्प शक्ति और इच्छाशक्ति की ताकत से कर सकते हैं।

हरप्रीत एडी सिंह ने कहा कि कोरोना काल में हमें चुनौतियों को अवसर में परिवर्तित करने का मौका मिला।आपका अनुभव आपको जीवन में सभी चीजों के बारे में सिखाता है। आपदा हमें सदैव कुछ न कुछ सिखाती है, बिना गलती किए आप नई चीजें नहीं सीख पाते हैं इसलिए आप गलती करने से मत डरिये ,जीत और हार आपकी सोच पर निर्भर करती हैं, ज़िन्दगी की कठिनाइयों से भाग जाना आसान होता है, डरने वालो को जीवन में कुछ नही मिलता, लड़ने वालों के कदमो में जहांन होता है।

महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज ने कहा कि दुनिया की कोई परेशानी, आपके साहस से बड़ी नहीं है.अगर किसी काम को करने में डर लगे तो याद रखना यह संकेत है कि आपका काम वाकई में बहादुरी से भरा हुआ है। हमें हमारे देश पर गर्व है, हमने कोरोना काल में पुरे विश्व को दिखा दिया है कि हम हर स्थिति में रह सकते हैं और हर चुनौती का सामना कर आगे बढ़ सकते हैं।

गुरुग्राम यूनिवर्सिटी में दो दिन चलने वाले अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में आज प्रोफेसर, विद्यार्थी, शोधार्थी एवं शिक्षकों ने हिस्सा लिया और विद्वान वक्ताओं ने अपने अपने विचार सांझा किए।

आज के सत्र में एडवोकेट प्रवीण अग्रवाल, प्रों. एम. एस. तुरान , प्रो.बदरुद्दीन, डॉ.अन्नपूर्णा ,डॉ.अमन वशिष्ठ ,डॉ गायत्री रैना, डॉ.अशोक खन्ना, डॉ.नवीन गोयल ,प्रो.राकेश कुमार योगी, डॉ. सुमन वशिष्ठ , डॉ.वंदना हांडा, डॉ. शुभम गांधी, डॉ.एकता, डॉ.सीमा महलावत , डॉ.नीलम वशिष्ठ, डॉ.फलक खन्ना, जनार्दन शर्मा आदि मौजूद रहे।

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