–किसानों का आरोप नहरों की सफाई और मरम्मत के नाम पर होती है  खानापूर्ति

नारनौल, रामचंद्र सैनी

रविवार को नारनौल के दो अलग-अलग गांवों में नहर टूटने की वजह से कई एकड भूमि के खेत जलमग्न हो गए। जिसके चलते अनेक किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया। जिन स्थानों पर नहर टूट कर खेत जलमग्न हुए है, उनमें से एक गांव के किसानों की सरसों की फसल उगकर जमीन के खुड से बाहर आ चुकी थी जबकि दूसरे स्थान पर जहां खेत जलमग्न हो गए वहां पर किसान सरसों की फसल की बिजाई की तैयारी में जुटे हुए थे। बरसात का मौसम ना होने के बावजूद ऐसे समय पर नहर टूटने पर किसानों ने नहर विभाग के प्रति गहरा रोष व्यक्त किया है। किसानों का आरोप है कि समय-समय पर नहरों की सफाई और मरम्मत के नाम पर विभाग और सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं लेकिन इस कार्य के नाम पर खानापूर्ति कर ली जाती है, जिसके चलते हर साल कही ना कही से नहर टूट जाती है और किसानों की मेहन त तो बेकार जाती है साथ ही उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है।

रविवार को जेएलएन डिस्ट्रीब्यूटरी की नहर राताकलां गांव के पास टूट गई। यहां पर एडवोकेट योगेंद्र सोनी, सरपंच लालचंद, नरेश कुमार, सुधीर, बंटी कौशिक, हरीश, लालाराम तथा कृष्ण आदि किसानों के खेत जलमग्न हो गए। इन किसानों ने बताया कि उन्होंने अपने खेतों को बाह-जोत करके तैयार किए हुए थे और बड़ी मुश्किल से खाद बीज का इंतजाम किया था। अब जब वो बिजाई करने वालेही थे जो अचानक उनके खेत नहर टूटने से जलमग्न हो गए। उन्होंने बताया कि खेतों की बाह-जोत के बाद पानी भरने से ना केवल उनकी बिजाई लेट हो गई है बल्कि उनकी बाह-जोत के पैसे भी व्यर्थ चले गए हैं।

दूसरी तरफ गांव मकसूसपुर के पास हसनपुर डिस्ट्रीब्यूटरी की नहर टूटने से इस गांव के भी अनेक किसानों के खेत जलमग्न हो गए। इस गांवों के किसान अपने खेतों में सरसों की फसल बिजाई कर चुके थे और उनकी फसल उगकर खेत के खुड से बाहर भी दिखने लगी थी। अब नहर टूटने से यह फसल पूरी तरह जलमग्न होकर बर्बाद हो गई है। इस गांव के किसानों ने बताया कि अब उन्हें दोबारा से बिजाई करनी पडेगी। इन गांवों के किसानों ने जला प्रशासन व सरकार से मांग की है कि नहर टूटने से उन्हें हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाये तथा नहरों की सफाई और मरम्मत कार्य में कोताही बरतने वाले अधिकारियों व ठेकेदारों पर कार्रवाई की जाये।

error: Content is protected !!