-नगर परिषद की कार्यशैली फिर सुर्खियों में नारनौल, रामचंद्र सैनी कंपनी के ये कारिंदे फिलहाल शहर के विभिन्न वार्डों व मोहल्ले में जाकर नाम, मोबाइल नंबर और घर एवं दुकान डाटाशीट पर लिख रहे हैं। इस सर्वे टीम के सदस्य पिछले दो दिनों से मोहल्ला पीरआगा, सलामपुरा, बडका कुआं आदि एरिया में दिखाई दिए। जबििक इस प्रकार के सर्वे के लिए नगर परिषद ने कोई टेंडर आदि कॉल नहीं किया है और ना ही कोई टेंडर किसी सर्वे के लिए छोड़ा है। कभी प्रॉपर्टी आइडी तो कभी एनओसी को लेकर चर्चा में रहने वाली नगर परिषद एक बार फिर सुर्खियों में आ गई है। इस बार नप सुर्खियों में शालिड वेस्ट कलेक्शन की डोर टू डोर सर्वे कार्य को लेकर है। नारनौल शहर में इन दिनों किसी रॉयल इंटरप्राइजेज कंपनी के कुछ कारिंदे डोर टू डोर घूमकर लोगों के नाम और मोबाइल नंबर नोट कर रहे हैं। कंपनी के कारिंदों ने अपने गले में जो पहचान पत्र डाला हुआ है, उसे सबसे ऊपर नगर परिषद नारनौल मोटे-मोटे अक्षरों में लिखा हुआ है और जिस शीट पर लोगों के डाटा लिखे जा रहे है, उस पर बाकायदा नगर परिषद नारनौल का हवाला दिया हुआ हैं। इस बारे में जब नगर परिषद से संपर्क किया गया तो नप की इओ सुमनलता ने बताया कि रॉयल इंटरप्राइजेज नामक जो कंपनी सर्वे कर रही है वो नगर परिषद की परमिशन के बाद शहर के दस वार्डों में सर्वे करके डाटा कलेक्शन कर रही है। दस दिनों के बाद यह कंपनी एक महीने तक निशुल्क इन घरों से सालिड वेस्ट कलेक्शन का कार्य करेगी। अब नगर परिषद की इओ की माने तो यह जवाब अपने आप में हैरान करने वाला है। जब सालिड वेस्ट कलेक्शन कार्य के लिए टेंडर होना है तो एक ही कंपनी को सर्वे करने और निशुल्क वेस्ट कलेक्शन की इजाजत क्यों दी गई है, क्योंकि टेंडर में कोई भी कंपनी अपने रेट गुप्त रखती है। टेंडर के दौरान यदि किसी अन्य कंपनी ने फ्री में वेस्ट कलेक्शन करने वाली कंपनी से कम रेट दिए तो ऐसी सूरत में नगर परिषद का निर्णय किया होगा। दूसरा बडा सवाल यह है कि कंपनी के कारिेंदों के पहचान पत्र में नगर परिषद मोटे-मोटे अक्षरों में लिखकर उसे एक साल की तिथि तक वैध वाले आई कार्ड किस अधिकारी की इजाजत के जारी किया गया है। इस तरह इस रॉयल इंटरप्राइजेज नामक कंपनी की सर्वे पूरी तरह से नारनौल सोशल मीडिया की सुर्खियों में बनी हुई है। नप का पिछला चुनाव लड़ चुके समाजसेवी सुरेशपाल दहिया का कहना है कि यदि नगर परिषद को किसी कंपनी का ट्रायल लेना है तो भी उन्हीं का ले जो इसके टेंडर लगाने में रुचि रखता हो। बिना टेंडर किसी भी कंपनी से वेस्ट कलेक्शन करवाना सीधा-सीधा किसी घालमेल की तरफ इशारा करता है। इसकी जांच होनी चाहिए। Post navigation गांव की बणी में पशुओं की बोली लगाने पर रोक लगाने की मांग, एसपी के नाम एसएचओ को सौंपा ज्ञापन चुनाव अधिकारी ओम प्रकाश यादव एडवोकेट की नियुक्ति फंसी विवादों में