8 नवम्बर 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने उद्योगों, निजी क्षेत्रों में हरियाणा के युवाओं को नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले पर गाल बजाने वाले मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से सवाल किया कि आखिर प्रदेश में नौकरियां कहां है? जब नौकरियां नही है तो इस कथित आरक्षण लालीपोप का औचित्य ही क्या है? विद्रोही ने कहा कि हरियाणा सरकार ने उद्योगों व निजी क्षेत्र के 30 हजार रूपये कम मासिक वेतन वाली सभी नौकरियों में 15 जनवरी 2022 से 75 प्रतिशत नौकरियां हरियाणा के युवाओं के लिए आरक्षित करने का नोटिफिकेशन जारी किया है। नोटिफिकेशन जारी करने पर मुख्यमंत्री ने मीडिया के समक्ष दावा किया था कि उद्योगपति सरकार की इस आरक्षण नीति से सहमत है। पर प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र व सबसे ज्यादा नौकरी देने वाले मानेसर-गुरूग्राम, बावल-रेवाडी के उद्योगपति खुलकर इस आरक्षण का विरोध कर रहे है। फिर सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री किस कथित सहमति का दावा कर रहे है? वहीं विद्रोही ने पूछा कि नौकरियां तब मिलेगी जब प्रदेश में उद्योगों व निजी क्षेत्र में नौकरियों उपलब्ध होगी। जमीनी धरातल का कटु सत्य यह है कि हरियाणा में भाजपा खट्टर राज आने के बाद प्रदेश में एक भी नया उद्योग नही लगा और न ही पहले से लगे उद्योगों का कोई विस्तार हुआ। उल्टे प्रदेश से क्या तो उ़द्योगों का पलायन हुआ या उद्योगों ने अपनी उत्पादन क्षमता घटाई या उद्योग बंद हो गए। नोटबंदी व कोरोना महामारी की ऐसी मार पड़ी जिससे निजी क्षेत्रों में नई नौकरियां मिलना तो दूर का सपना है, लोग अपनी लगी लगाई नौकरियां भी नही बचा पा रहे। आज प्रदेश 30.7 प्रतिशत बेरोजगारी दर के साथ देश का सिरमौर राज्य बनकर नम्बर वन बेरोजगारी वाला राज्य है। वहीं 15 जनवरी 2022 से निजी क्षेत्र की 75 प्रतिशत नौकरियां हरियाणा के युवाओं के लिए आरक्षित होने का कानून पुराने उद्योगों पर लागू नही होगा। नये उद्योगों पर भी स्थापना के तुरंत बाद लागू नही होगा। जब पुरानेे उद्योगों पर यह कानून लागू नही होना, नये उद्योग लगने नही तो फिर इस आरक्षण के लालीपोप का औचित्य समझ से परे है। विद्रोही ने कहा कि हरियाणा में भाजपा खट्टर सरकार बनने के बाद सरकारी व निजी क्षेत्र दोनों में ही नये रोजगार के अवसर सीमित हुए है। वर्ष 1991 में जहां हरियाणा में सरकारी, अर्धसरकारी कर्मचारियों की संख्या लगभग 4 लाख थी, वह वर्ष 2021 में आज 2.85 लाख के ही आसपास रह गई है। जब सरकारी व अर्ध-सरकारी नौकरियां लगातार घट रही है, पद खाली पड़े है, सरकार खाली पदों को भरने को तैयार नही है, निजी क्षेत्रों में नौकरियां सिकुडती जा रही है, लगे लगाये रोजगार भी छीन रहे हैे, चारो ओर आर्थिक बदहाली का दौर हो तो ऐसे समय में आरक्षण के झुनझुने से बेरोजगारों को ठगना सरकार की बदनियती का खुला प्रमाण है। विद्रोही ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे युवाओं को रोजगार के नाम पर ठगने निजी क्षेत्र में आरक्षण झुनझुने से बहकाने की बजाय प्रदेश में सरकारी व निजी क्षेत्र में नई नौकरियों के अवसर पैदा करे और सबसे पहले वर्ष 1991 जितनी सरकारी भर्तीया करके प्रदेश मेें सरकारी व अर्ध-सरकारी कर्मचारियों की संख्या 4 लाख तक पहुंचाने की पहल करे फिर निजी क्षेत्र में हरियाणा के युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण के तहत नौकरी देने पर उपदेश दे। Post navigation राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय सात देशों के राजदूत, उच्चायुक्त व प्रतिनिधियों से मुलाकात की अभय चौटाला ट्रैक्टर पर पहुंचे विधानसभा, ली विधायक पद की शपथ